भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जुलाई में दो महत्त्वपूर्ण फैसलों पर अपनी मुहर लगा सकता है।
इनमें आईपीओ के लिए अभिदान यानी सब्सक्रिप्शन के लिए आईपीओ बंद होने की तिथि और लिस्टिंग के बीच लगने वाले समय को कम करना और क्वालिफाइड इंस्टियूशनल बायर्स (क्यूआईबी) सहित सभी श्रेणियों के निवेशकों से आईपीओ आवेदन के दौरान पूरा भुगतान करने की मांग शामिल है।
इस समय क्यूआईबी को आईपीओ में सब्सक्रिप्शन कराने के लिए कुछ ही मार्जिन का भुगतान (बुक-बिल्डिंग मूल्य-ब्रांड का करीब 10 फीसदी) करना पड़ता है। लेकिन खुदरा निवेशकों को सब्सक्रिप्शन के लिए पूरा भुगतान करना जरुरी है। हालांकि खुदरा निवेशकों को शेयर आवंटित नहीं किए जाने पर आईपीओ के बंद होने के 15 दिनों के भीतर भुगतान की गई राशि को वापस कर दिया जाता है। विदेशी संस्थानों और संस्थागत निवेशकों को ही क्यूआईबी कहा जाता है।
सेबी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सेबी इन दो मुद्दों को जल्द से जल्द निपटाना चाहता है लेकिन सेबी द्वारा अंतिम फैसला जुलाई तक ही लिया जा सकेगा। बहरहाल, इन मुद्दों को लेकर सेबी द्वारा कुछ कागजी कार्रवाई भी की जानी बाकी है। यही नहीं अंतिम फैसले पर मुहर लगने से पहले बोर्ड के समक्ष बाजार के फीडबैक को भी रखा जाएगा। सूत्रों ने बताया, ”जुलाई तक फैसला ले लिया जाएगा।”
सेबी के अध्यक्ष सी. बी. भावे ने हाल ही में सिंगापुर में आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि नियामक (रेगुलेटर) आईपीओ में क्यूआईबी के निवेश संबंधी प्रावधानों में तब्दीली लाना चाहता है।
सूत्रों के मुताबिक क्यूआईबी द्वारा दिए गए फीडबैड के अनुसार उनमें से ज्यादातर लोगों से प्राप्त धन का निवेश करते हैं और आईपीओ के लिए पूरा भुगतान तभी संभव हो सकता है जब देश में शेयर आवंटन और लिस्टिंग प्रक्रिया के बीच लगने वाले समय-सीमा को कम कर दिया जाए। निस्संदेह भारतीय कंपनियों के लिस्टिंग प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए क्यूआईबी द्वारा दिए गए फीडबैक ने नियामक को काफी प्रोत्साहित किया है।
यह भी उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल के शुरू में सेबी की प्राथमिक बाजार समिति (प्राइमरी मार्केट कमिटी) की एक बैठक बुलाई जाएगी। यह समिति आईपीओ के बंद होने की तारीख और उसके लिस्टिंग के बीच के समय को कम करने संबंधी मुद्दों पर चर्चा करेगी। इस समिति के समक्ष चर्चा के लिए तैयार किए गए परामर्श मसौदों को भी पेश किया जाएगा। इस बैठक के आधार पर ही सेबी बोर्ड अपना अंतिम फैसला लेगा।
इसमें कोई शक नहीं कि सेबी द्वारा इस दिशा में उठाए जाने वाले प्रभावशाली कदम से क्यूआईबी और छोटे खुदरा निवेश एक ही पायदान पर खड़े नजर आएंगे। मसलन जब वे दोनों आईपीओ के लिए आवेदन भरेंगे तो उनमें भुगतान को लेकर कोई अंतर नहीं रखा जाएगा।