Categories: बाजार

एक शेयर में निवेश की सीमा से छूट की नहीं दरकार : सेबी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 10:19 PM IST

बाजार नियामक सेबी को सक्रियता से प्रबंधित म्युचुअल फंडों के लिए किसी एक शेयर में 10 फीसदी निवेश सीमा में छूट देने में किसी तरह की खूबी नजर नहीं आती। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने बुधवार को ये बातें कही।
सीआईआई के एक कार्यक्रम में सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा, 10 फीसदी निवेश सीमा का मतलब विशाखन है। अगर कोई शेयर उम्दा प्रदर्शन कर रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि आप उसमें निवेश की सीमा बढ़ा दें। यह तो वही हुआ कि कोई शेयर चढ़ गया है और आपको उसमें ज्यादा निवेश की अनुमति मिल गई। विशाखन के लिए 10 फीसदी की निवेश सीमा बनी रहेगी।
म्युचुअल फंड उद्योग ने बेंचमार्क सेंसेक्स व निफ्टी सूचकांकों के बराबर रिटर्न हासिल करने के मामले में पैदा हुई चुनौतियों को रेखांकित किया है क्योकि भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का भारांक बेंचमार्क में करीब 15 फीसदी हो गया है।
म्युचुअल फंड उद्योग निकाय एम्फी ने हाल में कहा था, निस्संदेह प्रदर्शन के मोर्चे पर चुनौतियां हैं क्योंकि सूचकांकों में किसी शेयर के लिए सीमा नहीं है, वहीं म्युचुअल फंड योजनाओं के लिए किसी एक शेयर में निवेश की सीमा 10 फीसदी है।
कारोबारी निपटान चक्र घटाकर टी+1 किए जाने के मामले में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा परिचालन से जुड़ी चुनौतियां सामने रखे जाने के मामले में त्यागी ने कहा, जल्द निपटान हर किसी के हित में है। इससे नकदी बढ़ाने और मार्जिन घटाने में मदद मिलेगी। यह किसी का तर्क नहीं हो सकता कि वह इसका निपटान देर से करना चाहते हैं। समय के अंतर व अन्य वजह से एफपीआई व कस्टोडियन के संदर्भ में परिचालन से जुड़े कुछ मसले हैं। हम किसी चीज पर अंतिम फैसला लेने से पहले हर किसी की राय व सुझाव लेंगे।
ब्रोकरों की तरफ से डिफॉल्ट के बढ़ते मामलों पर त्यागी ने कहा कि सेबी जल्द ही इस पर कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि निवेशक सुरक्षा कोष में पड़ी हुई रकम में इजाफा करने का मतलब बनता है। त्यागी ने कहा, मैं इससे सहमत हूं कि निवेशक सुरक्षा कोष की रकम अपर्याप्त है। हमने जांच की है और इस कोष की रकम बढ़ाने की लेकर स्टॉक एक्सचेंजों के साथ विचार-विमर्श कर कदम उठाएंगे। हम इसकी अनुमति नहींं देंगे कि ब्रोकर की तरफ से डिफॉल्ट से भुगतान मेंं देर हो।
त्यागी ने यह भी कहा कि ब्रोकिंग उद्योग के लिए पूंजी पर्याप्तता पर उद्योग की कंपनियों के प्रस्ताव में खूबियां हैं। त्यागी ने कहा, इस व्यवस्था में हर तरह के ब्रोकर हैं। नेटवर्थ की अनिवार्यता करीब एक दशक पहले तय की गई थी। ऐसे में इस क्षेत्र में सुधार की दरकार है। हम इसकी जांच करेंगे।
सेबी प्रमुख ने कहा कि डिलिवरी आधारित कारोबार को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नियामक ने इंट्रा़-डे कारोबार के लिए अग्रिम मार्जिन बढ़ाने का नियम लागू किया है, जो दिसंबर से लागू होगा। यह सटोरिया गतिविधियों में कमी लाएगा।
त्यागी ने स्वतंत्र निदेशकों के इस्तीफे पर चिंता जताई। स्वतंत्र निदेशक का मसला है और इस पर हम प्रयास कर रहे हैं। अल्पांश शेयरधारकोंं की आवाज होती है। किस हद तक उन्हें जवाबदेह होना चाहिए और वे बोर्ड के ढांचे में किस तरह फिट होंगे और किस तरह के लोगों की नियुक्ति होनी चाहिए।
त्यागी ने क हा कि निदेशक का पद छोड़ रहे लोगो को सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट कारण बताना चाहिए। उन्होंंने प्रवर्तकों को सामान्य शेयरधारकों के तौर पर दोबारा वर्गीकृत करने के मामले में नियमों के अंतिम रूप देने की खातिर उद्योग से मदद की अपील की। त्यागी ने कहा कि यह विवादास्पद मसला बना हुआ है।

First Published : October 22, 2020 | 12:12 AM IST