facebookmetapixel
Stocks to Buy: चार्ट पैटर्न में दिखी मजबूती, ये 3 शेयर दिला सकते हैं 15% तक रिटर्न; जानिए एनालिस्ट की रायStock Market Today: GIFT Nifty में हल्की तेजी, सिल्वर ने बनाया नया रिकॉर्ड; जानें कैसा रहेगा आज बाजार का रुखAI इम्पैक्ट समिट में भारत के नवाचार से होंगे दुनिया रूबरूअदाणी का रक्षा क्षेत्र में 1.8 लाख करोड़ रुपये का बड़ा निवेशRolls-Royce भारत में करेगा बड़ा निवेश, नई पीढ़ी के एरो इंजन पर फोकससऊदी अरब के ताइफ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट की रेस में जीएमआर और टेमासेक आगेStocks To Watch Today: Coforge, Vedanta से लेकर PNB तक हलचल, आज इन शेयरों पर रहेगी बाजार की नजरAI की एंट्री से IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव, मेगा आउटसोर्सिंग सौदों की जगह छोटे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट‘2025 भारत के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धियों का वर्ष रहा’, मन की बात में बोले प्रधानमंत्री मोदीकोल इंडिया की सभी सब्सिडियरी कंपनियां 2030 तक होंगी लिस्टेड, प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया निर्देश

म्युचुअल फंडों को नहीं मजा आया एसएलबी स्कीम में

Last Updated- December 06, 2022 | 12:05 AM IST

स्टॉक लेंडिंग ऐंड बारोइंग(एसएलबी) स्कीम संस्थागत कारोबारियों को लगता है रास नहीं आ रही है।


स्कीम अपने पहले हफ्ते में उन बड़े घरेलू संस्थागत निवेशकों को आकर्षित नहीं कर सकी, जिनका लिस्टेड कंपनियों में सबसे ज्यादा एक्सपोजर होता है। स्टॉक मार्केट के जानकारों के मुताबिक एलआईसी को इसमें हिस्सा नहीं लेने देना इस स्कीम की अच्छी शुरुआत न होने की सबसे बड़ी वजह रही है।


घरेलू बाजार में एलआईसी सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। एलआईसी का पोर्टफोलियो करीब 40 अरब डॉलर का है। जानकारों का कहना है कि जिस संस्थागत निवेशक का बाजार की ब्लू चिप कंपनियों में इतना बड़ा एक्सपोजर हो, उसे इसमें शामिल करने से रोकना सही संकेत नहीं है।


सेबी ने घरेलू म्युचुअल फंडों को इस स्कीम के तहत कारोबार करने की मंजूरी दी है, लेकिन बीमा कंपनियां फिलहाल खुद को इसमें हिस्सा लेने की सरकारी मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही हैं। एलआईसी के अलावा भी कई और सरकारी बीमा कंपनियों का बाजार में अरबों का निवेश है। ब्रोकरों का मानना है कि पिछले हफ्ते इस स्कीम में एलआईसी के अलावा कई म्युचुअल फंडों ने भी इसमें हिस्सा नहीं लिया है।


एक ब्रोकिंग फर्म के रिसर्च एनालिस्ट के मुताबिक इस स्कीम की देखरेख करने वाले अब भी इस स्कीम की बारीकियों को ठीक करने में लगे हैं और निवेशक भी फिलहाल समझने की कोशिश कर रहे हैं कि उन पर मार्जिन का कितना दबाव पड़ेगा, क्योकि इसके तहत मार्जिन ज्यादा पड़ेगा और यह उनके सौदों की लागत को प्रभावित कर सकता है।


एनएसई के पास उपलब्ध आंकडों के मुताबिक पिछले हफ्ते के पांच कारोबारी सत्रों में इस स्कीम के तहत केवल आठ सौदे हुए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज, स्टेट बैंक और रिलायंस नैचुरल ही ऐसे काउंटर रहे जिनमें कुछ हलचल दिखी। इसी तरह बीएसई में भी इसके तहत चुनींदा शेयरों में ही कारोबार देखा गया।


बाजार के जानकारों का कहना है कि इस स्कीम के तहत मार्जिन ज्यादा होने की वजह से ही कई फंड इससे दूरी बनाए हुए हैं। एसएलबी स्कीम के तहत इन कारोबारियों को अपने सौदे की वैल्यू का करीब 140 फीसदी मार्जिन के रूप में देना होता है।


यही नहीं मार्जिन मार्क टु मार्केट होने की वजह से 140 फीसदी पर सीमित भी नहीं रहता। मार्जिन वैल्यू एट रिस्क मार्जिन, ईएलएम और मार्क टु मार्केट मार्जिन की किस्म का हो सकता है। स्टॉक एक्सचेंजों के लोगों को उम्मीद है यह स्कीम धीरे धीरे जोर पकड़ने लगेगी।

First Published - April 28, 2008 | 11:00 PM IST

संबंधित पोस्ट