म्युचुअल फंडों की तरफ से वसूले जाने वाले कुल खर्च अनुपात में प्रस्तावित बदलाव से फंडों के राजस्व पर सेबी के अनुमान के मुकाबले ज्यादा चोट पड़ सकती है। यह चेतावनी प्रमुख म्युचुअल फंड वितरक एसोसिएशन ने दी है।
फाउंडेशन ऑफ इंडिपेंडेंट फाइनैंशियल एडवाइजर्स (FIFA) को लगता है कि इक्विटी फंडों के रेग्युलर प्लान में उद्योग का राजस्व 11 फीसदी घटेगा जबकि सेबी ने विभिन्न योनजाओं से राजस्व में 5 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया है।
पिछले हफ्ते जारी चर्चा पत्र में नियामक ने म्युचुअल फंडों की तरफ से निवेशकों से वसूले जाने वाले खर्च में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। सेबी अगले हफ्ते होने वाली बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।
सेबी की तरफ से कुल खर्च अनुपात में की गई पिछली कटौती पर नजर डालने के बाद अनुमान है कि म्युचुअल फंड अपने राजस्व पर पड़ने वाले असर का भार कुछ हद तक वितरकों पर डालेंगे, जिससे कमीशन बुगतान में कमी आएगी।
दिल्ली में ऑल म्युचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सेबी से सुनिश्चित करने की मांग की है कि म्युचुअल फंड वितरण कारोबार वित्तीय रूप से व्यवहारिक बना रहे।
एसोसिएशन ने सेबी को लिखे पत्र में कहा है, म्युचुअल फंड वितरण में ज्यादा कारोबार के जरिए लागत बचाने की स्थिति नहीं बनती क्योंकि कारोबार में मानवीय भूमिका शामिल होती है। संभावित जोखिम से सुरक्षा का इंतजाम किया जाना चाहिए और AMC के लिए ऐसी गुंजाइश नहीं छोड़ी जानी चाहिए कि वे कुल खर्च अनुपात के प्रबंधन के लिए म्युचुअल फंड वितरकों के कमीशन के साथ छेड़छाड़ करे।
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कुल खर्च अनुपात पर जारी चर्चा पत्र के मामले में सेबी को अपनी सिफारिशों में फाउंडेशन ऑफ इंडिपेंडेंट फाइनैंशियल एडवाइजर्स की दलील है कि डेट व पैसिव योजनाओं पर इस बदलाव का असर मोटे तौर पर नहीं होगा, पर उद्योग को इन योजनाओं का प्रबंधन करने में मुश्किल होगी, अगर प्रस्तावित ढांचे को मौजूदा रूप में लागू कर दिया जाएगा।
सेबी को फाउंडेशन ऑफ इंडिपेंडेंट फाइनैंशियल एडवाइजर्स के जवाब का हवाला देते हुए कोटक इंस्टिट्यूशनल सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा है, वितरकों ने यह भी कहा है कि कुल एयूएम में इक्विटी योजनाओं की हिस्सेदारी 50 फीसदी है, लेकिन ये कुल राजस्व का 84 फीसदी सृजित करते हैं। इक्विटी योजनाओं के कुल खर्च अनुपात में और कमी का पूरे उद्योग के राजस्व व लाभ पर बड़ा असर होगा, साथ ही कम लागत पर अन्य श्रेणी की योजनाओं के परिचालन की व्यवहार्यता भी इससे प्रभावित होगी।
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एसोसिएशन ने योजना आधारित कुल खर्च अनुपात के ढांचे से AMC की परिसंपत्तियों के स्तर के आधार पर आगे बढ़ने से फंडों में नवोन्मेष प्रभावित होगा।
अभी म्युचुअल फंड अपनी योजनाओं के आकार के मुताबिक शुल्क वसूलते हैं। नई योजनाओं मे ज्यादा शुल्क लिया जाता है क्योंकि उनकी परिसंपत्तियों का आकार छोटा होता है। सेबी ने अब खर्च की सीमा को फंड हाउस की तरफ से प्रबंधित कुल परिसंपत्तियों से जोड़ने की योजना बनाई है। ऐसे परिदृश्य में बड़ी एएमसी नई पेशकश पर उतना शुल्क नहीं ले पाएंगी, जितना अभी लेती है।