शेयर बाजार

कमजोर तिमाही में भी रही बर्जर की चमक, पेंट सेक्टर पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा का दबाव बरकरार

प्रमुख पेंट शेयर तीन महीने से लेकर दो साल तक की अवधि में बेंचमार्क सूचकांकों और सेक्टर के प्रतिस्पर्धियों (बीएसई एफएमसीजी और बीएसई कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी) से लगातार पीछे रहे है

Published by
राम प्रसाद साहू   
Last Updated- May 18, 2025 | 9:43 PM IST

वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सूचीबद्ध पेंट कंपनियों ने एक बार फिर कमजोर प्रदर्शन दर्ज किया। चौथी तिमाही में इस क्षेत्र की कंपनियों की औसत राजस्व वृद्धि 3 फीसदी पर सिमट गई। कमजोर बिक्री से बाजार दिग्गज एशियन पेंट्स पर दबाव पड़ा और सालाना आधार पर गिरावट दर्ज करने वाली यह एकमात्र दिग्गज रही। एशियन पेंट्स को छोड़कर शेष क्षेत्र ने 5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।

प्रमुख पेंट शेयर तीन महीने से लेकर दो साल तक की अवधि में बेंचमार्क सूचकांकों और सेक्टर के प्रतिस्पर्धियों (बीएसई एफएमसीजी और बीएसई कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी) से लगातार पीछे रहे हैं। कमजोर मांग और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण ब्रोकर इन पर सतर्क हैं।

इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद पेंट शेयर अभी भी महंगे भाव पर हैं। औसतन, इस सेक्टर के शेयर वित्त वर्ष 2026 की अपनी अनुमानित आय के 30 गुना पर कारोबार कर रहे हैं जबकि एशियन पेंट्स तथा बर्जर पेंट्स के लिए यह आंकड़ा 50 गुना है। यह उनके 10 वर्षीय औसत मल्टीपल के लगभग अनुरूप है।

बर्जर चौथी तिमाही में सबसे दमदार प्रदर्शन करने वाली कंपनी के तौर पर उभरी है। देश की दूसरे नंबर की पेंट निर्माता ने पांच तिमाहियों में सबसे दमदार राजस्व वृद्धि (7.2 फीसदी) दर्ज की है। इसके विपरीत एशियन पेंट्स के राजस्व में 4 फीसदी की गिरावट आई जबकि कंसाई नैरोलैक पेंट्स और एक्जोनोबेल इंडिया ने 3-5 फीसदी के बीच नरम वृद्धि दर्ज की।

बर्जर की राजस्व बढ़ोतरी लगातार दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत की वृद्धि की बदौलत हुई। तुलना करें तो एशियन पेंट्स ने महज 1.8 फीसदी की बिक्री वृद्धि दर्ज की जो लगातार तीसरी तिमाही में उसका कमजोर आंकड़ा है। शहरी मांग में सुस्ती तथा बिड़ला ओपस पेंट्स के बाजार में आने से शुरू हुई कीमत प्रतिस्पर्धा का कंपनी पर दबाव पड़ा। इस बीच, बर्जर को बेहतर उत्पाद मिश्रण से लाभ मिला, प्रीमियम इमल्शन की मांग बढ़ी और मूल्य प्राप्ति सकारात्मक हुई।

बर्जर के डेकोरेटिव सेगमेंट ने 4.4 फीसदी की वैल्यू वृद्धि (तीसरी तिमाही में सपाट) के साथ फिर से सुधार दर्ज किया और मूल्य-बिक्री अंतर घटाकर 3 फीसदी पर सीमित किया। यह वृद्धि प्रीमियम मिश्रण और मामूली मूल्य वृद्धि के कारण हुई। एलारा कैपिटल के विश्लेषक अमित पुरोहित ने कहा कि यह सुधार उपभोक्ता धारणा में सुस्ती के बावजूद देखा गया है, जिसे शहरी बाजारों पर बर्जर के फोकस और नई श्रेणी में लाभ से मदद मिली है।

बर्जर ने इकॉनमी सेगमेंट में अपना दांव सीमित रखने का निर्णय लिया है। शहरी क्षेत्रों में इसकी पहुंच और बिक्री टीम के विस्तार ने भी इसे अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकलने में मदद की।

कंपनी ने एशियन पेंट्स और अन्य से अपनी हिस्सेदारी वापस हासिल कर ली है, मेट्रो बाजारों में बढ़त के साथ (जहां पहले इसका प्रतिनिधित्व कम था) व्यापक वितरण सुधारों से भी कंपनी को अब ताकत मिल रही है। निर्मल बांग रिसर्च के विश्लेषकों कृष्णन सांबमूर्ति और सनी भद्र का कहना है कि ताजा प्रतिस्पर्धा के बीच वित्त वर्ष 2026 और उसके बाद उसकी बढ़त बरकरार रह पाएंगी या नहीं, यह देखने की जरूरत होगी।

कोटक रिसर्च भी बर्जर के शेयर में बढ़ोतरी पर उत्साहित है और उसने ओपस के आक्रामक प्रयास के बावजूद इसके मार्जिन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। बर्जर ने वृद्धि की राह सुधरने और अल्पावधि में कंपनी का परिचालन मार्जिन 15-17 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। कोटक रिसर्च बढ़ती प्रतिस्पर्धा (ग्रासिम और एक्जो के पेंट डिवीजन बेचने में कमी समेत) को देखते हुए सतर्क है।

वित्त वर्ष 2025 पर कमजोर बाजार हालात और नई और पुरानी कंपनियों दोनों की कड़ी प्रतिस्पर्धा का असर पड़ा था। एशियन पेंट्स के प्रबंधन को वित्त वर्ष 2026 में मांग सुधरने की उम्मीद है और उसने एक अंक की बिक्री वृद्धि का अनुमान जताया है। हालांकि नोमूरा रिसर्च ने लगातार कमजोर मांग का हवाला देते हुए एशियन पेंट्स के लिए वित्त वर्ष 2026-वित्त वर्ष 2027 का आय अनुमान 6-8 फीसदी तक घटा दिया है और शेयर पर ‘तटस्थ’ रुख बरकरार रखा है।

जहां कई ब्रोकर इस क्षेत्र पर सतर्क बने हुए हैं, वहीं इलारा सिक्योरिटीज ने कंसाई नेरोलैक को अपग्रेड किया है। हालांकि इसकी बिक्री वृद्धि अभी भी धीमी है। लेकिन छह महीनों में शेयर में 9 फीसदी गिरावट के बाद अब इसमें कुछ बढ़त की संभावना दिख रही है जिसका कारण इसका उचित भाव माना जा रहा है।

First Published : May 18, 2025 | 9:43 PM IST