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नियामक ने म्युचुअल फंडों के लिए मतदान किया अनिवार्य

Last Updated- December 12, 2022 | 7:26 AM IST

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने देसी म्युचुअल फंडों के लिए उन कंपनियों के प्रस्ताव पर मतदान अनिवार्य कर दिया है, जहां उसका निवेश है। अप्रैल 2021 से म्युचुअल फंडों को अहम प्रस्तावों पर अनिवार्य रूप से मतदान करना होगा। इनमें विलय, कॉरपोरेट पुनर्गठन, पूंजी ढांचे में बदलाव, स्टॉक ऑप्शन योजना, निदेशकों की नियुक्ति व विदाई और कंपनी दायित्व के मसले शामिल है।
अप्रैल 2022 से म्युचुअल फंडों को सभी प्रस्तावों पर मतदान करना होगा। एक अनुमान के मुताबिक, अभी म्युचुअल फंड 10 फीसदी प्रस्तावों पर मतदान से अनुपस्थित रहते हैं। एक दशक पहले वे 80-90 फीसदी प्रस्तावों पर मतदान से अनुपस्थित रहते थे।
विशेषज्ञों ने कहा कि सेबी के कदम से कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानकों में सुधार में मदद मिलेगी। हालांकि म्युचुअल फंडों को यह महज सामान्य कवायद के तौर पर नहीं करना चाहिए बल्कि कंपनियों के साथ जुड़ाव रखना चाहिए।
साल 2019 में म्युचुअल फंडों ने 5 फीसदी से भी कम प्रस्तावों के खिलाफ मतदान किया था। सेबी ने एक परिपत्र में कहा, फंड मैनेजरों-फैसला लेने वालों को ट्रस्टी के पास तिमाही आधार पर घोषणा पत्र जमा कराना चाहिए कि उनकी तरफ से किया गया मतदान किसी चीज से प्रभावित नहीं है बल्कि यह यूनिटधारकों के सर्वोच्च हित में किया गया है। इसके अलावा ट्रस्टी को सेबी के पास जमा कराई जाने वाली अपनी अर्धवार्षिक ट्रस्टी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि करनी चाहिए।
सेबी ने कहा है कि मतदान फंड हाउस के स्तर पर होना चाहिए। हालांकि योजना के स्तर पर कुछ मामलों में भी इसकी अनुमति दी जाएगी।
एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों में म्युचुअल फंडों का स्वामित्व करीब 7.5 फीसदी है।

First Published - March 5, 2021 | 11:25 PM IST

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