अमेरिकी संसद में फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से पहले निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता प्रभावित होने से डॉलर के मुकाबले रुपया आज सर्वकालिक निचले स्तर पर फिसल गया।
वित्तीय बाजार दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति के सख्त बनाए जाने के संकेत का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, वहीं निवेशक उभरते बाजारों की मुद्राओं से अपना निवेश निकालकर अमेरिकी डॉलर में लगा रहे हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपया 31 पैसे घटकर 78.39 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। मंगलवार को रुपया 78.08 पर बंद हुआ था। दिन के कारोबार में रुपया और नीचे आ गया था। इससे पहले 13 जून को रुपया 78.28 के निचले स्तर पर बंद हुआ था। इस माह की शुरुआत में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 75 आधार अंक की बढ़ोतरी की थी और अब जुलाई में प्रस्तावित अगली बैठक में भी दर बढ़ाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में पॉवेल के बयान से इसका अंदाजा लगाने में मदद मिलेगी कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक चार दशक के उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए मौद्रिक नीति को किस हद तक सख्त बनाता है। 2022 में अब तक फेडरल रिजर्व ब्याज दर में 150 आधार अंक का इजाफा कर चुका है।
भारत में बाजार बंद होने तक अमेरिकी डॉलर सूचकांक 104.54 पर कारोबार कर रहा था। दिन के दौरान सूचकांक 104.95 के उच्च स्तर को छू गया था। पिछले सत्र में यह 104.44 पर बंद हुआ था। इसी सूचकांक के आधार पर छह प्रमुख मुद्राओं का आकलन किया जाता है।
एक मुद्रा डीलर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि तेल मार्केटिंग कंपनियों की तरफ से बैंकों द्वारा डॉलर की सतत लिवाली से रुपये में गिरावट का रुख बना हुआ है। हालांकि कच्चे तेल के दाम में थोड़ी नरमी आई है। ब्रेंट क्रूड वायदा 1.33 डॉलर नरम होकर 113.32 डॉलर प्रति बैरल पर करोबार कर रहा था।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही कच्चे तेल के दाम में तेजी बनी हुई है। इससे भारत के चालू खाते का घाटा और मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बना हुआ है। एक ट्रेडर ने कहा कि विदेशी बैंक भी अपने विदेशी निवेशकों की ओर से डॉलर की खरीद कर रहे हैं क्योंकि निवेशक भारत में अपना निवेश घटाने की संभावना देख रहे हैं।
एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने 2.08 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है। इंडिया रेटिंग्स के निदेशक सौम्यजित नियोगी ने कहा कि भारत के लिए यह दोहरी मार है। एक तरफ दरें बढ़ रही हैं और दूसरी ओर रुपये में नरमी बनी हुई है।
डीलरों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए संभवत: हस्तक्षेप किया है। मुद्रा डीलरों के अनुसार आरबीआई ने 78.24 से 78.25 के स्तर पर डॉलर की बिकवाली की थी।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा कि निकट अवधि में रुपये को 78.85 पर प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है और 77.60 पर उसे समर्थन मिल सकता है।