अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने ऊंची मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए मार्च में ब्याज दर बढ़ाने का संकेत दिया है, जिसके बाद निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों से अपना निवेश निकालने में जुट गए हैं। इसी वजह से आज सुबह के कारोबार में बंबई स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क सेंसेक्स 1,419 अंक तक लुढ़क गया। मगर बाद में इसने अच्छी वापसी की और नुकसान की काफी भरपाई करने के बाद 581 अंक की गिरावट के साथ 57,277 पर बंद हुआ। निफ्टी भी कारोबार के दौरान 16,867 तक फिसल गया था किंतु कारोबार की समाप्ति पर यह 167 अंक नीचे 17,110 पर बंद हुआ। फेडरल रिजर्व के सतर्क रुख के बीच अधिकतर वैश्विक बाजारों में भी गिरावट देखी गई।
दो दिवसीय बैठक के बाद फेडरल रिजर्व के बयान ने ब्याज दरें बढ़ाने की बुनियाद तैयार कर दी है। फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिका की मजबूत अर्थव्यवस्था को अब उदार मौद्रिक समर्थन की जरूरत नहीं है। अमेरिका का केंद्रीय बैंक कोविड महामारी की चोट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए मार्च 2020 से ही ब्याज दरों को शून्य के करीब बनाए हुए है। नरम मौद्रिक नीति और बॉन्ड खरीद कार्यक्रम से इक्विटी बाजार और क्रिप्टो जैसी जोखिम वाली संपत्तियों में निवेशकों ने खूब दांव लगाया। लेकिन नीतियों में सख्ती लाने के फेड के निर्णय से शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है।
बैंक ऑफ अमेरिका में वैश्विक आर्थिक शोध के प्रमुख एथन हैरिस ने कहा, ‘फेडरल रिजर्व ओमीक्रोन पर नजर बनाए हुए है और जनवरी तथा फरवरी के कमजोर आंकड़ों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा..लेकिन इस साल दरों में चार बार बढ़ोतरी किए जाने का जोखिम है।’
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘फेडरल रिजर्व ने दर बढ़ाने का मन बना लिया है और मार्च तक ऐसा हो सकता है। इसके बाद मौद्रिक नीति लगातार सख्त होगी। बाजार उम्मीद कर रहा था कि ओमीक्रोन के मामले बढऩे से मौद्रिक नीति उतनी सख्त नहीं होगी। लेकिन फेडरल ने स्पष्ट किया है कि उच्च मुद्रास्फीति स्वीकार्य नहीं है। ऐसे में बजट से पहले बाजार में कुछ उतार-चढ़ाव रह सकता है।’
बेंचमार्क निफ्टी और सेंसेक्स पिछले सात कारोबारी सत्र में से छह में नुकसान पर बंद हुए। इस दौरान सूचकांकों में 6.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सात सत्र में 7 अरब डॉलर से ज्यादा की बिकवाली की है।
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढऩे के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है। हाजिर बाजार में ब्रेंट क्रूड 89.53 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो अक्टूबर 2014 के बाद उच्च स्तर है। 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल भी 6.7 फीसदी हो गया, जो दिसंबर 2019 के बाद सबसे अधिक है। भट्ट ने कहा कि पिछले साल बाजार में आई तेजी को देखते हुए इस साल शेयरों से शानदार रिटर्न की उम्मीद कम है। अच्छे बजट और विधानसभा चुनावों के नतीजों से बाजार को थोड़ी दिशा मिल सकती है। लेकिन कुल मिलाकर रिटर्न के लिहाज से यह साल अच्छा नहीं रहेगा। विश्लेषकों का कहना है कि तिमाही नतीजों और बजट को देखते हुए बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।