संवत 2076 निवेशकों के लिए जबरदस्त उतार-चढ़ाव वाला वर्ष साबित हुआ। इस हिंदू कैलेंडर वर्ष में 40 प्रतिशत तक फिसलने के बाद बीएसई सेंसेक्स में अप्रत्याशित तेजी आई है। सूचकांक में उछाल से निवेशकों को मोटी रकम कमाने में मदद मिली। शुक्रवार को 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 43,443 अंक पर बंद हुआ और संवत वर्ष में 11.2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज करने में सफल रहा। दूसरी तरफ, एनएसई निफ्टी 9.8 प्रतिशत की तेजी के साथ 12,720 अंक पर बंद हुआ। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत और कोविड-19 महामारी के टीके की खोज में प्रगति के बाद इस महीने बाजार में करीब 10 प्रतिशत उछाल आई है। इस तरह, निवेशकों को एक ऐसे वर्ष में अपनी बढ़त के आंकड़े मजबूत करने में मदद मिली जब कोविड-19 संकट के कारण बाजार में भारी बिकवाली दिखी थी। मार्च के निचले स्तर के बाद बेंचमार्क सूचकांक 70 प्रतिशत उछलकर अपने सर्वकालिक स्तर पर पहुंच चुके हैं।
संवत 2065 (वर्ष 2009) के बाद यह बाजार में आई अब तक सर्वाधिक तेजी है।
मोतीलाल फाइनैंशियल सर्विसेस के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने कहा, ‘संवत 2076 एक अनोखा वर्ष रहा है। इस वर्ष बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद तेजी से लुढ़का और फिर यह दोबारा ऊंचे स्तरों पर पहुंच गया।
मोतीलाल फाइनैंशियल सर्विसेस के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन रामदेव अग्रवाल इस वर्ष लीमन ब्रदर्स संकट, 2001-02 और 1991-92 के वित्तीय संकट की झलक दिखी। एक बड़ी बिकवाली के बाद बाजार में लिवाली का मजबूत दौर शुरू हो गया।’ हालांकि इस बार बाजार में गिरावट और फिर वापसी दोनों तेज रही। दुनिया के केंद्रीय बैंकों की तरफ से दिए गए वित्तीय प्रोत्साहन, खासकर अमेरिका के फेडरल रिवर्ज की तरफ से उठए गए कदमों से बाजार को खासी ताकत मिली।
हालांकि देश की अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान और कंपनियों की आय में सेंध लगने के बाद पी/ई अनुपात में वृद्धि के मद्देनजर कई लोग बाजार में गिरावट के बाद आई तेजी को संदेह की दृष्टि से देख रहे थे।
