स्मॉलकैप और मिडकैप फंड लंबे समय से निवेशकों के पसंदीदा रहे हैं। लेकिन अब उनकी पसंद में बदलाव स्पष्ट दिख रहा है। पिछले 6 महीनों के दौरान मिडकैप फंडों ने नए इन्वेस्टमेंट खातों, यानी फोलियो की संख्या में शानदार तेजी दर्ज की है। पिछले तीन महीने में इन फंडों में बड़ी तादाद में निवेश हुआ है। यह स्थिति इससे पहले के दो वर्षों की तुलना में जुदा है जब स्मॉलकैप फंडों ने शानदार शुद्ध पूंजी प्रवाह और फोलियो वृद्धि दर्ज की थी।
उद्योग के जानकार इस कमजोर रुझान के लिए कई बड़े स्मॉलकैप फंडों में नए निवेश पर सीमाएं लगाए जाने को जिम्मेदार बता रहे हैं। 2024 के शुरू में कई बड़े स्मॉलकैप फंडों ने एकमुश्त निवेश लेना बंद कर दिया और एसआईपी निवेश पर सीमा लगा दी। ये बदलाव स्मॉलकैप फंडों में भारी पूंजी प्रवाह के बीच निवेशकों को तरलता जोखिम से बचाने के लिए नियामक की सलाह के बाद किए गए। हालांकि मिडकैप फंडों को भी इस तरह की सख्ती का सामना करना पड़ा है। लेकिन केवल एक फंड हाउस ने इसी तरह की निवेश सीमाएं लागू की हैं।
स्मॉलकैप और मिडकैप दोनों ही सेगमेंटों में ऊंचे मूल्यांकन और निवेश की सीमा के बारे में चर्चा की वजह से शुरू में इन श्रेणियों में निवेश में गिरावट आई। हालांकि, हाल में निवेश में सुधार आया है और पिछले दो महीनों में कुल निवेश 17,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटीटेटिव रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘स्मॉलकैप और मिडकैप योजनाओं में निवेशकों की दिलचस्पी बनी हुई है और कुल इक्विटी निवेश में उनका योगदान 25 प्रतिशत है। मिडकैप योजनाओं ने 4,883 करोड़ रुपये का सर्वाधिक ऊंचा मासिक पूंजी निवेश हासिल किया जो इससे पिछले महीने के 4,683 करोड़ रुपये से अधिक है। स्मॉलकैप योजनाओं में भी 12 महीनों में सबसे ज्यादा निवेश हुआ जो 4,112 करोड़ रुपये रहा। पिछले महीने यह 3,772 करोड़ रुपये था।
स्पष्ट है कि बाजार में तेज गिरावट को अमीर और छोटे निवेशक, दोनों ही खरीद के अवसर के रूप में देख रहे हैं और वे स्मॉलकैप और मिडकैप योजनाओं में इच्छुक रहते हैं।’ इन श्रेणियों में पूंजी प्रवाह सभी समय अवधियों में काफी हद तक उनके मजबूत प्रदर्शन पर केंद्रित रहा है।