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केयर्न इंडिया: तेल में खेल

Last Updated- December 05, 2022 | 5:30 PM IST

विदेशी मुद्रा में हुए 212 करोड़ रुपये के घाटे के कारण 1,012 करोड़ रुपये की कंपनी केयर्न इंडिया को दिसंबर 2007 को समाप्त हुए वर्ष में 24.5 करोड़ रुपये की समेकित शुध्द हानि हुई है।


अपने साल भर के परिरचालन में केयर्न औसत 74.5 डॉलर प्रति बैरल की वसूली करने में सफल रही है। सोमवार को इसके शेयर की कीमत में 2.6 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 224 रुपये के स्तर पर आ गया। यद्यपि, इस साल की शुरुआत से बाजार में इसके स्टॉक का प्रदर्शन बेहतर रहा है जिसका श्रेय वैश्विक स्तर पर क्रूड तेल की कीमतों में आने वाले उछाल को जाता है।


केयर्न एक तेल उत्पादक कंपनी है जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को तेल बेचती है। ओएनजीसी या गेल की तरह यह पेट्रोल जैसे खुदरा उत्पाद की विपणन कंपनियों, जो उपभोक्ताओं से लाभ लेकर उत्पाद बेचती हैं, से आने वाले सब्सिडी के भार को नहीं बांटती है।


कैलेंडर वर्ष 2007 के दिसंबर 2007 में, केयर्न ने परिचालन से 1012.26 करोड़ रुपये की समेकित आय दर्ज की जबकि परिचालन लाभ या ब्याज कर, ऋण अदायगी और अवमूल्यन कीमतों से पहले और कर्जमाफी को छोड़ कर होने वाला लाभ 416 करोड़ रुपये था। तेल और तेल के  तुलनीय उत्पादों में केयर्न और इसके संयुक्त उद्यम के साझेदारों की हिस्सेदारी 18,689 बैरल प्रति दिन की थी।


राजस्थान में तेल क्षेत्र के विकास और उसके पाइपलाइन नेटवर्क के लिए केयर्न की योजना 7,200 करोड़ रुपये खर्च करने की है। खर्च के 70 प्रतिशत हिस्से का वहन केयर्न इंडिया करेगी जबकि शेष का वहन ओएनजीसी करेगी जिसकी तेल क्षेत्रों में 30 फीसदी की हिस्सेदारी है।


कैलेंडर वर्ष 2009 के उत्तरार्ध्द में केयर्न को अपने राजस्थान के तेल क्षेत्र से लाभ उठाने में सक्षम चाहिए। राजस्थान के तेल क्षेत्र को विकसित करने हेतु कोष की व्यवस्था के लिए केयर्न ने हाल ही में 224.30 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से पेट्रोनास और ओरियंट ग्लोबल टैमारिंड फंड से 2,534 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस कंपनी की कैश पोजीशन लगभग 1,738 करोड़ रुपये की है और अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2008 में इसे लाभ होगा।


बैंक शेयर: मंदी का डर


देश में बढ़ती महंगाई की परिस्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाला बैंक आईडीबीआई बैंक है। शनिवार को बैंक ने अपनी बेंचमार्क प्रधान उधारी दर में आधा प्रतिशत की प्रस्तावित कटौती को वापस ले लिया है।


केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बजाए अब चर्चा इस बात की ओर जा रही है कि बैंकों के नगद सुरक्षित अनुपात में कितनी वृध्दि होनी चाहिए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के बैंक सूचकांक (बैंकेक्स) में सोमवार को 6 प्रतिशत की गिरावट आई। आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के शेयरों की कीमत में क्रमश: 8 प्रतिशत और 6 प्रतिशत की गिरावट आई।


इसके अतिरिक्त कंपनियों को मार्च 2007 में फॉरेक्स घाटे को मार्क-टु-मार्केट करने की जरूरत आ पड़ी है, निवेशक यह सोच कर चिंतित हो रहे हैं कि कुछ बैंक कंपनियों के बकाये से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकते हैं। होम लोन उपलब्ध कराने वाला मुख्य बैंक एचडीएफसी सर्वाधिक घाटे में था, इसमें लगभग नौ प्रतिशत की गिरावट आई (2,384 रुपये), निवेशक इसके कुछ विदेशी निवेश को लेकर चिंतित हैं।


हो सकता है कि फॉरेक्स डेरिवेटिव से होने वाले घाटे को बढ़ा-चढ़ा कर देखा जा रहा हो, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बैंकों पर इसका कितना बड़ा प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, ब्याज दरों के प्रभाव से ऋण-वृध्दि में होने वाली संभावित मंदी की चिंता आशानुरूप नहीं है और इसे समझा जा सकता है।


अन्य बैंक भी अब ब्याज दरें कम नहीं करेंगे और इससे ऋण-वृध्दि पर प्रभाव पड़ेगा जो मार्च 2007 में 28 प्रतिशत था और अब घट कर लगभग 22 प्रतिशत रह गया है।
इसके अलावा जमा में भी मंथर गति, 23 प्रतिशत, से वृध्दि हो रही है जबकि पिछले वर्ष यह लगभग 25 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि बैंक को अपने लोन बुक के विकास के लिए जमा दरों में वृध्दि करनी पड़ सकती है।


इसके अतिरिक्त मार्च की तिमाही में खुदरा पोर्टफोलियो में गैर-निष्पादित ऋण की मात्रा बढ़ सकती है। इस साल की शुरूआत से इंडियन बैंक का प्रदर्शन विस्तृत बाजार की तुलना में 10 प्रतिशत कम रहा है और ऐसी ही दशा बने रहने की उम्मीद है।

First Published - April 1, 2008 | 11:37 PM IST

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