जिन शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अपना निवेश बढ़ाया, उनमें रिटेल, बीमा तथा म्युचुअल फंडों जैसे अन्य निवेशक वर्गों की खरीदारी वाले शेयरों के मुकाबले ज्यादा तेजी दर्ज की गई।
प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम द्वारा कराए गए विश्लेषण के अनुसार, एफपीआई ने जून 2023 में समाप्त तीन महीने की अवधि के दौरान 687 एनएसई सूचीबद्ध कंपनियों में अपनी शेयरधारिता बढ़ाई।
इन कंपनियों के लिए औसत शेयर कीमत वृद्धि जून तिमाही के दौरान करीब 30 प्रतिशत थी, जबकि निफ्टी-500 में 13 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
इस बीच, 908 कंपनियों (जिनमें रिटेल शेयरधारकों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई) के लिए औसत शेयर कीमत वृद्धि करीब 21 प्रतिशत थी। सबसे कम वृद्धि उन 50 शेयरों में दर्ज की गई जिनमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने अपनी हिस्सेदारी महज 12 प्रतिशत तक बढ़ाई। उन 885 कंपनियां ऐसी थीं, जिनमें रिटेल निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी घटाई, लेकिन उनके शेयर भाव 28 प्रतिशत तक चढ़े।
साथ ही, 608 शेयर ऐसे थे, जिनमें एफपीआई ने अपना निवेश घटाया, लेकिन उनकी शेयर कीमतें 21 प्रतिशत तक बढ़ीं।
शेयरधारिता और कीमत बदलावों की तुलना से पता चलता है कि वैश्विक निवेशकों का शेयर भाव पर व्यापक असर पड़ता है। अप्रैल और जून के बीच, एफपीआई ने घरेलू शेयरों में करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया।
उन्होंने वित्तीय सेवा क्षेत्र में करीब 44,000 करोड़ रुपये और वाहन क्षेत्र में 16,818 करोड़ रुपये का निवेश किया। प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि एफपीआई ने जून तिमाही के दौरान आईटी शेयरों से 9,376 करोड़ रुपये की निकासी की।
वित्त वर्ष 2024 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान, निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज और निफ्टी ऑटो सूचकांकों में 11 प्रतिशत और 23.7 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई, जबकि निफ्टी आईटी में 3 प्रतिशत का इजाफा हुआ।