रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के लिए सबसे बड़े बोलीदाता टॉरंट समूह ने ऋणदाताओं को सख्त जवाब देते हुए कहा है कि दिवालिया वित्तीय सेवा कंपनी के लिए उसकी पेशकश ऐसी नेट प्रजेंट वैल्यू (एनपीवी) पर आधारित थी और इसमें कभी बदलाव नहीं किया गया था तथा नीलामी से पहले ऋणदाताओं द्वारा निर्धारित सभी दिशा-निर्देशों को पूरा किया गया।
टॉरंट ने अपने प्रस्ताव पर लेनदारों की समिति (सीओसी) और आरबीआई प्रशासक के सलाहकार के बीच मतभेद की भी बात कही है। राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के समक्ष अपने अनुरोध में टॉरंट ने कहा है कि चूंकि अग्रिम राशि और आस्थगित रकम ऋणदाताओं के साथ बातचीत के अधीन थी, इसलिए गैर-अनुपालन वाली बोली का सवाल ही नहीं उठता। एक विधि विशेषज्ञ का कहना है, ‘एकमात्र महत्वपूर्ण संख्या एनपीवी है, जो बोली की मानक थी और इसे टॉरंट द्वारा कभी नहीं बदला गया।’
सीओसी ने टॉरंट की 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची पेशकश ठुकरा दी और 19 जनवरी को दूसरी नीलामी की योजना बनाई है। हिंदुजा समूह द्वारा नीलामी के बाद रिलायंस कैपिटल के लिए 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश किए जाने के बाद सीओसी ने अपना रुख बदला है। टॉरंट दूसरी नीलामी के खिलाफ अदालत पहुंच गई है।
सीओसी ने कहा है कि वह टॉरंट की समाधान योजना को मंजूरी देने के लिए बाध्य नहीं है, जो सर्वाधिक एनपीवी वाली है। सीओसी के लिए वकील कपिल सिब्बल ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘सीओसी ने टॉरंट योजना में त्रुटि पाई है और प्रशासक ने 4 जनवरी को टॉरंट को पत्र लिखकर कहा कि वित्तीय प्रस्ताव की एनपीवी चैलेंज मैकेनिज्म में उनके द्वारा पेश सर्वाधिक बोली के अनुरूप नहीं है।’
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ऋणदाताओं ने न्यायालय को बताया है कि चूंकि हिंदुजा समूह ने टॉरंट के मुकाबले 1,000 करोड़ रुपये ज्यादा की पेशकश की थी, इसलिए ऋणदाता अधिक राशि गंवाना नहीं चाहते और दूसरी नीलामी जरूरी है। रिलायंस कैपिटल पर ऋणदाताओं का करीब 24,000 करोड़ रुपये का बकाया है।
न्यायालय को दी जानकारी में टॉरंट ने कहा है कि चूंकि चैलेंज प्रोसेस के दिशा-निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि बोली मानक के तौर पर नीलामी एनपीवी के हिसाब से की जाएगी। पिछले साल 21 दिसंबर को चैलेंज मैकेनिज्म के दौरान तय एनपीवी में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा।