शेयर बाजार

SEBI ने लिस्टेड कंपनियों के लिए NPS नियमों में ढील का रखा प्रस्ताव, बड़ी कंपनियों को मिलेगा अतिरिक्त समय

SEBI लिस्टेड कंपनियों को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करने के लिए ज्यादा समय देकर नई लिस्टेड कंपनियों, अधिग्रहण मामलों और बड़े निवेशकों को बड़ी राहत देने जा रहा है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 19, 2025 | 5:39 PM IST

सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने लिस्टेड कंपनियों के लिए न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (NPS) के नियमों में ढील देने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के तहत, कंपनियों को 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग का टारगेट हासिल करने के लिए ज्यादा समय मिल सकता है। खास तौर पर उन कंपनियों को फायदा होगा, जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन 1 ट्रिलियन रुपये या उससे ज्यादा है। इस कदम से नई लिस्टेड कंपनियों जैसे हुंडई मोटर इंडिया और बजाज हाउसिंग फाइनेंस को राहत मिलने की उम्मीद है, जिनके पास अभी 75 फीसदी से ज्यादा प्रमोटर शेयरहोल्डिंग है।

SEBI के मौजूदा नियमों के मुताबिक, सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स (SCRR) के तहत कंपनियों को लिस्टिंग के बाद पांच साल के भीतर 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करनी होती है। लेकिन SEBI अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल करने की योजना बना रहा है, खासकर उन कंपनियों के लिए जिनका मार्केट कैप 1 ट्रिलियन रुपये से ज्यादा है। अगर कोई कंपनी 15 फीसदी से कम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के साथ लिस्ट होती है, तो उसे पांच साल में 15 फीसदी और 10 साल में 25 फीसदी तक पहुंचना होगा। वहीं, अगर लिस्टिंग के समय पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15 फीसदी या उससे ज्यादा है, तो 25 फीसदी का लक्ष्य पांच साल में पूरा करना होगा।

जून तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, हुंडई मोटर इंडिया में पब्लिक शेयरहोल्डिंग 17.5 फीसदी है, जबकि बजाज हाउसिंग फाइनेंस में यह 11.5 फीसदी है। इसके अलावा, कुछ अन्य बड़ी कंपनियां जैसे भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में केवल 3.5 फीसदी और नवंबर 2024 में लिस्ट हुई NTPC ग्रीन एनर्जी में 10.9 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग है। LIC को सरकार की ओर से विशेष छूट मिली हुई है।

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अधिग्रहण और ओपन ऑफर में भी मिलेगी राहत

SEBI के इस प्रस्ताव का फायदा न सिर्फ नई लिस्टेड कंपनियों को होगा, बल्कि अधिग्रहण और ओपन ऑफर से जुड़े मामलों में भी राहत मिल सकती है। सिक्योरिटीज लॉ के एक्सपर्ट योगेश चंदे के मुताबिक, जिन लिस्टेड कंपनियों ने अभी तक 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग का लक्ष्य हासिल नहीं किया है, उन्हें इस नए नियम से अतिरिक्त समय मिल सकता है। खासकर मेगा-कैप कंपनियों को इसका बड़ा फायदा होगा।

AZB & Partners के सीनियर पार्टनर हरदीप सचदेवा ने कहा कि SEBI का यह कदम कंपनियों को नियमों का पालन करने में आसानी देगा और मार्केट की जरूरतों के हिसाब से शेयरों की बिक्री को व्यवस्थित करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि अगर पहले से लिस्टेड कंपनियों को इस छूट से बाहर रखा गया, तो यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। DMD एडवोकेट्स के पार्टनर सायम चतुर्वेदी ने बताया कि जिन कंपनियों ने अभी तक नियमों का पालन नहीं किया, लेकिन नई समयसीमा के दायरे में आती हैं, उन्हें भविष्य में जुर्माने से छूट मिल सकती है। हालांकि, पहले लगाए गए जुर्माने को चुकाना होगा।

हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस नियम को पुरानी कंपनियों पर लागू करना मुश्किल हो सकता है। इकोनॉमिक लॉज प्रैक्टिस की पार्टनर गीता धनिया ने कहा कि बहुत कम कानून पुराने मामलों पर लागू होते हैं। अगर पहले से नियमों का पालन कर चुकी कंपनियों के साथ नई कंपनियों को एकसमान छूट दी गई, तो यह उनके लिए अनुचित होगा।

SEBI के सब्सटेंशियल एक्विजिशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर(SAST) नियमों के तहत अधिग्रहण करने वाली कंपनियों को भी इस प्रस्ताव से राहत मिल सकती है। सिंगहनिया एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर रोहित जैन ने कहा कि अगर SEBI के नए नियम लागू होते हैं, तो अधिग्रहण करने वालों के लिए शेयरहोल्डिंग कम करने की समयसीमा आसान हो सकती है। लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जब तक SEBI SAST नियमों को स्पष्ट रूप से नए समयसीमा के साथ जोड़ नहीं देता, तब तक मौजूदा नियमों का पालन करना जरूरी होगा।

First Published : August 19, 2025 | 5:25 PM IST