विश्लेषकों का मानना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बुधवार को की गई कटौती उम्मीद से बेहतर है। लेकिन शेयर बाजारों में इस फैसले से पहले ही इसका सकारात्मक असर दिख चुका था। दर कटौती का उत्साह खत्म होते ही बाजार की नजर अब भारतीय कॉरपोरेट आय और अमेरिकी टैरिफ पर केंद्रित होगी। विश्लेषकों का कहना है कि अहम बात यह होगी कि कंपनियां जीएसटी की घटी दरों का फायदा ग्राहकों तक कितना जल्द पहुंचाती हैं।
अगर इस कदम पर सही से अमल किया गया तो इससे बाजार धारणा और उपभोक्ताओं के खर्च दोनों में सुधार आ सकता है। कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह का कहना है कि जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने से आने वाली तिमाहियों में अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव कम होगा। जीएसटी परिषद ने बुधवार को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो-स्तरीय कर व्यवस्था को मंजूरी दे दी और कथित ‘नुकसानदेह’ वस्तुओं पर कर बढ़ा दिया।
बर्नस्टीन के विश्लेषकों ने कहा कि दरों में कटौती, खासकर रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) पर उनकी सोच से कहीं ज्यादा है। शैम्पू, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट और साबुन जैसी दैनिक जरूरत वाली वस्तुओं पर जीएसटी की दर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत करना स्पष्ट रूप से सकारात्मक आश्चर्य है क्योंकि इन श्रेणियों में दरें ऊंची रहने की उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी शून्य करने से इसके दायरे में सुधार होगा।
बर्नस्टीन के विश्लेषकों ने कहा कि शुरुआती स्तर की मोटरसाइकल जैसी ‘ज्यादा पैठ’ वाली श्रेणियों में अपेक्षाकृत धीमी मांग देखी जा सकती है जबकि एयर कंडीशनर जैसे विवेकाधीन सामान में बड़ी मात्रा में वृद्धि हो सकती है।
बर्नस्टीन के प्रबंध निदेशक और भारत में अनुसंधान प्रमुख वेणुगोपाल गैरे ने निखिल अरेला के साथ मिलकर लिखे एक नोट में कहा, ‘उपभोक्ता शेयरों में पहले से ही मूल्यांकन महंगा लग रहा है, हम संपूर्ण उपभोक्ता क्षेत्र की संरचनात्मक बहु-वर्षीय पुनः रेटिंग के बजाय आय की गति से संचालित संबंधित शेयरों में निरंतर संभावित वृद्धि देख रहे हैं।’ गुरुवार को निफ्टी ऑटो और निफ्टी एफएमसीजी सूचकांकों में सबसे ज्यादा बढ़त दर्ज की गई। इनमें इंट्राडे सौदों में करीब 1.6 और 1.1 प्रतिशत की तेजी आई।