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SEBI के फैसले से रीट्स को मिला इक्विटी का दर्जा, निवेशकों का भरोसा बढ़ा; म्युचुअल फंड निवेश से आई तेजी

सेबी ने रीट्स को इक्विटी प्रतिभूति का दर्जा देकर म्युचुअल फंड निवेश का रास्ता खोला, जिससे तरलता, संस्थागत भागीदारी और निवेशकों का भरोसा तेजी से बढ़ने की उम्मीद है

Last Updated- September 15, 2025 | 10:00 PM IST
Mutual Fund
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सोमवार को रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों (रीट्स) के शेयरों में तेजी देखी गई, जिस पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा शुक्रवार को म्युचुअल फंड निवेश के लिए उन्हें इक्विटी प्रतिभूतियों के रूप में दोबारा वर्गीकृत करने के फैसले का असर पड़ा। इस कदम से नकदी में सुधार, निवेशक आधार का विस्तार और संस्थागत भागीदारी, (खासकर म्युचुअल फंडों की) मजबूत होने की उम्मीद है।

अभी तक रीट को हाइब्रिड प्रतिभूतियां माना जाता था।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, सेबी द्वारा रीट्स को हाइब्रिड श्रेणी से इक्विटी के तौर पर दोबारा वर्गीकृत करने, म्युचुअल फंड निवेश की सीमा समाप्त करने और उन्हें वैश्विक बेंचमार्क के अनुरूप बनाने के बाद रीट्स में तेजी आई। इस कदम से अहम पूंजी निवेश आकर्षित होने, संस्थागत भागीदारी को बढ़ावा मिलने और इक्विटी-केंद्रित रणनीतियों में एकीकरण बढ़ने की उम्मीद है। जिससे बाजार में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी।

ब्रुकफील्ड इंडिया रियल एस्टेट ट्रस्ट में सबसे ज्यादा 4.7 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। माइंडस्पेस बिजनेस पार्क्स रीट में 3.9 फीसदी, नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट में 3.7 फीसदी और एम्बेसी ऑफिस पार्क्स रीट में 2.7 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई।

इक्विटी का दर्जा मिलने से उन्हें इक्विटी सूचकांकों में शामिल करने और ऐक्टिव इक्विटी व हाइब्रिड योजनाओं में उनकी मौजूदगी बढ़ाने की गुंजाइश बनती है। हालांकि 2017 में म्युचुअल फंडों को रीट्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट्स) में निवेश करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन केवल कुछ ही फंड हाउस रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश माध्यमों में रुचि दिखा पाए हैं। मार्च 2025 तक 46 फंड हाउसों में से केवल 12 ने ही अपनी योजनाओं के माध्यम से रीट्स और इनविट्स में कुछ निवेश किया था।

First Published - September 15, 2025 | 10:00 PM IST

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