Mutual fund’s upcoming trends: भारत में म्युचुअल फंड उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है और बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इस साल घरेलू शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इसके बावजूद म्युचुअल फंड्स, खासकर इक्विटी स्कीम्स में निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। इस साल नवंबर में लगातार 45वें महीने इक्विटी फंड्स में इनफ्लो रहा, हालांकि अक्टूबर के मुकाबले इसमें लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट आई है। जैसे-जैसे हम 2025 की ओर बढ़ रहे हैं, कई उभरते हुए ट्रेंड्स इसके भविष्य को आकार दे रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2025 में म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में कुछ ऐसे ट्रेंड्स देखने को मिलेंगे, जिनमें इंडस्ट्री के साथ-साथ निवेशकों का भरोसा बढ़ा दिखाई दे सकता है।
सेक्टोरल एंड थीमैटिक फंड्स तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। ये फंड्स खास उद्योगों जैसे हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी आदि पर फोकस करते हैं। जैसे-जैसे इन क्षेत्रों में बड़ा विकास हो रहा है, निवेशक इनका फायदा उठाना चाहते हैं।
MIRA Money के को-फाउंडर आनंद के राठी कहते हैं, ज्यादातर नई और पुरानी एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMCs) इन फंड्स को लॉन्च कर रही हैं, और यह ट्रेंड आने वाले समय में और बढ़ सकता है। अगर आप उभरते हुए सेक्टर्स में निवेश करना चाहते हैं, तो सेक्टोरल एंड थीमैटिक फंड्स एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ें भी इसी तरफ इशारा करते हैं। नवंबर में सबसे ज्यादा इनफ्लो सेक्टोरल एंड थिमैटिक फंड में हुआ है। बीते महीने इस कैटेगरी में 7,657 करोड़ रुपये का निवेश है। हालांकि, अक्टूबर और सितंबर के मुकाबले निवेश में कमी आई है। इस साल अक्टूबर में सेक्टरल एंड थिमैटिक फंड में 12,278 करोड़ जबकि सितंबर में 13,254 करोड़ रुपये का इनफ्लो दर्ज किया गया था।
टॉप परफॉर्मेंस फंड्स की बात करें तो पिछले महीने सेक्टोरल फंड्स के बाद सबसे ज्यादा निवेश फ्लेक्सी कैप स्कीम्स में आया। निवेशकों ने करीब 5,084.11 करोड़ रुपये का निवेश इस कैटेगरी की स्कीम्स में किया।
फ्लेक्सी कैप फंड्स एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड्स होते हैं, जहां फंड मैनेजर को किसी एक खास मार्केट कैप (जैसे लार्ज, मिड या स्मॉल) में निवेश करने की सीमा नहीं होती। फंड मैनेजर को यह पूरी आजादी होती है कि वह बदलते बाजार के हिसाब से पोर्टफोलियो को एडजस्ट कर सकते है। यह फंड्स निवेशकों के लिए अच्छे हैं क्योंकि इसमें वे अलग-अलग आकार के कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। यही कारण है कि ये फंड्स 2025 में और ज्यादा लोकप्रिय होने की उम्मीद है।
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और यूनिट हेड अमिताभ लारा बताते हैं, आजकल ज्यादातर फ्लेक्सी कैप फंड्स अपने 60% निवेश को लार्ज कैप कंपनियों में रखते हैं और बाकी का निवेश मिड और स्मॉल कैप में किया जाता है। इस कैटेगरी में बेहतर रिटर्न बनाने की काफी क्षमता है। पिछले 5 सालों में फ्लेक्सी कैप फंड्स ने निफ्टी 50 के मुकाबले औसतन 6 से 7% ज्यादा रिटर्न दिया है। पिछले 5 कैलेंडर वर्षों में 60% फ्लेक्सी कैप फंड्स ने निफ्टी 50 को पीछे छोड़ते हुए 6.6% का औसत रिटर्न दिया है।
एक और अहम ट्रेंड है म्युचुअल फंड बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी। जैसे-जैसे म्युचुअल फंड्स तक पहुंच ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) योजनाओं के जरिए आसान हो रही है, वैसे-वैसे और अधिक खुदरा निवेशक इस बाजार में प्रवेश कर रहे हैं।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए निवेशक जमकर पैसा लगा रहे हैं। SIP इनफ्लो की बात करें तो नवंबर में लगातार दूसरे महीने 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश बना हुआ है। यह संकेत देता हैं कि जियोपॉलिटिकल टेंशन, यूएस चुनाव के नतीजों समेत कई अन्य वजहों से भारी उतार-चढ़ाव के बीच रिटेल निवेशक म्युचुअल फंड्स पर बुलिश हैं।
AMFI के मुताबिक, नवंबर में SIP इनफ्लो 25,320 करोड़ रुपये रहा। अक्टूबर में यह आंकड़ा 25,323 करोड़ रुपये था। जबकि, सितंबर में SIP इनफ्लो 24,509 करोड़ और अगस्त में 23,547 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था।
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम के मुताबिक, भारत में SIP निवेश में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मार्च 2024 तक, SIP योगदान 18,000 करोड़ रुपये प्रति माह तक पहुंच गया, जो 2018 में 8,000 करोड़ रुपये था। खास बात यह है कि 2020 में कोरोना महामारी के समय बाजार में आई गिरावट के दौरान भी 70% से अधिक रिटेल SIP निवेशकों ने अपने निवेश जारी रखे, जो SIP में उनके विश्वास को दर्शाता है। यह दिखाता है कि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट के फायदों को समझते हुए रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
इसके अलावा, वित्तीय जागरूकता बढ़ रही है, और लोग म्युचुअल फंड्स को लंबी अवधि में संपत्ति बनाने का एक महत्वपूर्ण तरीका समझने लगे हैं। खुदरा निवेशकों की यह बढ़ती भागीदारी आगे भी जारी रहने की उम्मीद है, जिससे निवेश के अवसर और अधिक लोगों तक पहुंचेंगे।
एके निगम का मानना है कि 2025 में एक महत्वपूर्ण ट्रेंड मल्टी-एसेट और डाइवर्सिफाइड फंड्स का हो सकता है। जैसे-जैसे बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा, निवेशक अपना जोखिम विभिन्न एसेट्स जैसे शेयर, बॉन्ड, गोल्ड और रियल एस्टेट में बांटने की कोशिश करेंगे।
मल्टी-एसेट फंड्स निवेशकों को इन सब में निवेश करने का मौका देते हैं, जिससे निवेश का जोखिम कम होता है और विकास की संभावना बढ़ती है। जैसे-जैसे लोग निवेश के बारे में ज्यादा समझने लगे हैं, वे अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए इन फंड्स में हिस्सा डालेंगे।
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निगम कहते हैं, 2025 में स्मॉल कैप, थीमैटिक फंड्स जैसे अधिक जोखिम वाले निवेश उत्पाद बढ़ेंगे, जो ज्यादा रिटर्न की तलाश करने वाले निवेशकों को आकर्षित करेंगे। ESG निवेश बढ़ेगा, क्योंकि अधिक लोग नैतिक निवेश को प्राथमिकता देंगे। टेक्नोलॉजी म्युचुअल फंड प्रबंधन को बदल देगी, जिससे निवेश करना और भी आसान और सुलभ होगा। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का प्रभुत्व बढ़ेगा, जो म्युचुअल फंड वितरण को एक सहज, हाइब्रिड अनुभव में बदल देंगे।
आनंद के राठी के मुताबिक, निवेशकों को सबसे पहले अपने निवेश को लार्ज, मिड और स्मॉल कैप फंड्स के बीच डायवर्सिफाई करने पर ध्यान देना चाहिए। जब उनका पोर्टफोलियो इन फंड्स में पर्याप्त रूप से डाइवर्सिफाइड हो जाए और कुल निवेश का लगभग 30% इसमें लग जाए, तो वे सेक्टोरल एंड थीमेटिक फंड्स जैसी नई कैटेगरी में निवेश करना शुरू कर सकते हैं। यह उनके मुख्य पोर्टफोलियो में एक वैल्यू एडिशन हो सकता है।
एके निगम निवेश जल्दी शुरू करने और कंपाउंडिंग की पावर पर जोर देते हुए निवेशकों को SIP के माध्यम से लगातार निवेश करने की सलाह देते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप 12% के सालाना रिटर्न पर 20 साल के लिए हर महीने 5,000 रुपये निवेश करते हैं, तो यह राशि लगभग 50 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। लेकिन अगर आप 10 साल देरी से शुरू करते हैं, तो यही निवेश सिर्फ 15 लाख रुपये तक ही पहुंच पाएगा। यह दिखाता है कि समय और अनुशासन से निवेश में बड़ा फर्क पड़ता है।
आयनिक वेल्थ के को-फाउंडर एंड सीईओ श्रीकांत सुब्रमण्यम के मुताबिक, फ्लेक्सी कैप में निवेश उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है, जिनके पास समय की कमी है और जो बार-बार लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में निवेश बदलने की झंझट से बचना चाहते हैं।
अमिताभ लारा की सलाह है कि सिर्फ एक ही कैटेगरी पर फोकस करना सही रणनीति नहीं है। निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप, मल्टी कैप और फ्लेक्सी कैप जैसे अलग-अलग मार्केट कैप बेस्ड फंड्स के अलावा वैल्यू, कॉन्ट्रा और फोकस्ड फंड्स जैसे स्ट्रैटेजी बेस्ड फंड्स में भी निवेश करें। इससे आपको पोर्टफोलियो में अलग-अलग सेक्टर्स और मार्केट कैप्स का फायदा मिलेगा और साथ ही कंसन्ट्रेशन रिस्क (कहीं एक ही फंड या एएमसी में ज्यादा निवेश का खतरा) भी कम होगा।
कुल मिलाकर देखें तो, भारत में म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में आने वाले साल में भी तेजी जारी रहने की उम्मीद है। नए प्रकार के फंड्स, जैसे डाइवर्सिफाइड और थीम-बेस्ड फंड, लोकप्रिय हो रहे हैं। छोटे निवेशक भी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं, और पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) पर ध्यान देने वाले फंडों में रुचि बढ़ रही है। टेक्नोलॉजी म्युचुअल फंड को अधिक सुलभ और लचीला बना रही है, और नए निवेश विकल्प खास सेक्टर्स पर ध्यान दे रहे हैं। चाहे आप अनुभवी निवेशक हों या शुरुआत कर रहे हों, आने वाले साल निवेश करने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को पाने के लिए रोमांचक अवसर लाएंगे।