म्युचुअल फंड

म्युचुअल फंड में लिस्टेड कंपनियों का रिकॉर्ड ₹3.8 लाख करोड़ का निवेश, 1990 के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा

म्युचुअल फंड निवेश का मूल्य पिछली बार 2020-21 में 3.6 लाख करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था

Published by
सचिन मामपट्टा   
Last Updated- September 24, 2025 | 10:01 PM IST

सूचीबद्ध कंपनियों ने म्युचुअल फंड में अब तक का रिकॉर्ड निवेश किया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार 2024-25 में उनका म्युचुअल फंडों में निवेश 3.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह 1990-91 के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है। विश्लेषण में 1,569 गैर-वित्तीय कंपनियों के वित्त वर्ष 25 के उपलब्ध आंकड़ों को शामिल किया गया है। यह रिकॉर्ड ऊंचाई है और तब है जब यह नमूना आंशिक है। पिछले वर्ष के पूरे नमूने में 3,867 कंपनियां शामिल थीं।

अनिश्चितता, वृद्धि के सीमित रास्ते और कम ब्याज दरें इस वृद्धि में योगदान का कारक मानी जा रही हैं। म्युचुअल फंड निवेश का मूल्य पिछली बार 2020-21 में 3.6 लाख करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था। बाद के वर्षों में यह संख्या कम होती गई लेकिन वित्त वर्ष 2025 में फिर नए उच्च स्तर पर पहुंच गई।

ट्रस्ट एमएफ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप बागला ने कहा कि कई कंपनियां ऐसे समय में बड़ी मात्रा में नकदी सृजित कर रही हैं, जब बड़े पूंजी आवंटन के लिए कई व्यापार संभावनाएं नहीं दिख रही हैं। इस कारण सरप्लस रकम शायद वैकल्पिक स्रोतों की ओर जा रही है। उन्होंने कहा, कंपनियों को वृद्धि के ऐसी अवसर नहीं दिख रहे हैं, जब वे खुलकर पूंजीगत खर्च कर सकें।

सीमित नमूने के बावजूद गैर-वित्तीय कंपनियों का नकद शेष रिकॉर्ड 7.4 लाख करोड़ रुपये है। यह महामारी से पहले देखे गए 3.4 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुना से भी ज्यादा है। भारतीय रिजर्व बैंक के ऑर्डर बुक, इन्वेंट्री और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण के अनुसार मौसमी बदलावों को समायोजित करने के बाद मार्च 2025 तक क्षमता उपयोग 75.5 फीसदी था। जब मौजूदा उत्पादन क्षमता काफी हद तक बिना इस्तेमाल के रहती है तो कंपनियां शायद नई क्षमता निर्माण (जैसे कि नए कारखाने लगाना) में निवेश नहीं करती हैं।

अतिरिक्त नकदी के कारण निवेश में वृद्धि की बात कुल परिसंपत्तियों के प्रतिशत के रूप में म्युचुअल फंड निवेश पर गौर करने से भी स्पष्ट होती है। यह वित्त वर्ष 2025 में 3.2 फीसदी रहा। पिछले दो दशकों के आंकड़ों से पता चलता है कि यह पिछले वर्षों के अनुरूप ही है। 2016-17 में जब नोटबंदी हुई थी तब यह उच्चतम स्तर 4.3 फीसदी था।

बागला ने कहा कि ज्यादातर पैसा इक्विटी के बजाय फिक्स्ड इनकम में लगाए जाने की संभावना है क्योंकि कंपनियों के लिए रिटर्न के पीछे भागने के बजाय पूंजी बचाकर रखना अनिवार्य होता है। बैंक जमाओं पर ब्याज दरें कम होना भी म्युचुअल फंडों में धन की आवक का एक कारक हो सकता है। टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता कम होने पर भी कंपनियां तब तक पूंजीगत व्यय रोके रह सकती हैं जब तक कि उन्हें अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि की संभावना न दिखाई दे। बागला के अनुसार, म्युचुअल फंडों में धन का निरंतर निवेश जारी रह सकता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह कुछ समय तक जारी रहेगा।

म्युचुअल फंडों में कुल कॉरपोरेट निवेश बड़ा है क्योंकि इसमें वो कंपनियां भी हैं जो नमूने में शामिल 1,569 फर्मों के अलावा हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों से जाहिर होता है कि कॉरपोरेट निवेश में गैर-सूचीबद्ध कंपनियां और वित्तीय फर्में भी शामिल हैं। यह निवेश होल्डिंग कंपनियों के रूप में संरचित कॉरपोरेट संस्थाओं को भी दर्शा सकता है। वित्त वर्ष 2025 में उनके निवेश का कुल योग 23.6 लाख करोड़ रुपये था। 2018-19 के अंत में यह 9.6 लाख करोड़ रुपये रहा था।

वित्त वर्ष 19 और वित्त वर्ष 25 के बीच इक्विटी फंडों में कॉरपोरेट निवेश 129 फीसदी बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसी अवधि में गैर-इक्विटी आवंटन 152 फीसदी बढ़कर 18.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 2023-24 में गैर-इक्विटी परिसंपत्तियां 10.6 लाख करोड़ रुपये थीं। बैंकों में कम ब्याज दरें म्युचुअल फंडों की ओर जाने का एक कारण हो सकती हैं जो अक्सर थोड़ा ज्यादा रिटर्न देते हैं। सीएमआईई के भारित औसत घरेलू जमा दरों के आंकड़ों से पता चलता है कि अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक नई जमा राशि पर जुलाई में 5.61 फीसदी की दर की पेशकश कर रहे थे जो 33 महीनों में सबसे कम है।

First Published : September 24, 2025 | 9:57 PM IST