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Infra funds: सरकारी खर्च के बावजूद घाटे में रह गए इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, निवेश करें या दूर रहें? जानें एक्सपर्ट्स की राय

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स अपने कुल निवेश का कम से कम 80% हिस्सा उन कंपनियों में लगाते हैं जो एनर्जी, कंस्ट्रक्शन, रेलवे, पावर, टेलीकॉम और मटेरियल्स जैसे सेक्टर्स में काम करती हैं।

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सर्वजीत के सेन   
Last Updated- September 14, 2025 | 6:43 PM IST

Infra funds: इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के भारी खर्च और कम ब्याज दरों के बावजूद, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है। ये फंड्स 9 सितंबर, 2025 तक समाप्त वर्ष में 5.6% घाटे में रहे, जबकि फ्लेक्सी-कैप फंड्स ने सिर्फ 1.8% का नुकसान दर्ज किया।

गेनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट के फाउंडर रवि कुमार टीवी कहते हैं, “2024 इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए चुनौतीपूर्ण साल रहा। लोकसभा चुनावों के कारण राजनीतिक ध्यान कल्याणकारी योजनाओं की ओर केंद्रित हो गया। इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियां स्थिर रहीं। पूरे साल का खर्च बाजार की उम्मीदों से कम रहा, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स का प्रदर्शन कमजोर रहा।”

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स क्या है?

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स अपने कुल निवेश का कम से कम 80% हिस्सा उन कंपनियों में लगाते हैं जो एनर्जी, कंस्ट्रक्शन, रेलवे, पावर, टेलीकॉम, मटेरियल्स, सर्विसेज और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टर्स में काम करती हैं।

UTI एसेट मैनेजमेंट कंपनी के फंड मैनेजर (इक्विटी) सचिन त्रिवेदी कहते हैं, “भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स और सरकारी पहलों से समर्थन मिलता है, जिनका उद्देश्य भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। प्रमुख परियोजनाओं में इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर्स, स्मार्ट सिटीज, हाईवे का विस्तार, रेलवे नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन, मेट्रो डेवलपमेंट, पोर्ट्स और सस्टेनेबल और जलवायु-अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस शामिल हैं।”

25 इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स कुल 51,285 करोड़ रुपये का प्रबंधन करते हैं। कुछ स्कीम्स एक्टिव रूप से मैनेज की जाती हैं, जबकि अन्य बीएसई इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर, निफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर और निफ्टी500 मल्टीकैप इंफ्रास्ट्रक्चर 50:30:20 जैसे इंडेक्स को ट्रैक करती हैं।

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कैसे बढ़ेगी ग्रोथ?

मजबूत सरकारी समर्थन, फंडिंग की उपलब्धता और प्रभावी कार्यान्वयन इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की आय में वृद्धि को बढ़ावा दे सकते हैं। वॉलेट वेल्थ के फाउंडर और सीईओ एस श्रीधरन कहते हैं, “ब्याज दरों में गिरावट का चक्र इस सेक्टर के लिए मददगार साबित होगा, बशर्ते क्रियान्वयन में कोई देरी न हो।”

बढ़ते ऑर्डर बुक और सरकारी नीतियों का सहयोग इस सेक्टर को मजबूती देगा। सरकार शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर, रिन्यूएबल एनर्जी और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे नए विकास के मौके भी इस सेक्टर को बढ़ावा देंगे।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के असिस्टेंट फंड मैनेजर भालचंद्र शिंदे कहते हैं, “भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता रहेगा। इसलिए यह एक लंबी अवधि की कहानी है, जहां सही निवेश से कई गुना विकास और बाजार में बेहतर प्रदर्शन देखने को मिलेगा।”

उतार-चढ़ाव और केंद्रित निवेश का जोखिम

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स के प्रदर्शन में चक्रीयता (cyclicality) देखने को मिलती है। श्रीधरन कहते हैं, “ये फंड्स अस्थिर (volatile) हो सकते हैं और सालों तक व्यापक इंडेक्स से पीछे रह सकते हैं। इसके अलावा, ज्यादा कर्ज वाली कंपनियों में डिफॉल्ट का जोखिम भी हो सकता है।”

इन फंड्स में केंद्रित निवेश का जोखिम भी होता है। कुमार कहते हैं, “अगर मुख्य होल्डिंग्स कुछ ही सेक्टर्स में केंद्रित हों, तो यह केवल एक छोटे से सेक्टर में निवेश जैसा होगा। उदाहरण के लिए, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में ज्यादा निवेश करने वाले फंड अस्थिर हो सकते हैं। वहीं, जो फंड मैन्युफैक्चरिंग, यूटिलिटीज, रिन्यूएबल्स, पावर, लॉजिस्टिक्स, मटेरियल्स और एंसिलरी सेक्टर्स में निवेश करते हैं, वे ज्यादा स्थिर रह सकते हैं।”

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लॉन्ग टर्म निवेश की जरूरत

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स में धैर्य और लंबी अवधि की योजना की जरूरत होती है। शिंदे कहते हैं, “चूंकि ये थीमेटिक फंड्स हैं, इसलिए इनमें स्वाभाविक उतार-चढ़ाव और हाई बीटा होगा। वोलैटिलिटी को कम करने और डायवर्सिफाइड फंड्स की तुलना में अच्छे रिटर्न पाने के लिए आदर्श होल्डिंग पीरियड पांच से दस साल के बीच होना चाहिए।”

भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर लॉन्ग टर्म में विकास की संभावनाएं देता है, लेकिन इसमें चक्रीय प्रवृत्तियां भी देखने को मिलती हैं। त्रिवेदी कहते हैं, “विशेष ज्ञान रखने वाले निवेशक या सलाहकारों के मार्गदर्शन में रहने वाले निवेशक ही सेक्टर निवेश पर विचार करें, और लंबी अवधि का दृष्टिकोण अपनाएं। इंफ्रास्ट्रक्चर सहित सेक्टर फंड्स किसी भी समय कुल निवेश पोर्टफोलियो का 15–20% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।”

ये फंड्स पोर्टफोलियो में मुख्य निवेश की बजाय सहायक (सैटेलाइट) भूमिका निभाएं। निवेशकों को ऐसे फंड्स चुनना चाहिए जिनका मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो और जिनके पास अच्छा-खासा एसेट हो। जो निवेशक लागत कम रखना चाहते हैं और फंड मैनेजर के जोखिम से बचना चाहते हैं, उनके लिए पैसिव स्कीम्स एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं।

Infra funds: Sound long-term performance
Period Catgeory average return (%)
YTD -1
1-year -5.6
3-year 22
5-year 29.9
10-year 15.6
Returns are of direct plans. Above one-year returns are annualised.
Source: PBCS.in
First Published : September 14, 2025 | 6:13 PM IST