अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गुरुवार को बढ़ोतरी दर्ज हुई जब भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में और विदेशी मुद्रा आकर्षित करने के लिए कई कदमों का ऐलान किया। डॉलर के मुकाबले रुपया 79.18 पर टिका, जो बुधवार को 79.30 प्रति डॉलर पर रहा था। कारोबार के दौरान स्थानीय मुद्रा 78.90 से 79.26 प्रति डॉलर के दायरे में रही।
बुधवार को आरबीआई ने विदेशी मुद्रा के प्रवाह को और उदार बनाने के लिए कई कदमों का ऐलान किया। इन कदमों में नियामकीय ढील और विदेशी मुद्रा की जमाओं पर ज्यादा ब्याज देने पेशकश और विशिष्ट सरकारी बॉन्डों में ज्यादा विदेशी निवेश की इजाजत शामिल है। कंपनियों को भी बाह्य वाणिज्यिक उधारी के जरिये ज्यादा विदेशी फंडों जुटाने की इजाजत दी गई है।
केंद्रीय बैंक के कदम ऐसे समय में देखने को मिल रहे हैं जब भारत का चालू खाते का घाटा कच्चे तेल की ज्यादा कीमत और इक्विटी से विदेशी निवेशकों की रिकॉर्ड निकासी से बढ़ रहा है। जून में मासिक व्यापार घाटा रिकॉर्ड 2.56 अरब डॉलर रहा। इस हफ्ते कमजोर रहा रुपया, डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर को छू गया और साल 2022 में अब तक 6.1 फीसदी टूटा है।
यह गिरावट हालांकि साल 2013 के घटनाक्रम के दौर में हुई गिरावट से कम है, लेकिन डीलरों ने कहा कि आरबीआई ने इसलिए कदमों की घोषणा की क्योंकि विदेशी निवेशक इक्विटी बिकवाली में कमी के कोई संकेत नहीं दे रहे थे।
ब्याज बढ़ाने की अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक योजना ने भारतीय इक्विटी से निकासी बढ़ा दी क्योंकि निवेशक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ चले।
इस कैलेंडर वर्ष में अब तक एफपीआई देसी शेयरों के 28.8 अरब डॉलर के बिकवाल रहे हैं जबकि साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान उनकी बिकवाली 11.9 अरब डॉलर की रही थी।
करेंसी डीलर इन कदमों के कारण आने वाली विदेशी पूंजी को लेकर संशय जता रहे हैं क्योंकि बढ़त की चिंता व यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी डॉलर हासिल करने की वैश्विक होड़ जारी है।
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स अभी 20 साल के उच्चस्तर 107 के आसपास है। छह प्रतिस्पर्धी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की माप करने वाला इंडेक्स गुरुवार को 107.14 के उच्चस्तर पर पहुंच गया, जो एक दिन पहले 107.10 पर बंद हुआ था।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, आरबीआई की घोषणा के बाद रुपये की प्रतिक्रिया सुस्त रही क्योंकि बाजार अभी भी दुविधा में है कि क्या आने वाली विदेशी मुद्रा मौजूदा पूंजी निकासी से आगे निकल जाएगी जब वैश्विक अर्थव्यवस्था नरम हो रही है। रुपये की दिशा पूंजी के प्रवाह, कैरी ट्रेड, केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप व देसी व वैश्विक आर्थिक माहौल पर निर्भर करेगी। तकनीकी स्तर के आधार पर विश्लेषक डॉलर के मुकाबले रुपये को 79.40-79.80 पर देख रहे हैं, जबकि यह 78.50 से 78.85 तक चढ़ सकता है। रुपये में हालांकि बढ़ोतरी हुई, लेकिन सरकारी बॉन्डों पर गुरुवार को चोट पड़ी क्योंकि अमेरिकी प्रतिफल सख्त हुआ। डीलरों ने यह जानकारी दी।
10 वर्षीय बेंचमार्क 6.54 फीसदी 2032 की प्रतिभूतियों पर प्रतिफल छह आधार अंक चढ़कर 7.35 फीसदी पर बंद हुआ।
