360 वन ऐसेट के सह-संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी अनूप माहेश्वरी
घरेलू और वैश्विक आयामों में बदलाव के बीच बाजारों को समझना कठिन हो गया है। 360 वन ऐसेट के सह-संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी अनूप माहेश्वरी ने पुनीत वाधवा को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में बताया कि वास्तविक बेहतर प्रदर्शन अक्सर सही और जल्दी निर्णय लेने से आता है, भीड़ का अनुसरण करने से नहीं। मुख्य अंश:
क्या बाजार ने अब डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ संबंधी धमकियों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है?
हां, काफी हद तक। टैरिफ से जुड़े शोर के प्रति बाजार ज्यादा सुदृढ़ हो गया है। निवेशक मानते हैं कि इस तरह की बयानबाजी अक्सर ध्यान आकर्षित करती है, लेकिन इससे शायद ही कभी स्थायी नीतिगत बदलाव या बड़े व्यवधान होते हैं। नतीजतन, बाजार इन खतरों को जल्द से कमतर आंकने लगते हैं, खासकर जब आर्थिक बुनियाद और केंद्रीय बैंक का ठोस समर्थन मिलता है। निवेशकों को सुदृढ़ आय और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम गुणवत्ता वाली कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए। विविधता अपनाने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से उतार-चढ़ाव से मिलने वाले अवसरों का लाभ उठाने में मदद करता है।
पिछले कुछ वर्षों में अमीर और अति धनाढ्य सेगमेंटों में निवेश का स्वरूप किस प्रकार बदला है?
निवेश की मानसिकता पारंपरिक यानी सभी के लिए एक जैसा पोर्टफोलियो से बदली है। अब यह ज्यादा लक्ष्य आधारित, जोखिम समायोजित दृष्टिकोणों में बदल गई है। आज निवेशक बेहतर जानकारी रखते हैं और पोर्टफोलियो विविधीकरण और अल्फा पर ध्यान देते हैं और कुशल और चक्रीय सार्वजनिक बाजारों के बढ़ने साथ ही वे पारंपरिक रणनीतियों की सीमाओं को पहचानते हैं।
जहां कभी मुख्य रूप से ध्यान पिछले रिटर्न पर केंद्रित था, वहीं अब बातचीत एक समग्र पोर्टफोलियो के भीतर वित्तीय लक्ष्यों और बाजार पर नजरिया जताने के इर्द-गिर्द घूमती है। यह पोर्टफोलियो ऐसा होता है जिसमें जोखिम का संतुलन, रिटर्न, तरलता और कर संबंधी ध्यान शामिल होते हैं।
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (पीएमएस), वैकल्पिक निवेश फंड, निजी इक्विटी, निजी ऋण, अचल संपत्तियां और वैश्विक निवेश जैसे विकल्प अब मुख्य हो गए हैं क्योंकि निवेशकों को ऐसी चुस्त और दूरदर्शी रणनीतियों की तलाश होती है जो लंबी अवधि के बड़े रुझानों और बाजार के संभावित उलटफेर पर नजर रखती है। इस बदलाव से परिपक्व निवेशक आधार का पता चलता है, जिसमें सक्रिय रूप से प्रबंधित समाधानों के लिए रुचि बढ़ी है।
पिछले कुछ महीनों में आपकी निवेश रणनीति क्या रही है?
हमारी रणनीति संतुलित रही है। आर्थिक बदलाव के प्रति सतर्क रहते हुए निचले स्तर वाले शेयरों के चयन पर आधारित रही है। हमने वित्तीय, औद्योगिक और चुनिंदा उपभोग क्षेत्रों में अधिक भरोसे वाली राय पर ध्यान दिया है। वित्तीय क्षेत्र में आय की मजबूत स्पष्टता और उचित मूल्यांकन बराबर दिख रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र को बहुवर्षीय पूंजीगत व्यय चक्र, नीतिगत अनुकूलता और ऑपरेटिंग लाभ में सुधार से फायदा है। खपत में हमने मूल्य निर्धारण शक्ति और मार्जिन रिकवरी की संभावना वाली कंपनियों पर ध्यान दिया है। हमने चुनिंदा रूप से उन क्षेत्रों में जोखिम कम किया है, जहां शेयर भाव बुनियादी फंडामेंटल्स से ज्यादा हो गया था। लक्ष्य एक ही है: गिरावट के जोखिमों का प्रबंधन करते हुए बढ़त में शामिल होना।
आप दो दशकों से अधिक समय से बाजार में हैं। उन फंड मैनेजर को आपकी क्या सलाह है जो अगले साल इंडेक्स रिटर्न को मात देना चाहता है?
सूचकांक का पीछा करने के बजाय इस पर ध्यान दें कि कमियां और अवसर कहां हैं। तेजी के बाजारों में सही दिखना आसान है, लेकिन टिकाऊ अल्फा अलग-अलग शोध, उच्च-विश्वास वाली राय और अस्थिरता से निपटने के अनुशासन से आता है। आर्थिक वैरिएबल के प्रति सावधान रहें। तरलता, दरें और पूंजी प्रवाह अक्सर फंडामेंटल्स से ज्यादा अल्पावधि के नतीजों को प्रभावित करते हैं। असली बेहतर प्रदर्शन आमतौर पर सही और शीध्रता के निर्णय लेने से आता है, भीड़ का अनुसरण करने से नहीं।
अपनी प्रक्रिया पर डटे रहें। जोखिम को सक्रियता से प्रबंधित करें और याद रखेः बड़ी गलतियों से बचना उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि विजेताओं को पहचानना। अनुशासन और धैर्य दोनोंके संयोग से बात बनती है।
पहली बार निवेश करने वाले व्यक्ति को अभी से इक्विटी पोर्टफोलियो कैसे बनाने शुरू करना चाहिए?
व्यवस्थित निवेश योजनाएं (एसआईपी) इसकी शुरुआत करने का अनुशासित तरीका है। पहली बार निवेश करने वालों को सिर्फ स्वचालन से आगे जाना चाहिए। मेरी सलाह : अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश के नजरिये को समझने से शुरुआत करें। फिर उच्च-गुणवत्ता, विविधतापूर्ण इक्विटी रणनीतियों के साथ मुख्य पोर्टफोलियो बनाएं। यह या तो अच्छी तरह से प्रबंधित म्युचुअल फंडों या पेशेवर पीएमएस समाधानों के जरिए हो सकता है। लंबी अवधि में चक्रवृद्धि के हिसाब से मिलने वाले लाभ पर ध्यान दें। बाजार की टाइमिंग से बचें और चक्रों के दौरान निवेशित रहें। रुझानों का पीछा करने से ज्यादा शिक्षा और निरंतरता मायने रखती है।
क्या खुदरा निवेशकों को साल 2025 की बाकी अवधि में सतर्क बने रहना चाहिए?
2024-25 की जनवरी-मार्च तिमाही में खुदरा प्रत्यक्ष इक्विटी स्वामित्व में गिरावट बढ़ती सावधानी को बताती है, जिसकी वजह मिड और स्मॉलकैप में उतार-चढ़ाव और व्यापक वैश्विक अनिश्चितताएं हैं। हालांकि कुल मिलाकर घरेलू सहभागिता मजबूत बनी हुई है, जिससे संकेत मिलता गहै कि खुदरा निवेशक ज्यादा विवेक के साथ निवेश कर रहे हैं।
हालांकि यह सतर्क रुख निकट भविष्य में जारी रह सकता है, लेकिन बेहतर होते आर्थिक संकेतकों जैसे मुद्रास्फीति में कमी और सहायक मौद्रिक नीति धीरे-धीरे भरोसा बहाल कर सकती हैं और 2025-26 तक खुदरा निवेशकों में नए सिरे से दिलचस्पी पैदा कर सकती हैं।