न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई)एनएसई और एमसीएक्स में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है।
इन एक्सचेंजों में एनवाईएसई की मौजूदा हिस्सेदारी 5-5 फीसदी की है। एक्सचेंज के सीईओ डंकन निदेरार के मुताबिक जब भी भारतीय रेगुलेटर नियमों को ढीला करेंगे तब वह इन एक्सचेंजों में जरूर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहेंगे। मौजूदा नियमों के तहत किसी भी घरेलू एक्सचेंज में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा पांच फीसदी की है और इससे ज्यादा हिस्सेदारी नहीं ली जा सकती।
पिछले साल ही एनवाईएसई की पेरेन्ट कंपनी एनवाईएसई यूरोनेक्स्ट ने एनएसई में पांच फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी और इस साल उसने एससीएक्स में पांच फीसदी हिस्सेदारी के लिए करार किया है। निदेरार ने कहा कि उनकी कंपनी भारत और दूसरे एशियाई देशों में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है।
उनके मुताबिक एशिया उनकी कंपनी के लिए एक अहम इलाका है और हम आने वाले समय में भारत समेत दूसरे लिक्विड बाजारों में अपना निवेश बढ़ाना चाहते हैं। हालांकि फिलहाल उन्होने भारत में किसी निवेश से इनकार किया। उन्होने बताया कि एनएसई ने अपने बोर्ड में एनवाईएसई के एक सदस्य को शामिल किया है हालांकि इसके लिए जरूरी मंजूरी अभी आना बाकी है।
इसके अलावा न्यूयार्क एक्सचेंज एमसीएक्स और एनएसई से साथ तकनीकी करार भी करना चाहता है। अमेरिका में सबप्राइम संकट के मद्देनजर पिछले कुछ महीनों में एनवाईएसई की लिस्टेड कंपनियों में काफी गिरावट आई है। इस समय न्यूयार्क एक्सचेंज में 12 कंपनियां लिस्टेड हैं जिनका कुल मार्केट कैप 97.3 अरब डॉलर का है, जबकि यूरोनेक्स्ट में दो कंपनियां लिस्टेड हैं।
न्यूयार्क एक्सचेंज में जो भारतीय कंपनियां लिस्टेड हैं उनमें आईसीआईसीआई बैंक, विप्रो, एचडीएफसी बैंक, टाटा मोटर्स, स्टर्लाइट इंडस्ट्रीज, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस, टाटा कम्यूनिकेशंस, जेनपैक्ट, डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज, एमटीएनएल, पटनी कंप्यूटर सिस्टम्स और डब्ल्यूएनएस होल्डिंग्स शामिल है। यात्रा कैपिटल और सत्यम कंप्यूटर यूरोनेक्स्ट में लिस्टेड हैं।