पिछले सात हफ्तों के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरावट के बाद रुपया मजबूत हो रहा है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हस्तक्षेप और अन्य कारकों से इसे मदद मिल रही है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 21 जुलाई को गिरकर 80.06 पर आ गया था। दो दिन पहले ही इसने पहली बार मनोवैज्ञानिक रूप से महत्त्वपूर्ण प्रति डॉलर 80 का निशान पार किया था। लेकिन इसके बाद से रुपये ने इस निशान को पार नहीं किया, बल्कि इसके बजाय इसमें मजबूती आई। मंगलवार को यह प्रति डॉलर 79.78 रुपये पर बंद हुआ।
21 जुलाई के बाद से तीन कारोबारी दिनों के दौरान रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 0.2 प्रतिशत की मजबूती आई है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि दो महीने की उथल-पुथल के बाद रुपया शांत हो सकता है।
1 जून से 21 जुलाई तक 37 कारोबारी दिनों के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है। डॉलर के मुकाबले रुपये का यह अवमूल्यन उभरते बाजारों में मलेशियाई रिंगित और इंडोनेशियाई रुपये जैसी मुद्राओं की तुलना में बदतर था।
दुनिया भर में आर्थिक मंदी की चिंताओं के बीच विनिमय दर में इस अस्थिरता की एक बड़ी वजह अमेरिकी डॉलर लिए उमड़ी वैश्विक होड़ रही। आर्थिक मंदी की इस आशंका को यूक्रेन युद्ध और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाने की योजना से बल मिला था।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर को मापता है, 14 जुलाई को 20 साल के शीर्ष स्तर 108.54 तक पहुंच गया था।
डॉलर में मजबूती और अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी के आसार के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयरों में बिकवाली का दबाव बढ़ा दिया। उन्होंने जून में 6.4 अरब डॉलर के शेयरों की बिक्री की, जो वर्ष 2022 में अब तक की सर्वाधिक मासिक निकासी रही।
ऐसा लगता है कि अब यह दृष्टिकोण बदल गया है। जुलाई में एफपीआई भारतीय शेयरों के शुद्ध खरीदार बन गए, हालांकि यह मामूली राशि थी। एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने जुलाई में अब तक 5.3 करोड़ डॉलर के घरेलू शेयर खरीदे हैं। विदेशी निवेशक सितंबर 2021 से हर महीने शेयरों के शुद्ध बिकवाल रहे हैं।
‘दर वृद्धि कर सकती है मौद्रिक नीति समिति’
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने मंगलवार को कहा कि उसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की आगामी बैठक में नीतिगत दर में उल्लेखनीय वृद्धि किए जाने की उम्मीद है। यह आकलन एमपीसी की बैठक के एक सप्ताह पहले आया है।
रेटिंग एजेंसी ने हाल की एक रिपोर्ट में कहा कि ज्यादा महंगाई दर पर प्रतिक्रिया देने में रिजर्व बैंक आफ न्यूजीलैंड विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों में सबसे आगे रहा है। ज्यादा बढ़ोतरी की शुरुआत के साथ भारतीय रिजर्व बैंक ने बाद में दरों में बढ़ोतरी सुस्त कर दी। बीएस