निफ्टी और सेंसेक्स में सबसे अधिक भार रखने वाले एचडीएफसी के शेयर में एकाएक तेज गिरावट ने देसी शेयर बाजार को भी धड़ाम कर दिया। इससे दलाल पथ को आज करीब 18 महीने में सबसे बुरा कारोबारी दिन देखना पड़ा, जब सेंसेक्स 1,628 अंक या 2.2 फीसदी लुढ़ककर 71,501 पर बंद हुआ। इससे पहले सेंसेक्स में ऐसी गिरावट 13 जून, 2022 को ही देखी गई थी।
निफ्टी की हालत भी बहुत खराब रही और वह 460 अंक (2.1 फीसदी) गिरकर 21,572 पर बंद हुआ। इस सूचकांक में भी 16 जून, 2022 के बाद इतनी अधिक गिरावट आई। दिसंबर तिमाही में उम्मीद से बहुत कम नतीजे देने वाले एचडीएफसी बैंक का शेयर आज 8 फीसदी से भी ज्यादा गिर गया। सेंसेक्स में उसका भार 14.7 फीसदी और निफ्टी में 12.7 फीसदी है।
दोनों सूचकांकों को हुए कुल नुकसान में से आधे से ज्यादा इसी शेयर की वजह से हुआ।
एचडीएफसी बैंक में गिरावट का खमियाजा दूसरे बैंकिंग शेयरों को भी भुगतना पड़ा। निफ्टी बैंक इंडेक्स 4.3 फीसदी गिरा, जो 7 मार्च, 2022 के बाद सबसे ज्यादा गिरावट है। एचडीएफसी बैंक का निफ्टी बैंक इंडेक्स में 29 फीसदी भार है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने आज शेयरों से 10,578 करोड़ रुपये निकाल लिए।
देसी बाजारों से एक ही दिन में इतनी ज्यादा बिकवाली कभी नहीं हुई। ज्यादातर बिकवाली एचडीएफसी बैंक के शेयरों की हुई, जहां एफपीआई निवेश का काफी बड़ा हिस्सा है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर एचडीएफसी बैंक के 13,319 करोड़ रुपये के शेयर बेचे-खरीदे गए।
एचडीएफसी बैंक का शुद्ध मुनाफा तो अनुमान के मुताबिक ही रहा, इसका शुद्ध ब्याज मार्जिन घट गया। विश्लेषकों ने कहा कि मूल कंपनी एचडीएफसी के साथ विलय के बाद बैंक आय वृद्धि को रफ्तार देने में मुश्किल महसूस कर रहा है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के एक नोट में कहा गया, ‘इस तिमाही के बाद वृद्धि की वजहें कम ही रही हैं। हम समझ रहे थे कि विलय के बाद शुद्ध ब्याज मार्जिन एकदम नीचे जाकर उबर आएगा मगर यह समझने में काफी वक्त लग गया है कि यह कहां तक गिरेगा और कितनी तेजी से चढ़ेगा।’
अमेरिकी सरकारी बॉन्डों की यील्ड बढ़ने से भी निवेशकों का हौसला कमजोर हुआ है और चिंता उभर आई है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व उम्मीद के मुताबिक रफ्तार से ब्याज दर घटाएगा या नहीं।
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की अध्यक्ष क्रिस्टीन लगार्ड और प्रशासन परिषद के सदस्य क्लास नॉट ने आज कहा कि तेजी से दर कटौती महंगाई के खिलाफ जंग में मददगार नहीं होगी। यह सुनकर भी निवेशकों का मनोबल कम हुआ है। एक दिन पहले ही फेडरल रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वॉलर ने कहा कि दरों में कटौती सावधानी के साथ और तरीके से होनी चाहिए। वॉलर ने कहा कि महंगाई में धीरे-धीरे कमी आने और आर्थिक गतिविधि अच्छी होने के कारण दरों में जल्द कटौती की कोई जरूरत नहीं है।
ब्रिटेन में 10 महीने में पहली बार मुद्रास्फीति बढ़ी है, जिसके बाद बैंक ऑफ इंगलैंड द्वारा दर कटौती की निवेशकों की उम्मीद पहले से कम हो गई है। चीन के आर्थिक आंकड़ों में भी किसी तरह की उम्मीद नजर नहीं आई, जिसकी वजह से एशियाई बाजारों में गिरावट रही।
अवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स ऑल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्य अधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बाजार को एचडीएफसी बैंक के नतीजों का इतना असर पड़ने की उम्मीद नहीं थी। हालांकि आसमान नहीं गिर गया है। हर किसी को उम्मीद थी कि यह आखिरी तिमाही होगी, जब शुद्ध ब्याज मार्जि घटेगा मगर ऐसा नहीं हुआ है और बाजार को यही बात अच्छी नहीं लगी। बाजार के पास चढ़ने की अभी कोई असली वजह नहीं है। उस पर फेड और ईसीबी के अधिकारियों ने कहा है कि ब्याज दरों में कटौती जल्द नहीं होगी। इसका मतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक भी दूसरे केंद्रीय बैंकों से पहले दर कटौती शायद ही करेगा।’
10 साल में परिपक्व होने वाले अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड इस महीने की शुरुआत में 3.9 फीसदी थी मगर आज यह 4.11 फीसदी पर पहुंच गई। बाजार में उतार-चढ़ाव की थाह लेने वाला इंडिया वीआईएक्स भी आज मार्च, 2023 के बाद सबसे अधिक ऊंचाई पर पहुंच गया और आखिर में 15.08 पर बंद हुआ।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘बाजार को अभी तक रफ्तार दे रहे सभी सकारात्मक पहलू अब भी बने हुए हैं। आम तौर पर इतनी तेज और ज्यादा गिरावट के बाद अगले दिन बाजार थोड़ा चढ़ता है।