भारत के वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता बढ़ाने के बड़े कदम के तहत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोमवार को पास्ट रिस्क ऐंड रिटर्न वेरिफिकेशन एजेंसी (पीएआरआरवीए) की शुरुआत की। यह सत्यापन की नई व्यवस्था है, जिसे विनियमित बाजार मध्यस्थों के पिछले प्रदर्शन के दावों को प्रमाणित करने के लिहाज से तैयार किया गया है। केयर रेटिंग्स ने सोमवार को एनएसई के साथ मिलकर प्रायोगिक परियोजना के तौर पर इसकी शुरुआत की।
इसे पेश करने के लिए आयोजित समारोह में सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि पीएआरआरवीए एक अग्रणी व्यवस्था के रूप में काम करेगा। इसमें सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकारों, शोध विश्लेषकों और एल्गोरिथम स्टॉक ब्रोकरों को निवेशकों के लिए स्वतंत्र रूप से सत्यापित पिछले रिटर्न पेश करने की सुविधा मिलेगी।
यह तंत्र फिनफ्लूएंसर्स और भ्रामक दावों से बढ़ते जोखिमों से निपटने के लिए विकसित किया गया है। पांडेय ने प्रतिभूति बाजार में विशेष रूप से फिनफ्लूएंसर्स और अपंजीकृत संस्थाओं के असत्यापित प्रदर्शन दावों को लेकर बढ़ती चिंताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इनमें से कई की बातें अतिरंजित या मनगढ़ंत ट्रैक रिकॉर्ड के माध्यम से निवेशकों को आकर्षित करती हैं, जो अक्सर विनियमित हिस्सों को दबा देती हैं।
सेबी प्रमुख ने कहा कि अगर हम पंजीकृत मध्यस्थों को उनके प्रदर्शन के बारे में जानकारी देने में सक्षम बना सकें (जो कि वैध हो) तो इससे निवेशकों को जानकारी के साथ निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
नए ढांचे के तहत पीएआरआरवीए दो-स्तरीय संरचना के माध्यम से काम करेगा – एक सेबी पंजीकृत क्रेडिट रेटिंग एजेंसी, जो पीएआरआरवीए के रूप में काम करेगी और एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज, जो पीएआरआरवीए डेटा सेंटर (पीडीसी) के रूप में कार्य करेगा।