भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को नीतिगत रीपो दर को तत्काल प्रभाव से 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया। देश के डेट फंड मैनेजरों का कहना है कि निवेशकों को आगे दरों में अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद करनी चाहिए और उन्हें पूंजी बाजार की योजनाओं, फ्लोटिंग रेट फंडों और लक्षित परिपक्वता अवधि वाले फंडों में निवेश करना चाहिए।
ट्रस्ट म्युचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला का कहना है, ‘विभिन्न परिपक्वता अवधि वाले डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) को आज नुकसान होगा। हालांकि, कोई भी दो साल की परिपक्वता वाले फंडों में निवेश शुरू कर सकता है, विशेष रूप से ट्रस्ट एमएफ बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड जैसे रोल डाउन फंड में प्रतिफल अब 6.25 फीसदी होगा। सितंबर ऐसा महीना है जब बॉन्ड बाजारों में अधिकांश उथल-पुथल काफी हद तक खत्म हो जाएगी और सितंबर 2022 में लॉन्ग बॉन्ड फंडों में निवेश किया जा सकता है।’
बुधवार को, 10 साल के जी-सेक का प्रतिफल सोमवार के 7.1 प्रतिशत के मुकाबले 7.4 प्रतिशत पर समाप्त हुआ। पिछले एक साल में, मनी मार्केट फंड्स, अति लघु अवधि वाले और डायनेमिक बॉन्ड जैसी कुछ डेट श्रेणियों ने 3 प्रतिशत की सीमा में रिटर्न दिया है। ऐक्सिस म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम
के प्रमुख आर शिवकुमार कहते हैं, ‘ऐसा लगता है कि आरबीआई अगले 12 महीनों के भीतर नकदी की स्थिति को सामान्य करना चाहता है और संभवत: रिपो दर को मुद्रास्फीति की दर से ऊपर बढ़ाना चाहेगा।’
जनवरी-मार्च 2023 में मुद्रास्फीति के औसतन लगभग 5.1 प्रतिशत होने का अनुमान है। ऐसा लगता है कि आरबीआई रीपो दरों को महामारी से पहले के स्तर पर कम से कम 5.15 प्रतिशत पर वापस जाने देने का संकेत दे रहा है।
