बाजार कारोबारियों का कहना है कि बुधवार से पीक मार्जिन जरूरतों के चौथे और आखिरी चरण पर अमल से कारोबार की मात्रा में बहुत ज्यादा कमी आने का अनुमान नहीं है, लेकिन इससे बाजार धारणा प्रभावित हो सकती है, जिससे लागत प्रभाव महसूस किया जा सकता है।
जीरोधा के संस्थापक और कार्याधिकारी नितिन कामत ने कहा, ‘जहां बाजार तेजी की वजह से कारोबार के संदर्भ में तेजी से बढ़े हैं, लेकिन बाजार धारणा पिछले साल के दौरान ही प्रभावित हुई। कई नए ग्राहक ऐसे निवेशक होते हैं जो मुख्य तौर पर खरीदारी करते हैं और निवेश को बनाए रखते हैं। वे बाजार में तरलता नहीं बढ़ा रहे हैं, जैसा कि कारोबारी करते हैं।’ उन्होंने कहा कि इससे ऊंची लागत का प्रभाव दिखेगा और सभी तरह के बाजार कारोबारी प्रभावित होंगे।
चूड़ीवाला सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आलोक चूड़ीवाला ने कहा, ‘अतिरिक्त मार्जिन नियमों की वजह से कुछ बीटीएसटी (बाई-टु-सेल-टुमॉरो) सौदे प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन काफी हद तक बाजार के न्यूनतम व्यवधान के साथ आगे बढ़ते की संभावना है।’ चौथे चरण पर अमल से व्यवस्था में जोखिम और कर्ज घटाने में मदद मिलेगी और दीर्घावधि में ज्यादा कारोबारी आएंगे। विश्लेषकों का कहना है कि ग्राहक चूक जोखिम सबसे कम है।
चूड़ीवाला ने कहा, ‘व्यवस्था में कुल कर्ज घटेगा और व्यापार को पूंजी से मदद मिलेगी। पारंपरिक ब्रोकरों के साथ अपने खाते रखने वाले कई बड़े निवेशकों ने अपने शेयर गिरवी रखकर अपनी समस्याओं का समाधान निकाला है।’
विश्लेषकों का मानना है कि नए पीक मार्जिन मानकों की वजह से अनिश्चित तौर पर दूसरे क्रम का प्रभाव पड़ा है। कामत ने कहा, ‘ऋण लेने वाले और पर्याप्त मार्जिन से वंचित इंट्राडे कारोबारी शेयर, वायदा और शॉर्ट ऑप्शन से हटकर ऐसे ऑप्शन खरीदने पर जोर दे रहे हैं जिनमें काफी ज्यादा जोखिम है। एक्सचेंज पर कुल सौदों के प्रतिशत के तौर पर दैनिक ऑप्शन ट्रेडिंग की कुल संख्या अब सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है।’
ब्रोकरों को नए मानकों के क्रियान्वयन में कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ा है। कुछ दिन पहले, ब्रोकरों के संगठन एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएमएनआई) ने बाजार नियामक सेबी को लिखे पत्र में कहा कि नए मानकों की वजह से कारोबारी सदस्यों पर गैर-जरूरी जुर्माने को बढ़ावा मिल रहा है। उन्हें ग्राहक द्वारा सौदे करने से पहले भी अग्रिम रकम लेना जरूरी हो गया है।
एनएमआई के अनुसार, सदस्यों को पीक मार्जिन जुर्माना (वृद्घि की स्थिति में) ग्राहक पर डालने की अनुमति दी जानी चाहिए।पीक मार्जिन मानकों को दिसंबर 2020 से चरणबद्घ तरीके से अमल में लाया गया है।