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विदेशी VC निवेशकों के लिए भी FPI जैसे गवर्नेंस नियम, SEBI ने बराबरी के लिए जारी की अधिसूचना

नए बदलावों में पंजीकरण, पात्रता मानक, आवेदन के लिए जरूरी चीजें, पंजीकरण लागत को उपयुक्त बनाना और नवीनीकरण शुल्क लागू करने से जुड़े नियम शामिल हैं।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 09, 2024 | 9:42 PM IST

बाजार नियामक सेबी ने विदेशी उद्यम पूंजी निवेशकों (एफवीसीआई) के संचालन से संबंधित नियमों को अधिसूचित किया है। इस तरह वे भी अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए तय नियमों से संचालित होंगे। इन संशोधनों के जरिये विदेशी वीसी निवेशकों के पंजीकरण और संचालन व्यवस्था में व्यापक बदलाव किए गए हैं।

5 सितंबर को अधिसूचित नए नियमों के तहत एफवीसीआई को एफपीआई की तरह पंजीकरण व गवर्नेंस की प्रक्रिया डेजिग्नेटेड डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीडीपी) को सौंपनी होगी। इसके अलावा अब उन्हें धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत लाभार्थी स्वामित्व की विस्तृत जानकारी मुहैया करानी होगी।

नए बदलावों में पंजीकरण, पात्रता मानक, आवेदन के लिए जरूरी चीजें, पंजीकरण लागत को उपयुक्त बनाना और नवीनीकरण शुल्क लागू करने से जुड़े नियम शामिल हैं। अभी तक पंजीकरण की प्रक्रिया और ड्यू डिलिजेंस सीधे तौर पर सेबी करता था लेकिन अब निर्धारित डीपी को यह काम सौंपा गया है। ये बदलाव 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होंगे।

सिरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर गजल रावल ने कहा कि नई जरूरतों को अभी लागू होना बाकी है, लेकिन इसके लिए परामर्श प्रक्रिया एक साल से ज्यादा समय से चल रही है। उम्मीद है कि इससे हितधारकों (डीडीपी व एफवीसीआई-नए और मौजूदा) को खुद को नियामकीय अनिवार्यता के हिसाब से तैयार होने का पर्याप्त समय मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि नियामकीय बदलावों के बीच इससे डीडीपी पर अनुपालन का बोझ बढ़ा सकता है लेकिन नए नियमों से गवर्नेंस व पारदर्शिता में इजाफा होगा।

रावल ने कहा कि आवेदन की प्रक्रिया तय समय में एफपीआई की तरह सहज किए जाने की संभावना है। एफवीसीआई के लिए पंजीकरण, पैन का आवंटन और बैंक और डीमैट खाता खोलने के लिए केवाईसी कॉमन फॉर्म के जरिए होगी। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव सेबी की उस कामयाबी को दोहराने की कोशिश है जो उसे एफपीआई के मामले में डीडीपी को जिम्मेदारी सौंपने पर हासिल हुई थी।

निशीथ देसाई एसोसिएट्स की सदस्य (फाइनैंशियल सर्विसेज) रितुल सराफ ने कहा कि सूचनाओं में बदलाव, पंजीकरण का नवीनीकरण और नवीनीकरण के लिए विलंब शुल्क लगाने की खातिर डीडीपी को सूचित करने जैसी अवधारणा एफवीसीआई के लिए शुरू की गई है। यह कदम इंटरमीडियरीज के रोजाना के परिचालन से सीधे तौर पर सेबी का जुड़ाव कम करने की नियामक की व्यापक कोशिशों के तहत है जिससे कि वह इन इकाइयों के लिए नीति बनाने आदि पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर सके।

वित्त वर्ष 24 में 28 नए एफवीसीआई पंजीकृत हुए और मार्च 2024 में इनकी कुल संख्या 279 हो गई। हालांकि उसी वित्त वर्ष में 18 पंजीकरण रद्द किए गए। भारतीय बाजार में एफवीसीआई का कुल निवेश सालाना आधार पर 12 फीसदी बढ़कर 53,922 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जिसमें से सबसे ज्यादा आवंटन प्रौद्योगिकी में हुआ है।

First Published : September 9, 2024 | 9:42 PM IST