Indian Stock market: भारत के स्टॉक मार्केट ने पहली बार साउथ एशियाई देश हांगकांग के शेयर बाजार को पीछे छोड़ दिया है। विकास संभावनाओं और नीतिगत सुधारों ने भारतीय शेयर बाजार को निवेशकों का प्रिय बना दिया है।
ब्लूमबर्ग की तरफ से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, भारतीय एक्सचेंजों पर लिस्टेड शेयरों का कुल वेल्यू मूल्य सोमवार को बंद होने तक 4.33 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि हांगकांग का 4.29 ट्रिलियन डॉलर था।
इसी के साथ भारतीय शयार बाजार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बना गया। घरेलू स्टॉक मार्केट का शेयर मार्केट कैप 5 दिसंबर, 2023 को पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर को पार पहुंच गया था। इसमें से से लगभग आधी या 2 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप पिछले चार वर्षों में बढ़ा है।
तेजी से बढ़ते रिटेल निवेशकों के आधार और मजबूत कॉर्पोरेट इनकम के कारण भारतीय इक्विटी बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भारत ने दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन के विकल्प के रूप में खुद को स्थापित किया है और साथ ही वैश्विक निवेशकों और कंपनियों से नई कैपिटल को आकर्षित कर रहा है।
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इसका श्रेय भारत में पूरी तरह से स्थिर राजनीतिक व्यवस्था और उपभोग संचालित अर्थव्यवस्था को जाता है, जो दुनिया के प्रमुख देशों के बीच सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी बनी हुई है।
एक तरफ जहां भारतीय शेयरों में लगातार तेजी आ रही है, दूसरी तरफ हांगकांग की स्टॉक मार्केट में ऐतिहासिक गिरावट देखी जा रही है। हांगकांग के शेयर बाजार में चीन की कुछ सबसे प्रभावशाली और इनोवेटिव कंपनियां लिस्ट हैं।
बता दें चीन के कोविड-19 को लेकर कड़े प्रतिबंध, कंपनियों पर रेगुलेटरी बॉडीज की कार्रवाई, संपत्ति क्षेत्र में संकट और पश्चिम के साथ भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारणों ने मिलकर दुनिया के विकास इंजन के रूप में चीन की रुतबे को खत्म कर दिया है।
चीन और हांगकांग के शेयरों का टोटल मार्केट वेल्यू 2021 में अपने पिक लेवल के बाद से 6 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा लुढ़क चुका है।
हांगकांग के शेयर बाजार में नई कंपनियों लिस्टिंग सूख गई है। एशिया का फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले बाजार आईपीओ के लिए दुनिया के सबसे व्यस्त रहने वाले बाजारों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को भी खो रहा है।
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बता दें कि विदेशी फंडों ने 2023 में भारतीय शेयरों में 21 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया, जिससे देश के बेंचमार्क एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स को लगातार आठवें साल बढ़त हासिल करने में मदद मिली। कोरोना महामारी के बाद से रिटेल ट्रेडिंग में आए उछाल से भी भारत में निवेश को बहुत अधिक बढ़ावा मिला है।
भारत के एक्सचेंजों पर लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (MCap) तीन साल से भी कम समय में 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा बढ़ गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार दक्षिण एशिया के साथ-साथ उभरती दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में से एक के रूप में उभरा है।