Representative image
भारतीय बाजारों में मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की शुरुआत झटकों के साथ हुई है। ऐसे में घरेलू संस्थागत निवेशक (खास तौर से म्युचुअल फंड) आने वाले समय में बाजार की दिशा तय कर सकते हैं। हाल के वर्षों में म्युचुअल फंड बाजारों के लिए बड़े मददगार रहे हैं और उन्होंने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ज्यादातर बिकवाली की भरपाई की है।
वैश्विक फंडों की करीब 30,000 करोड़ रुपये की निकासी के बीच बेंचमार्क सूचकांक पिछले एक हफ्ते में करीब 5 फीसदी नीचे आए हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि अगर घरेलू नकदी का सहारा नहीं होता तो यह गिरावट और भी ज्यादा हो सकती थी।
बाजार के विशेषज्ञ और म्युचुअल फंड के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी सुनील सुब्रमण्यन ने कहा कि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के निवेश में लगातार वृद्धि और यह निवेश विभिन्न क्षेत्रों व बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों और थीम में होने के कारण म्युचुअल फंड शेयर बाजार को झटकों से बचाने में सक्षम हुए हैं। एफपीआई की बिकवाली के बीच उन्होंने अपने निवेश से बाजार को काफी मजबूती दी है।
शेयर बाजार में म्युचुअल फंडों का निवेश समय के साथ मजबूत होता गया है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में उनका निवेश पिछले वित्त वर्ष के 2 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पहले ही छू चुका है। यहां तक कि इस कैलेंडर वर्ष में उनकी शुद्ध इक्विटी खरीद अभी तक 2.8 लाख करोड़ रुपये रही है। म्युचुअल फंड लगातार 17 महीनों से शुद्ध खरीदार रहे हैं। पिछले 14 महीनों से उनका निवेश 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। इस कारण मोटे तौर पर सितंबर तक की लगातार छह तिमाही में बाजारों ने बढ़त देखी है।
क्वांटम म्युचुअल फंड के मुख्य कार्याधिकारी जिमी पटेल ने कहा कि म्युचुअल फंडों की खरीद सीधे तौर पर उन्हें इक्विटी और हाइब्रिड फंडों में मिलने वाले निवेश से जुड़ी हुई है। पिछले कुछ वर्षों से उन्हें मिलने वाले निवेश में इजाफा हो रहा है, जिसकी वजह विभिन्न श्रेणियों का मजबूत प्रदर्शन, बढ़ता प्रसार और इक्विटी के लिए लंबी अवधि का सकारात्मक परिदृश्य है।
ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में म्युचुअल फंडों को वित्त वर्ष 25 के पहले पांच महीनों में बतौर निवेश 1.7 लाख करोड़ रुपये हासिल हुए जो पूरे वित्त वर्ष 2024 में मिले कुल 1.8 लाख करोड़ रुपये से थोड़ा ही कम हैं।
बढ़ते निवेश के साथ म्युचुअल फंडों के पास नकदी का स्तर भी ऊंचा है और हाइब्रिड फंडों के पास इक्विटी में ज्यादा निवेश की गुंजाइश है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार 31 अगस्त तक 20 अग्रणी फंड हाउस की इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं ने अपने कोष का 6 फीसदी अलग रखा था। इसके साथ ही ज्यादातर बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों का इक्विटी में निवेश अपने निचले स्तर पर था जिससे फंड मैनेजरों के पास बाजार में गिरावट के दौरान निवेश के लिए पर्याप्त रकम थी। महंगे मूल्यांकन के बावजूद, खास तौर से मिडकैप व स्मॉलकैप में, इक्विटी योजनाओं में मजबूत निवेश आया है।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने हाल में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि म्युचुअल फंड निवेशक मूल्यांकन और अन्य जोखिमों के प्रति अविचलित बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 3-4 वर्षों से उच्च रिटर्न के कारण खुदरा निवेशकों के बीच कीमत के सभी स्तरों पर दृढ़ विश्वास बना हुआ है जबकि उनका निवेश का सीमित अनुभव है। इससे सभी तरह के निवेशकों के बीच उच्च स्तर का भरोसा पैदा हुआ है।
इसमें कहा गया है कि बाजार ने अभी तक की सभी नकारात्मक खबरों को खारिज किया है। इनमें 2024 के चुनाव में भाजपा का बहुमत पिछली बार से कम रहना, जुलाई 2024 के बजट में सरकार का इक्विटी पर पूंजीगत लाभ कर बढ़ाना, वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में अनुमान से कम आय रहना, कई थीम का निराशाजनक प्रदर्शन और पश्चिम एशिया के हालात में तेजी से बिगड़ते हालात शामिल हैं।