नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ने बेंचमार्क निफ्टी सूचकांक 25 साल पहले पेश किया था, जो देश के 50 ब्लूचिप शेयरों के प्रदर्शन का मापक है। 22 अप्रैल, 1996 को इंडेक्स की स्थापना की थी और उशके दो साल बाद एक्सचेंज ने इलेक्ट्रॉनिक स्कीन आधारित ट्रेडिंग की शुरुआत की।
आज निफ्टी-50 इंडेक्स सबसे ज्यादा ट्रेडिंग वाला डेरिवेटिव इंडेक्स है। साथ ही यह देसी एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों की तरफ से भी ट्रैक किया जाता है, जिसकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 18 अरब डॉलर यानी 1.35 लाख करोड़ रुपये है। तालिका से पता चलता है कि पिछले ढाई दशक में इंडेक्स में काफी बदलाव हुआ है। 1996 में सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक का भारांक सबसे ज्यादा करीब 8.6 फीसदी था, जिसके बाद टाटा मोटर्स 6.9 फीसदी भारांक के साथ दूसरे स्थान पर काबिज थी। दोनों शेयर हालांकि इंडेक्स का हिस्सा बने हुए हैं, लेकिन बाजार पूंजीकरण व भारांक के लिहाज से अब ये 10 अग्रणी शेयरों में शामिल नहीं है। अभी रिलायंस इंडस्ट्रीज का भारांक सबसे ज्यादा है, जिसके बाद एचडीएफसी बैंक का स्थान है। आज निफ्टी-50 इंडेक्स में बैंकों व वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों का वर्चस्व है। 25 साल पहले भी बैंकिंग शेयर इंडेक्स का अहम हिस्सा थे, लेकिन उनका संयुक्त भारांक 20 फीसदी से नीचे था, यानी आज के मुकाबले आधा।
निफ्टी के 50 शेयरोंं में 1996 व 2021 के बीच 14 शेयर ही अपनी जगह बरकरार रख पाए। कई विनिर्माण व पुरानी अर्थव्यवस्था वाले शेयर विभिन्न वर्षों में इंडेक्स से बाहर हो गए। एचडीएफसी बैंक ने 1996 व 2021 के बीच सबसे ज्यादा 32 फीसदी सालाना रिटर्न अर्जित किया। आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी और डॉ. रेड्डीज का स्थान सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न के लिहाज से 21-21 फीसदी रहा। इंडेक्स ने कुल मिलाकर 11.3 फीसदी सालाना रिटर्न अर्जित किया, जो अन्य अहम परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले ज्यादा है।
रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, 1996-2021 के बीच भारत की वास्तविक जीडीपी 8 फीसदी रही। निफ्टी का 11 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न इस अवधि में सोने के 9 फीसदी से ज्यादा के सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न से ज्यादा रहा।
