अमेरिका की प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर प्रतिबंध का भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग वॉल्यूम पर असर पड़ रहा है। सोमवार को एनएसई पर वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) कारोबार 91.4 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले 12 सोमवार के औसत कारोबार से 26 फीसदी कम है। इसी तरह शुक्रवार का टर्नओवर (जब सेबी की पाबंदी लागू हुई) पिछले 12 शुक्रवार के मुकाबले 9 फीसदी गिर गया।
एफऐंडओ वॉल्यूम आमतौर पर मंगलवार और गुरुवार को सर्वोच्च स्तर पर पहुंचता है क्योंकि उन दिन सेंसक्स और निफ्टी के साप्ताहिक अनुबंधों की एक्सपायरी होती है। विशेषज्ञों ने आगाह किया कि बाजार पर इसके पूरे असर का अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन कुछ साप्ताहिक एक्सपायरी से थोड़ी बहुत स्पष्टता मिलेगी। जेन स्ट्रीट जैसी प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग फर्म की डेरिवेटिव टर्नओवर में 60 फीसदी हिस्सेदारी है और ऑप्शंस में खासी मौजूदगी के साथ उसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है।
वॉल्यूम को बढ़ाने में प्रोप्राइटरी फर्मों, खासतौर पर जेन स्ट्रीट की अहम भूमिका रही है। ब्रोकिंग उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि बाजार में हेराफेरी पर लगाम कसने के लिए नियामक की सख्त जांच से अल्पावधि में ट्रेडिंग गतिविधियों पर और चोट पहुंचा सकती है। उनका मानना है कि लेकिन लंबी अवधि में इससे बाजार बेहतर स्थिति में हो सकता है जहां खुदरा की भागीदारी बढ़ेगी और छोटे निवेशकों की लाभ की संभावना में सुधार होगा।
सितंबर के 537 लाख करोड़ रुपये के सर्वोच्च स्तर से एफऐंडओ का रोजाना का औसत कारोबार इक्विटी में 35 फीसदी घटकर जून में 346 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस कारोबार पर सेबी की सख्ती का असर पड़ा जिसने बाजार में हेराफेरी और अत्यधिक सटोरिया गतिविधियों पर लगाम कसी।