अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
US Tariffs Impact: विश्लेषकों का मानना है कि बाजार का मौजूदा माहौल 2020 की अंधी सुरंग की याद दिलाता है जब किसी को नहीं पता था कि अब क्या होने वाला है। लिहाजा, तब भारी अनिश्चितता की वजह से बाजार में दहशत पैदा हो गई थी। उनका मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्कों से बाजार अनिश्चितता के ऐसे भंवर में फंस गए हैं जिनको कोई राह नहीं दिख रही। इससे अल्पावधि में और ज्यादा गिरावट बढ़ने की आशंका है।
हालांकि उनका सुझाव है कि निवेशकों को बाजार में गिरावट का इस्तेमाल लंबी अवधि के लिए खरीदारी के मौके के रूप में करना चाहिए, लेकिन समय के साथ उन्हें अपने निवेश का दायरा बढ़ाना चाहिए। वैलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा कि मुद्रास्फीति बढ़ना तय है जबकि वृद्धि की रफ्तार सुस्त होने की उम्मीद है। उनका मानना है कि टैरिफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को अनिश्चितता के गर्त में धकेल दिया है। जयपुरिया का मानना है, ‘बॉन्ड बाजारों को उम्मीद है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में कटौती करेगा क्योंकि टैरिफ से अर्थव्यवस्था के झटका खाने की आशंका गहरा रही है। अमेरिकी बाजारों में शुक्रवार की गिरावट काफी हद तक चीन के जवाबी उपायों के कारण थी। फिलहाल हालात ये हैं कि बाजार कहां जाकर गिरना बंद होगा, यह 2020 की महामारी के दौर की तरह अस्पष्ट बना हुआ है। अस्थिरता बनी रहेगी। निवेशकों को एकमुश्त निवेश से परहेज करना चाहिए और इसके बजाय उन्हें थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाना चाहिए।’
राष्ट्रपति ट्रंप के शुल्कों के जवाब में चीनी पलटवार से अमेरिकी शेयरों में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी गिरावट आई। नैस्डैक कंपोजिट 5.8 प्रतिशत गिरकर 15,588 पर आ गया जो आधिकारिक तौर पर मंदी के दौर में प्रवेश कर गया (दिसंबर 2024 के अपने शिखर से 22 प्रतिशत नीचे) जबकि डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 2,231 अंक या 5.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 38,314.86 पर आ गया जो जून 2020 के बाद से इसकी सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट है। एसऐंडपी 500 भी 5.97 प्रतिशत गिरकर 5,074 पर आ गया।
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि जवाबी शुल्क से शेयर बाजारों के अलावा आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव और वैश्विक वृद्धि में कमजोरी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कॉरपोरेट आय में दिक्कत बढ़ेगी। कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार जितेंद्र गोहिल ने कहा, ‘कुल मिलाकर आय वृद्धि धीमी होने की संभावना है। निफ्टी प्रति शेयर आय (ईपीएस) में 2025-26 में 3-4 प्रतिशत की और भी कटौती की आशंका है जिससे यह हमारे 12 प्रतिशत के वृद्धि के पिछले अनुमान से कम ही रहेगी। रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण, रियल एस्टेट, यूटीलिटीज और बिजली जैसे क्षेत्रों पर न्यूनतम प्रभाव पड़ सकता है।’