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Mutual Fund: शेयर बाजार में गिरावट से बेफिक्र म्युचुअल फंड, इक्विटी योजनाओं में देखा जा रहा रिकॉर्ड निवेश

Mutual Funds: हाल के वर्षों में बाजार में गिरावट के दौरान फंड निवेशकों ने इ​क्विटी योजनाओं में ज्यादा निवेश किया है। इसके अलावा SIP के जरिये भी निवेश बढ़ा है।

Last Updated- October 24, 2024 | 10:56 PM IST
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बाजार में पिछले कुछ हफ्तों से चल रही उठापटक से इ​क्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेशक बेफिक्र नजर आ रहे हैं। प्रमुख बेंचमार्क सूचकांकों के उच्चतम स्तर से करीब 7 फीसदी नीचे आने के बाद भी म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश आ रहा है।

निफ्टी और सेंसेक्स करीब 7 महीनों तक सरपट दौड़ा मगर 27 सितंबर से इनमें गिरावट का रुख बना हुआ है। अब दोनों सूचकांक 26 सितंबर के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से करीब 7 फीसदी नीचे आ चुके हैं।

प्रमुख इ​क्विटी एमएफ योजना श्रेणी के प्रबंधन के अधीन आने वाली संप​त्तियों (एयूएम) और शुद्ध संप​त्ति मूल्य (एनएवी) के विश्लेषण से पता चलता है कि एनएवी में गिरावट के बावजूद निवेशक इन योजनाओं में पैसे लगा रहे हैं।

म्युचुअल फंडों की संस्था एम्फी के अनुमान के अनुसार 26 सितंबर से 22 अक्टूबर की अवधि में लार्जकैप योजनाओं में करीब 2,600 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया गया। इसी अव​धि के दौरान मिडकैप और स्मॉलकैप योजनाओं में करीब 7,000 करोड़ रुपये के निवेश होने का अनुमान है। इसी तरह फ्लैक्सी योजनाओं में करीब 4,000 करोड़ रुपये का निवेश आया।

म्युचुअल फंडों के निवेश की बदौलत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की रिकॉर्ड बिकवाली के कारण बाजार में गिरावट को थोड़ा कम करने में मदद मिली। म्युचुअल फंडों ने इस महीने (21 अक्टूबर तक) करीब 66,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं।

हाल के वर्षों में बाजार में गिरावट के दौरान फंड निवेशकों ने इ​क्विटी योजनाओं में ज्यादा निवेश किया है। इसके अलावा सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये भी निवेश बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार निवेशकों को बाजार में उठापटक से प्रभावित नहीं होना चाहिए और अपने परिसंपत्ति आवंटन की व्यवस्था और अपने एसआईपी निवेश को बनाए रखना चाहिए।

नोमुरा वेल्थ के प्रेसिडेंट और प्रमुख राहुल जैन ने कहा कि एम्फी के आंकड़ों से पता चलता है कि निवेशकों ने गिरावट के तूफान का कुशलता से सामना किया है जो दर्शाता है कि वे अपने निवेश प्रबंधन में परिपक्व हो गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘निवेशकों को अपने जोखिम प्रोफाइल, निवेश का दायरा और लक्ष्य के आधार पर इक्विटी, ऋण और सोने में संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्हें घबराहट में अपनी एसआईपी बंद नहीं करनी चाहिए क्योंकि गिरावट के समय उन्हें कम एनएवी पर ज्यादा यूनिट मिल सकता है।’

रेलिगेयर ब्रोकिंग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा कि निवेशकों को संतुलित नजरिया रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘गिरावट के दौरान संतुलित दृ​ष्टिकोण जरूरी है। कुछ नकद अपने पास रखने से खराब समय में सहूलियत मिलती है लेकिन ऐसे समय में बाजार से एकदम बाहर हो जाने से संभावित अवसर को गंवा सकते हैं।’

चालू वित्त वर्ष में इ​क्विटी एमएफ में रिकॉर्ड निवेश देखा जा रहा है। वित्त वर्ष 2025 के पहले 6 महीने में निवेशकों ने इ​क्विटी योजनाओं में शुद्ध 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है जबकि वित्त वर्ष 2024 में 1.8 लाख करोड़ रुपये का निवेश ​हुआ था।

First Published - October 24, 2024 | 9:24 PM IST

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