अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर कटौती के बाद वैश्विक बाजार में सकारात्मक बदलाव आया और शुक्रवार को बेंचमार्क सूचकांकों ने तेजी दर्ज करते हुए अपनी साप्ताहिक गिरावट को कुछ हद तक कम कर लिया। सेंसेक्स 450 अंक यानी 0.5 फीसदी बढ़कर 85,268 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 148 अंक यानी 0.6 फीसदी के इजाफे के साथ 26,047 पर टिका। पिछले दो कारोबारी सत्रों में तेजी के बावजूद उच्च स्तर पर लगातार मुनाफावसूली के कारण दोनों सूचकांकों में साप्ताहिक आधार पर 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
फेडरल रिजर्व ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपनी ओवरनाइट लेंडिंग रेट में 25 आधार अंक की कमी की, लेकिन आगे और नरमी पर विराम का संकेत देते हुए कहा कि वह अतिरिक्त समायोजन पर विचार करने से पहले आने वाले आंकड़ों का सावधानीपूर्वक आकलन करेगा। इस अनुमान से वैश्विक स्तर पर तेजी से नरमी के चक्र की उम्मीदें घट गईं, लेकिन इसके बावजूद जोखिम उठाने की भावना को बल मिला।
हालांकि, मुद्रा पर दबाव जारी रहा। अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और एफपीआई की लगातार बिकवाली के कारण सत्र के दौरान रुपया 90.56 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। यह 90.42 पर बंद हुआ जिससे डॉलर के मुकाबले इसकी सालाना गिरावट 5.3 फीसदी हो गई।
कंपनियों की कमजोर आय और व्यापार वार्ताओं पर संदेह के बीच एफपीआई ने 2025 में अब तक 1.6 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जिसमें अकेले दिसंबर में हुई 17,955 करोड़ रुपये की बिकवाली शामिल है। अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ से राहत पाने की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से बात की।
भारतीय शेयर बाजार साल भर सुस्त आय और व्यापारिक तनाव से जूझता रहा है। उम्मीद से बेहतर दूसरी तिमाही के नतीजों और संभावित व्यापार समझौते की उम्मीदों के बीच हाल के महीनों में तेजी आई है और जब भी सूचकांक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे, बार-बार हुई मुनाफावसूली ने तेजी को रोक दिया है। अक्टूबर से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से जुड़े शेयरों से दूरी और वैश्विक स्तर पर समन्वित नरमी के चक्र की उम्मीदों ने बाजार को सहारा दिया है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के अनुसंधान प्रमुख विनोद नायर ने कहा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कटौती के बाद वैश्विक जोखिम लेने की प्रवृत्ति में सुधार हुआ है। इससे तरलता को लेकर आशावाद बढ़ा है और रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने और एफपीआई की लगातार निकासी के बावजूद घरेलू शेयर बाजारों में तेजी आई है।
ऑटो, धातु, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और रियल एस्टेट सेक्टर में सबसे अधिक बढ़त हुई जबकि एफएमसीजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन कमजोर रहा। व्यापक सूचकांकों में खरीदारी का रुझान दिख रहा है और हालिया मजबूती के बाद इनमें उछाल आई है।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत रहा। बीएसई पर 2,552 शेयर चढ़े जबकि 1,642 में गिरावट आई।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (अनुसंधान) अजित मिश्र ने कहा, निफ्टी ने 20 दिन के मूविंग एवरेज के अनुरूप 25,950 के पास तात्कालिक प्रतिरोध स्तर को निर्णायक रूप से पार कर लिया है। इस स्तर से ऊपर बने रहना रिकवरी को आगे बढ़ाने और रिकॉर्ड ऊंचाई की ओर फिर से बढ़ने के लिहाज से अहम होगा। हम बैंकिंग, ऑटो, मेटल और फार्मा सेक्टरों को प्राथमिकता देते हुए शेयर विशेष में ट्रेडिंग की रणनीति अपनाने की बात कहते हैं। इसके साथ-साथ अन्य सेक्टरों में चुनिंदा अवसरों को खोजते हैं।
सेंसेक्स में शामिल शेयरों में एयरटेल के शेयरों में 1.5 फीसदी की वृद्धि हुई और उसने सूचकांक की बढ़त में सबसे अधिक योगदान दिया। इसके बाद लार्सन ऐंड टुब्रो का स्थान रहा जिसके शेयरों में 1.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एचयूएल और आईटीसी के शेयरों में क्रमशः 1.9 और 0.6 फीसदी की गिरावट आई और उन्होंने बाजार के प्रदर्शन पर सबसे नकारात्मक असर डाला।