वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार के पहले बड़े विनिवेश को सफलता मिली है। कोल इंडिया में 4,160 करोड़ रुपये की इस बिक्री पेशकश (OFS) को गुरुवार को संस्थागत निवेशकों से 6,500 करोड़ रुपये मूल्य के आवेदन मिले, जो निर्गम के मुकाबले 1.6 गुना है।
स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ज्यादातर बोलियां करीब 226 रुपये प्रति शेयर के भाव पर मिलीं, जो ओएफएस के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 225 रुपये के निर्धारित मूल्य के मुकाबले कुछ ज्यादा है। कोल इंडिया का शेयर बीएसई पर 4.4 प्रतिशत तक गिरकर बंद हुआ। पिछले एक साल में, सरकार के स्वामित्व वाली इस कोयला खनन कंपनी ने 220 रुपये की औसत कीमत पर कारोबार किया है।
ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, जेएम फाइनैंशियल, कोटक महिंद्रा बैंक और एसबीआई कैप्स इस शेयर बिक्री के लिए प्रमुख निवेश बैंक हैं।
415 करोड़ रुपये के शेयर रिटेल निवेशकों यानी छोटे निवेशकों के लिए आरक्षित हैं जिनकी बिक्री शुक्रवार को होगी। संस्थागत निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने से रिटेल श्रेणी में मांग पर दबाव की भरपाई करने में मदद मिलेगी।
विश्लेषकों का मानना है कि ओएफएस की वजह से कोल इंडिया के शेयरों में गिरावट खरीदारी का अच्छा अवसर हो सकती है। बुधवार को कंपनी ने गैर-कोकिंग कोयला की कीमतें संशोधित की हैं, जिससे वित्त वर्ष 2024 के राजस्व में 2,700 करोड़ रुपये का इजाफा होने की संभावना है।
मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कीमत वृद्धि की वजह से हमने राजस्व अनुमान 2 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। हमने कीमत वृद्धि लाभ को ध्यान में रखते हुए अपना एबिटा/एपीएटी अनुमान 2.4 प्रतिशत/2.5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। कोल इंडिया वित्त वर्ष 2024 के 3.9 गुना ईवी/एबिटा पर कारोबार कर रहा है। हमने 290 रुपये के संशोधित कीमत लक्ष्य के साथ इस शेयर के लिए खरीद रेटिंग बरकरार रखी है। हमारा मानना है कि कंपनी भविष्य में आने वाले अच्छे अवसरों का लाभ उठाने के लहाज से अच्छी हालत में है।’
ओएफएस के बाद, कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत घटकर 63.13 प्रतिशत रह जाएगी, जो मौजूदा समय में 1.43 लाख करोड़ रुपये पर है।
कोल इंडिया में पिछली बार बड़ी शेयर बिक्री वर्ष 2018 में हुई थी, जब केंद्र सरकार ने ओएफएस विकल्प के जरिये 14,800 करोड़ रुपये के शेयर बेचने का लक्ष्य रखा था। हालांकि ओएफएस को निर्धारित मात्रा के सिर्फ एक-तिहाई के लिए मांग हासिल हुई थी। इस वित्त वर्ष अब तक सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया के तहत 50 करोड़ रुपये से कम की रकम हासिल की है।