तेल की ऊंची कीमतों और बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी के कारण अनिश्चतता होने के बाद भी फंड प्रबंधक शेयर बाजार में पूरी ताकत के साथ रकम झोंक रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर 2023 में इक्विटी फंड प्रबंधकों के पास उपलब्ध नकदी पिछले 16 महीनों के सबसे निचले स्तर 4.8 फीसदी पर रह गई थी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले कई महीनों से फंड प्रबंधकों के पास नकदी करीब 5 फीसदी ही थी।
इससे पहले शेयर बाजार में निवेशकों का उत्साह कमजोर रहने से इक्विटी योजनाओं में नकदी काफी बढ़ गई थी। इसी साल फरवरी में नकदी 6 फीसदी हो गई थी मगर मार्च के अंत में तस्वीर बदल गई क्योंकि लगभग डेढ़ साल छोटे से दायरे मे कारोबार करने के बाद बाजार में तेजी आनी शुरू हो गई थी। वित्त वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों में निफ्टी ने 13 फीसदी उछाल भरी। उस दौरान निफ्टी मिडकैप 100 में 35 फीसदी और निफ्टी स्मॉल कैप 100 में 42 फीसदी तेजी आई।
फंड प्रबंधकों का कहना कि कायदे में म्युचुअल फंड में निवेश किसी तरह भी कम नहीं करना चाहिए मगर अनिश्चितताओं से निपटने के लिए कुछ रकम बचाकर भी रखनी पड़ती है। टाटा म्युचुअल फंड में वरिष्ठ फंड प्रबंधक चंद्र प्रकाश पडियार कहते हैं, ‘हम बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं इसलिए कुछ समय के लिए आने वाले उतार-चढ़ाव से फंड संभालने के हमारे तरीके पर बहुत असर नहीं पड़ता। लंबी अवधि के लिहाज से देखें तो संभावनाएं हमेशा रहती हैं।’
उन्होंने कहा कि टाटा म्युचुअल फंड में नकदी घटने का एक कारण यह भी हो सकता है कि कंपनी के स्मॉल कैप फंड में नए निवेश पर कुछ पाबंदी लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि एक समय वह भी था जब स्मॉल कैप फंड में नकदी काफी बढ़ गई थी मगर पाबंदियों के बाद इस रकम का छोटा हिस्सा ही निवेश किया जा सका है।
सितंबर के अंत में 20 फंड कंपनियों में 11 की इक्विटी योजनाओं में 4 फीसदी से भी कम नकदी थी। एसबीआई एमएफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ और एचडीएफसी एमएफ जैसी बड़ी फंड कंपनियों से पास 6 फीसदी से अधिक नकदी थी।
वित्त वर्ष 2024 के पहले 6 महीनों में म्युचुअल फंड ने शेयर बाजारों में 45,700 करोड़ रुपए लगाए। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अप्रैल से जुलाई के दौरान हर सेक्टर में लगाई गई रकम के आंकड़े दिए हैं। उसके अनुसार सबसे अधिक निवेश वित्तीय सेवा क्षेत्र (23,000 करोड़ रुपये) में और उसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी (4,900 रुपये) और अन्य क्षेत्रों (2,000 करोड़ रुपये) में रकम लगाई गई।
फंड प्रबंधकों को आगे दवा, स्वास्थ्य वाहन एवं पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में निवेश की काफी संभावनाएं दिख रही हैं। यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी वेट्री सुब्रमण्यम कहते हैं, ‘हमारी नजर में दवा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में काफी संभावना है। इन क्षेत्रों में शेयरों की कीमत वाजिब है और कंपनियों के बहीखाते भी लगातार बेहतर हो रहे हैं। इनमें दीर्घकालीन वृद्धि की संभावनाएं भी खूब हैं। इनके अलावा बैंकिंग एवं वित्त क्षेत्र में भी निवेश के लिए काफी गुंजाइश मौजूद है।’