ILLUSTRATION: AJAY MOHANTY
बाजार में आगामी आम चुनावों में नरेंद्र मोदी नीति राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के जीतने की संभावनाओं का असर पहले ही दिख चुका है और विश्लेषकों का मानना है कि चुनावों तक बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव नतीजों से ज्यादा बाजार की नजर इस बार वित्त वर्ष 2025 के बजट प्रस्तावों पर है जिनको इस साल जून-जुलाई में नई सरकार पेश कर सकती है।
जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड का कहना है कि मोदी के नेतृत्व वाला एनडीए रिकॉर्ड संख्या में सीटें जीतने का लक्ष्य से बहुत दूर नहीं है। वुड ने कहा है, ‘यह मान लेना चाहिए कि नरेंद्र मोदी का लक्ष्य अपनी पार्टी भाजपा के लिए ज्यादा संख्या में सीटें हासिल करना होगा। ऐसा चुनावी परिणाम आना अब ज्यादा चुनौतीपूर्ण नहीं लग रहा है। जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है, 1947 में भारत में आजादी के बाद से ही राजनीतिक दबदबा रखने वाली इस पार्टी को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है।’
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने शनिवार को घोषणा की कि 18वीं लोक सभा के लिए मतदान 19 अप्रैल को शुरू होगा और 1 जून तक सात चरणों में पूरा किया जाएगा। मतों की गणना 4 जून होनी है।
कोटक सिक्योरिटीज में शोध के कार्यकारी उपाध्यक्ष (प्राइवेट क्लाइंट ग्रुप) श्रीकांत एस चौहान ने कहा, ‘मेरा मानना है कि बाजार एनडीए की जीत मानकर चल रहा है। यही वजह है कि बाजार विश्लेषकों की दिलचस्पी कम महंगे शेयरों और थीम-केंद्रित कंपनियों में खरीद की है। इसके अलावा निवेशक पूरे बजट का परिणाम के भी इच्छुक हैं और यह भी कि जून में अमेरिकी फेड दर कटौती करेगा या नहीं।’
भले ही आगामी लोक सभा चुनावों में एनडीए की जीत का असर बाजार में दिख चुका है, लेकिन एचएसबीसी के विश्लेषकों का मानना है कि बाजार चुनाव परिणाम आने तक अस्थिर बने रहेगा। उनका मानना है कि बाजार मूल्यांकन उभरते बाजारों के मुकाबले महंगा है लेकिन अभी भी, खासकर लार्जकैप क्षेत्र में अवसर बने हुए हैं।
आस्क हेज सॉल्युशंस के मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी के अनुसार जून-जुलाई में आगामी बजट में ध्यान देने के लिहाज से मुख्य क्षेत्र कराधान हो सकता है। उनका कहना है कि सरकार संतुलित वृद्धि को ध्यान में रखकर संपूर्ण इक्विटी एवं डेट सेगमेंट के पूंजीगत लाभ ढांचे में बदलाव कर सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि सरकार द्वारा पहले निर्धारित सुधार एजेंडे की निरंतरता और बुनियादी ढांचे एवं पूंजीगत वस्तु क्षेत्रों को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। इन क्षेत्रों में न केवल सड़क बुनियादी ढांचे या निर्माण कंपनियां शामिल हैं बल्कि रेलवे, रक्षा और बंदरगाह भी शामिल हैं जो निवेशकों के लिए उभरते निवेश विकल्प हैं।
कोटक सिक्योरिटीज के चौहान का कहना है, ‘सरकार पूंजीगत खर्च के लिए प्रतिबद्ध है और अगर निजी कंपनियां निवेश शुरू करती हैं तो इस क्षेत्र की रेटिंग में सुधार की संभावना है।’
नोमुरा में भारत के लिए इक्विटी रिसर्च के प्रमुख एवं प्रबंध निदेशक सायन मुखर्जी का भी मानना है कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अगर लोक सभा चुनाव के बाद सत्ता में फिर से आती है तो वह बड़े सुधारात्मक कदम उठा सकती है।