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ट्रंप टैरिफ के बाद गहरा सकती है FPI की बिकवाली, वापसी की उम्मीद फेड दर कटौती से जुड़ी

एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के अनुसार जुलाई के अंत तक भारत से एफपीआई ने 10.3 अरब डॉलर की बिकवाली की है।

Last Updated- August 07, 2025 | 10:03 PM IST
FPI Selling

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने से भारतीय बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली और बढ़ सकती है। उभरते बाजारों (ईएम) की तुलना में उनकी भारत से पहले से ही सबसे अधिक निकासी हो रही है। एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के अनुसार जुलाई के अंत तक भारत से एफपीआई ने 10.3 अरब डॉलर की बिकवाली की है। एनएसई के आंकड़ों के अनुसार पिछले 13 कारोबारी सत्रों में वैश्विक फंडों ने 40,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। विश्लेषकों ने इस रुझान के लिए मोटे तौर पर ट्रंप की टैरिफ नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया। ट्रंप ने बुधवार को रूसी तेल खरीदने पर भारत पर टैरिफ दोगुना यानी 50 फीसदी कर दिया।

उनका मानना है कि जून तिमाही में कंपनियों की कमजोर आय और जेन स्ट्रीट के घटनाक्रमों के बीच भारतीय बाजारों (निफ्टी 50) का मूल्यांकन एक साल आगे की आय के 22.3 गुना पर होने से पिछले कुछ हफ्तों में भी भारत के प्रति एफपीआई का मनोबल प्रभावित हुआ है। विशलेषकों का कहना है कि फिर भी भारतीय बाजारों में विदेशी निवेश की आवक को लेकर उम्मीद की एकमात्र किरण अमेरिकी फेडरल रिजर्व का दर कटौती है। साथ ही, अगली कुछ तिमाहियों में भारतीय कंपनियों की आय में सुधार होने पर तुलनात्मक रूप से मूल्यांकन में सहजता से भी उनका निवेश बढ़ सकता है।

आईएनवीऐसेट पीएमएस में पार्टनर और फंड मैनेजर अनिरुद्ध गर्ग के अनुसार देश की संरचनात्मक मजबूती के कारण दीर्घकालिक पूंजी भारत में निवेश के लिए प्रतिबद्ध बनी हुई है। लेकिन निकट भविष्य में एफपीआई सतर्क रह सकते हैं। स्पष्टता होने तक जोखिम-प्रतिफल उन कंपनियों में मिल सकता है जो नकदी समृद्ध हैं और घरेलू हैं।

डीआरचोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा, ट्रंप ने दूसरी बार कार्यभार संभाला तो एफपीआई दो महीने तक बिकवाल रहे क्योंकि आगे की नीतियों को लेकर अनिश्चितता थी लेकिन वे बाद में बाजार लौटे। ऐसी ही स्थिति इस बार भी देखने को मिल कती है। चोकसी ने कहा, लगातार बिकवाली से एफपीआई की होल्डिंग घट रही है। हालांकि देसी म्युचुअल फंडों के इस बिकवाली के दबाव की भरपाई करने की संभावना है।

चीन के बाजार का रुख

एएसके हेज सॉल्युशंस के मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी ने कहा, उभरते बाजारों में एफपीआई अपना कुछ निवेश भारत से निकालकर चीन ले जा रहे हैं लेकिन यह पोर्टफोलियो को दोबारा संतुलित करने का मामला है, न कि कुछ और। उन्होंने कहा, ईएम बास्केट में भारत का भारांश करीब 20 फीसदी है, ऐसे में उभरते बाजारों में आने वाले निवेश का उचित हिस्सा भारत में भी आने की संभावना है।

विश्लेषकों ने कहा, एफपीआई का निवेश भारतीय बाजार में तब लौट सकता है जब फेड ब्याज दरों में कटौती शुरू करेगा जो सितंबर से संभव है। सांघवी ने कहा, हमें इस साल दो बार 25-25 आधार अंकों की ब्याज कटौती की संभावना लग रही है जो उभरते बाजारों खास तौर से भारत में ठीक-ठाक निवेश लाने के लिए पर्याप्त होंगी।

वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक और प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्धन जयपुरिया के मुताबिक मूल्यांकन के लिहाज से कंपनियों की आय में सुधार जरूरी होगा ताकि यह आकर्षक बन सके और इस वजह से भारतीय इक्विटी में निवेश फिर से आ सके। साल 2026 में आय में सुधार दिखाने वाला पहला क्षेत्र बैंकिंग हो सकता है, जिससे बाजार को मूल्यांकन को संतोषजनक बनाने में मदद मिलेगी। जयपुरिया ने कहा, दूसरी ओर अगर अन्य उभरते बाजारों में तेजी आती है और भारतीय बाजार सीमित दायरे में रहते हैं तो भारतीय शेयर आकर्षक लग सकते हैं और विदेशी रकम खींच सकते हैं।

First Published - August 7, 2025 | 9:59 PM IST

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