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Eternal शेयर पर MSCI-FTSE फंड्स की भारी बिकवाली का दबाव, विदेशी निवेश सीमा घटाने से बढ़ी बेचैनी

एनएसई पर कंपनी का शेयर 4.6 फीसदी गिरकर 226.7 रुपये पर बंद हुआ। इसमें 2,034 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ।

Last Updated- May 26, 2025 | 11:20 PM IST
Zomato
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

इटरनल (पूर्व में जोमैटो) का शेयर सोमवार को करीब 5 फीसदी गिर गया। इसकी वजह भविष्य में एमएससीआई और एफटीएसई वै​श्विक सूचकांकों को ट्रैक करने वाले पैसिव फंडों की संभावित निकासी की आशंका से इस शेयर पर बिकवाली दबाव आना था। इटरनल ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई निवेश) सीमा 75 से घटाकर 49.5 फीसदी किए जाने का निर्णय किया है। इस वजह से फंडों की बिकवाली संभव है।

एनएसई पर कंपनी का शेयर 4.6 फीसदी गिरकर 226.7 रुपये पर बंद हुआ। इसमें 2,034 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के अनुसार एफटीएसई इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंडों द्वारा मंगलवार को लगभग 2,500 करोड़ रुपये के 10.9 करोड़ शेयर बेचे जाने का अनुमान है। इसके अलावा, एमएससीआई इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंडों द्वारा शुक्रवार को 5,000 करोड़ रुपये के 18.7 करोड़ शेयरों की बिक्री की संभावना है। 

मार्च 2025 तक इटरनल में एफपीआई की हिस्सेदारी 44.88 फीसदी थी जो सितंबर 2024 के 47.3 फीसदी के ऊंचे स्तर से कम है। डेरिवेटिव सेगमेंट में शामिल होने के बाद इस शेयर ने 9 दिसंबर, 2024 को 304.7 रुपये का सबसे ऊंचा स्तर बनाया था। कंपनी के बोर्ड ने 18 अप्रैल को एफपीआई निवेश सीमा घटाने को मंजूरी दी थी, जिसे 19 मई को शेयरधारकों ने 99.85 प्रतिशत वोटों के साथ समर्थन दिया। यह कदम एक भारतीय-स्वामित्व-और-नियंत्रित इकाई के रूप में पात्र होने के लिए उठाया गया है।

नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के प्रमुख अभिलाष पगारिया ने एक नोट में कहा, ‘इटरनल ने ब्लिंकइट का समर्थन करने और भारतीय मानदंडों के अनुरूप बनने के लिए अपनी एफआईआई सीमा को 49.5 प्रतिशत पर पुनर्निधारित किया है। यह महत्त्वपूर्ण बदलाव है। यह कदम नवंबर में उसके 8,500 करोड़ रुपये के पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के बाद आया है, जिसमें घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की मजबूत भागीदारी रही थी।’

स्मार्टकर्मा पर प्रका​शित पेरिस्कोप एनालिटिक्स के ब्रायन फ्रायटस ने कहा है कि आगे चलकर वैश्विक सूचकांकों में इटरनल का वेटेज उपलब्ध विदेशी निवेश की गुंजाइश पर निर्भर है। उन्होंने लिखा है, ‘यदि फ्लोट घटकर 5 प्रतिशत से नीचे आया तो शेयर वै​श्विक सूचकांक से बाहर हो जाएगा। ऐसा सितंबर 2026 तक हो सकता है। शेयर को फिर से शामिल करने पर विचार किए जाने से उसे पहले कम से कम 12 महीने इंडेक्स से बाहर रहना होगा।’

उनके अनुसार मार्च के अंत में शेयर में विदेशी निवेश की गुंजाइश 9.33 फीसदी पर थी, जिससे शेयर को वैश्विक सूचकांकों में बने रहने के लिए पर्याप्त जगह मिल गई। लेकिन विदेशी निवेश की गुंजाइश घटकर 3.75 फीसदी से नीचे आ जाती है तो शेयर को अन्य वैश्विक सूचकांक से बाहर किया जाएगा और पैसिव ट्रैकरों को 26 अगस्त तक बंद होने से पहले 66.59 करोड़ शेयर बेचने की जरूरत होगी। इस समय कंपनी में घरेलू संस्थानों की 24 फीसदी और म्युचुअल फंडों की 19 फीसदी हिस्सेदारी है।

First Published - May 26, 2025 | 10:49 PM IST

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