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Top pick after Trump Tariffs: ट्रंप टैरिफ के बाद भारतीय शेयर बाजारों पर गुरुवार (3 अप्रैल) सुबह तगड़ा असर दिखाई दिया। शुरुआती कारोबार में बेंचमार्क इंडेक्स आधा फीसदी से ज्यादा टूट गए। बाद में निचले स्तरों से बाजार में रिकवरी आई लेकिन उतार-चढ़ाव बना हुआ है। ट्रंप टैरिफ का असर भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों पर होगा। ब्रोकरेज फर्म एक्सिस सिक्युरिटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह बदलाव बड़ा है, लेकिन भारत पर इसका डायरेक्ट असर सीमित रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर ज्यादा शुल्क लगने से भारतीय निर्यात को तुलनात्मक रूप से फायदा मिल सकता है। हालांकि, शॉर्ट टर्म में कुछ सेक्टरों पर वॉल्यूम, मार्जिन और ग्रोथ को लेकर दबाव आ सकता है। साथ ही प्रभावित देशों की जवाबी कार्रवाई और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की दिशा पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार सुबह (भारतीय समयानुसार) भारत से आने वाले सभी सामानों पर 27% का नया टैक्स (रिसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की घोषणा की। इस नई टैरिफ संरचना में अमेरिका द्वारा सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैक्स लगाया गया है, जबकि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा है, उन पर इससे कहीं ज्यादा शुल्क लगाया गया है।
ट्रंप टैरिफ के अंतर्गत भारत पर 26% टैरिफ लगाया गया है, जबकि चीन (54%), यूरोपीय संघ (20%), दक्षिण कोरिया (25%) और वियतनाम (46%) जैसे अन्य बड़े देशों पर इससे भी ज्यादा शुल्क लगे हैं। इससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ने की संभावना है। इसका असर ट्रेड फ्लो, सप्लाई चेन और ग्लोबल आर्थिक विकास पर देखने को मिल सकता है।
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रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में निकट भविष्य में अस्थिरता बनी रह सकती है, क्योंकि यह टैरिफ मार्केट की उम्मीदों से ज्यादा है। इस टैरिफ से महंगाई बढ़ सकती है। साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मॉनिटरी पॉलिसी को जटिल बना सकते हैं। व्यापार में और रुकावट आने पर अमेरिका में मंदी का जोखिम भी बढ़ सकता है, जिससे ग्लोबल एक्टिविटी धीमी हो सकती है।
एक्सिस सिक्युरिटीज का कहना है कि इस अस्थिरता को एक निवेश अवसर के रूप में देखा जा सकता है। मौजूदा हालात में 10% तक कैश अलोकेशन बढ़ाना चाहिए और बाजार की गिरावट का फायदा उठाते हुए दमदार इनकम ग्रोथ वाली हाई क्वॉलिटी कंपनियों में धीरे-धीरे निवेश करना चाहिए। 12–18 महीनों का चरणबद्ध तरीके से निवेश का नजरिया रखना सबसे बेहतर होगा।
गौर करने वाली बात है कि फार्मास्युटिकल सेक्टर पर ये टैरिफ लागू नहीं हुए हैं। इसके डिफेंसिव नेचर को देखते हुए इसमें निकट भविष्य में एक राहत भरी तेजी देखने को मिल सकती है, जिससे यह सेक्टर नए कैपिटल निवेश के लिए आकर्षक बनता है।
ब्रोकरेज रिपोर्ट का कहना है कि अप्रैल 2025 की रिपोर्ट “टॉप पिक्स” के मुताबिक उन कंपनियों को प्राथमिकता दी गई है, जो दमदार इनकम, मार्केट लीडरशिप और सेक्टोरल डॉमिनेंस रखती हैं। इसमें लार्ज प्राइवेट बैंक, टेलीकॉम, कंजम्प्शन, हॉस्पिटल्स और इंटरेस्ट-रेट प्रॉक्सी सेक्टरों में ओवरवेट का नजरिया हैं, क्योंकि ये कंपनियां स्थिर ग्रोथ देने में सक्षम हैं। वहीं, हालिया प्राइस करेक्शन के बाद कैपेक्स-ड्रिवन कंपनियां लंबी अवधि के नजरिए से आकर्षक लग रही हैं।
ब्रोकरेज का कहना है कि आईटी सेक्टर पर ‘डाउनग्रेड’ रूख बरकरार है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी बाजार में आईटी खर्च घटने की आशंका है। ट्रंप टैरिफ लागू होने से कमाई में और गिरावट की संभावना है, जिससे आईटी कंपनियों के वैल्यूएशन पर दबाव बन सकता है। इसलिए निवेशकों को इस सेक्टर में एक्सपोजर घटाने की सलाह है।
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ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि हमारे टॉप पिक मौजूदा माहौल में बेहतर स्थिति में हैं और उनमें लॉन्ग टर्म वैल्यू क्रिएशन की क्षमता है। इनमें 15 स्टॉक्स में निवेश की सलाह है।
ब्रोकरेज रिपोर्ट का कहना है कि बाहरी जोखिमों के बावजूद भारत की घरेलू विकास की रफ्तार मजबूत बनी हुई है। हाल ही में RBI की ओर से CRR (कैश रिजर्व रेश्यो) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती (दिसंबर 2024) और फरवरी 2025 में संभावित 25 बीपीएस की रेट कट, सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद करेंगी। इसके साथ ही यूनियन बजट में दी गई कंज्यूमर केंद्रित एलान घरेलू मांग को गति देंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, शॉर्ट टर्म मार्केट सेंटीमेंट वैश्विक टैरिफ टेंशन से प्रभावित हो सकता है। जबकि भारत के लिए लॉन्ग टर्म निवेश का नजरिया मजबूत बना हुआ है। ब्रोकरेज का कहना है कि निवेशक बाजार करेक्शन का फायदा उठाते हुए लॉन्ग टर्म में वेल्थ बनाने के लिए टॉप पिक्स को पोर्टफोलियो में शामिल सकते हैं।