शेयर बाजार

टैरिफ की चिंता से बैंक शेयर दुबले, निफ्टी बैंक इंडेक्स अगस्त में 3.7% गिरा

इसके अलावा 2 जुलाई को 57,628.40 के अपने 52-सप्ताह के ऊंचे स्तर से निफ्टी बैंक सूचकांक में 3,626 अंक या 6.3 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई

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निकिता वशिष्ठ   
Last Updated- September 01, 2025 | 11:12 PM IST

निफ्टी बैंक सूचकांक में लगातार गिरावट भारतीय शेयर बाजारों के लिए कुछ समय से चिंता का सबब रही है। 21 से 29 अगस्त के बीच जब अमेरिकी टैरिफ की चिंताएं बाजारों में बहुत ज्यादा थीं तो इस सूचकांक में 2,100 अंक या 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई थी। अमेरिका ने 27 अगस्त को भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ और लगा दिया।

इसके अलावा 2 जुलाई को 57,628.40 के अपने 52-सप्ताह के ऊंचे स्तर से निफ्टी बैंक सूचकांक में 3,626 अंक या 6.3 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है। इसकी तुलना में निफ्टी 50 सूचकांक इस दौरान 3.2 अंक नीचे आया है। इलारा कैपिटल के विश्लेषकों के अनुसार अगर भारी-भरकम अमेरिकी टैरिफ बरकरार रहे तो भारतीय बैंकों में फंसे कर्ज की समस्या और बढ़ सकती है।

सेक्टर में जोखिम

कपड़ा, चमड़ा और रत्न एवं आभूषण ऊंचे टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले तीन सेक्टर हैं। इलारा के अनुसार इन क्षेत्रों (केवल अमेरिकी निर्यातकों को ही नहीं) में दिए गए ऋण बैंकिंग प्रणाली के ऋणों का लगभग 2 प्रतिशत हैं। ब्रोकरेज ने कहा, ‘यदि इन सेक्टर को दिए गए ऋणों की वसूली में समस्या होने लगी तो बैंकिंग प्रणाली में फंसे कर्ज में 4-7 आधार अंक तक तक इजाफा हो सकता है। इसके अलावा, अगर इन खातों से जुड़े बैंकों में नौकरियां जाती हैं तो कम आकार के असुरक्षित ऋणों पर और ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है।’

बड़े निजी बैंकों की बात करें तो एचडीएफसी बैंक का कपड़ा क्षेत्र में ऋण जोखिम सबसे अधिक 1.8 प्रतिशत है। यह जोखिम आईसीआईसीआई बैंक का 1.1 प्रतिशत और ऐ​क्सिस बैंक का 1.2 प्रतिशत है। मझोले आकार के निजी बैंकों में सिटी यूनियन बैंक का कपड़ा क्षेत्र में 7.6 प्रतिशत जोखिम है, उसके बाद करूर वैश्य बैंक (5.5 प्रतिशत) और फेडरल बैंक (2.6 प्रतिशत) का स्थान है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में केनरा बैंक, इंडियन बैंक और यूनियन बैंक में सबसे अधिक जोखिम है।

इस बीच वैश्विक ब्रोकरेज फर्म यूबीएस का मानना ​​है कि बैंकों द्वारा कपड़ा और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को दिए गए ऋण सिस्टम क्रेडिट का क्रमशः 1.5 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत हैं। हालांकि यह साफ नहीं है कि इन क्षेत्रों में अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित ऋणों का कितना हिस्सा है। यूबीएस ने कहा, ‘अगर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू रहा तो वित्त वर्ष 2027 में ऋण वृद्धि के लिए -100 आधार अंक और ऋण लागत के लिए +10 आधार अंक की कमजोरी का अनुमान है।’

विश्लेषकों ने आगाह किया है कि ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध के कारण बैंकिंग क्षेत्र को पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो में कुछ अस्थायी अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है, खासकर इसलिए कि वेतनभोगी वर्ग का इन क्षेत्रों में उचित अनुपात में हिस्सा है। उन्होंने निवेशकों को भविष्य में बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) पर नजर बनाए रखने की सलाह दी है।

आय परिदृश्य

केयरएज रेटिंग्स के एक विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में ​शेड्यूल्ड कम​र्शियल बैंकों (एससीबी) का शुद्ध लाभ सालाना आाधर पर 3.1 फीसदी तक बढ़कर 0.92 लाख करोड़ रुपये हो गया। सेगमेंट के हिसाब से बात करें तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 10.9 प्रतिशत बढ़कर 0.47 लाख करोड़ रुपये हो गया। निजी बैंकों का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 3.9 प्रतिशत घटकर 0.45 लाख करोड़ रुपये रह गया।

केयरएज ने कहा कि लाभप्रदता को ट्रेजरी आय से सहारा मिला जिसने धीमी व्यावसायिक वृद्धि और मार्जिन दबाव की भरपाई की। 10-वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों का प्रतिफल दिसंबर, 2024 में 6.8 प्रतिशत से घटकर जुलाई, 2025 में 6.3 प्रतिशत रह गया। मोतीलाल ओसवाल फाइनैं​शियल सर्विसेज ने आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और भारतीय स्टेट बैंक को अपने प्रमुख दांव के रूप में चुना है।

First Published : September 1, 2025 | 11:02 PM IST