बेंचमार्क सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में आज लगातार पांचवें दिन गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए दरें बढ़ाए जाने की आशंका से निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आई है। इसके साथ ही यूक्रेन पर वैश्विक तनाव बढऩे से कच्चा तेल सात साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिससे निवेशकों का मनोबल कमजोर हुआ है। देश में कंपनियों के तिमाही नतीजे अभी तक उत्साहजनक नहीं रहे हैं और बजट के बारे में भी अनिश्चितता बनी हुई है। दूसरी ओर शेयरों के उच्च मूल्यांकन को देखते हुए विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं।
सेंसेक्स 1,546 अंक या 2.6 फीसदी की गिरावट के साथ 57,491 पर बंद हुआ, जो 27 दिसंबर के बाद सूचकांक का निचला स्तर है। निफ्टी भी 468 अंक या 2.66 फीसदी टूट कर 17,149 पर बंद हुआ। 26 नवंबर को ओमीक्रोन के प्रसार की चिंता के बाद दोनों सूचकांकों में एक दिन में यह सबसे बड़ी गिरावट है। पिछले पांच कारोबारी सत्र में देसी सूचकांक 6 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है, जिससे निवेशकों को करीब 20 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है।
फेडरल रिजर्व इस हफ्ते मार्च में दरें बढ़ाने का संकेत दे सकता है। पिछले हफ्ते गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि केंद्रीय बैंक इस साल बाजार की उम्मीद से कहीं ज्यादा आक्रामक तरीके से मौद्रिक नीति को सख्त कर सकता है। इसका असर बॉन्ड बाजार में भी दिखा और 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी का प्रतिफल पिछले हफ्ते 1.9 फीसदी पर पहुंच गया जो दिसंबर की शुरुआत में 1.35 फीसदी था।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बॉन्ड प्रतिफल बढ़ रहा है। लोगों के बीच इसकी आशंका है कि ब्याज दर में 25 आधार अंक से ज्यादा का इजाफा हो सकता है। क्या यह 50 आधार अंक भी हो सकता है और ऐसा मार्च से पहले हो सकता है? लेकिन इससे शायद मदद नहीं मिल सकती है क्योंकि तेल के दाम भी बढ़ रहे हैं। इन सब वजहों से बाजार में उतार-चढ़ाव दिख रहा है। अगले हफ्ते आम बजट है और फेडरल रिजर्व की घोषणा भी आने वाली है, जिससे स्थिति कुछ स्पष्ट होगी।’
इंडिया वीआईएक्स सूचकांक 21 फीसदी तक चढ़ गया, जो बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव का संकेत है। वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड के दाम सात साल के उच्च स्तर के करीब पहुंच गए हैं। ब्याज दर में इजाफे और बॉन्ड खरीद बंद होने की चिंता से भी उतार-चढ़ाव बढ़ा है। इन सब वजहों से दुनिया भर में शेयरों की बिकवाली हो रही है और तकनीकी शेयरों तथा क्रिप्टोकरेंसी पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। खास तौर पर विकासित देशों में मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़ों के कारण रुख में अचानक बदलाव होने से निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है।
रूस और यूक्रेन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढऩे से भी निवेशक चिंतित हैं। कुछ निवेशक मान रहे हैं कि रुख में बदलाव होने से महामारी के बाद आई रिकॉर्ड तेजी पर अब लगाम लग जाएगी। पहले आई तेजी से उत्साहित होकर लाखों निवेश पहली बार शेयरों में पैसा लगाने बाजार में उतर गए हैं। इस साल की शुरुआत में 5 फीसदी से ज्यादा चढऩे के बाद सेंसेक्स इस साल अब तक करीब 1.3 फीसदी नीचे आ चुका है। हालांकि देसी शेयर बाजार दिसंबर 2021 के अपनेे निचले स्तर से 3 फीसदी ऊपर है। कुछ का मानना है कि बाजार में आई हालिया गिरावट से ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है।