म्युचुअल फंड

निवेशकों से कम निवेश मिलने के बावजूद इक्विटी फंडों की नकदी बढ़ी

मोतीलाल ओसवाल, पीपीएफएएस जैसे फंडों ने इक्विटी कैश रिजर्व में सबसे ज्यादा नकदी जोड़ी

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- November 18, 2025 | 10:20 PM IST

अक्टूबर में इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं की नकदी होल्डिंग में वृद्धि हुई है। नए निवेश में कमी के बावजूद ऐसा देखने को मिला। नुवामा ऑल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर के अंत तक इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं के पास 2.44 लाख करोड़ रुपये की नकदी मौजूद थी जो इससे पिछले महीने की तुलना में करीब 5,200 करोड़ रुपये ज्यादा है।

लेकिन कुल परिसंपत्तियों के प्रतिशत के रूप में इक्विटी योजनाओं में नकदी सितंबर के 3.2 फीसदी से घटकर अक्टूबर में 2.2 फीसदी रह गई क्योंकि बाजार में खासी तेजी के कारण कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में इजाफा हुआ। इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं में शुद्ध निवेश अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने कम हुआ। यह मासिक आधार पर 19 फीसदी घटकर 24,690 करोड़ रुपये रह गया।

इक्विटी योजनाओं के पास नकदी की स्थिति आम तौर पर शुद्ध निवेश की आवक के स्तर और बाजार के प्रति फंड मैनेजरों के दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। लेकिन अधिकांश योजनाएं 5 फीसदी से ज्यादा नकदी रखने से बचती हैं।

नुवामा की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोतीलाल ओसवाल और पीपीएफएएस म्युचुअल फंड ने इस वृद्धि की अगुआई की। इनमें से प्रत्येक ने अपनी नकदी होल्डिंग 2,500 करोड़ रुपये बढ़ाकर क्रमशः 8,400 करोड़ रुपये (इक्विटी एयूएम की 9 फीसदी) और 33,400 करोड़ रुपये (25 फीसदी) कर ली। इससे सतर्कता के साथ-साथ निवेश के लिए तत्परता का संकेत मिलता है।

एसबीआई और एचडीएफसी म्युचुअल फंड ने भी नकदी स्तर में 2,100 करोड़ रुपये और 1,800 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ने 1,700 करोड़ रुपये जोड़े। इससे प्रमुख फंड हाउसों में नकदी की स्थिति में व्यापक बढ़ोतरी जाहिर होती है। इसके विपरीत, ऐक्सिस, कोटक और डीएसपी म्युचुअल फंड ने नकदी का उपयोग किया और उनकी राशि में क्रमशः 1,900 करोड़ रुपये, 1,100 करोड़ रुपये और 800 करोड़ रुपये की कमी आई। निप्पॉन इंडिया और आदित्य बिड़ला एसएल फंड ने भी नकदी होल्डिंग्स में मामूली कमी दर्ज की।

शेयर बाजारों ने सात महीनों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया और बेंचमार्क सूचकांकों में 6 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई। इस तेजी ने निफ्टी 50 को सितंबर 2024 के अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर के करीब पहुंचा दिया। चूंकि बाजारों में सुधार हुआ है। लिहाजा मूल्यांकन को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है।

फ्रैंकलिन टेम्पलटन फंड ने एक रिपोर्ट में कहा, मूल्यांकन ऊंचा बना हुआ है। लेकिन मोटे तौर पर इसे उचित ठहराया जा सकता है। लार्ज-कैप शेयर ऐतिहासिक औसत से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। मिड-कैप शेयर 27-28 गुना आय के आसपास मंडरा रहे हैं। मिड-कैप शेयरों में प्रीमियम बना हुआ है, जिसे लार्ज-कैप शेयरों की उच्च एकल-अंकीय वृद्धि की तुलना में मजबूत दोहरे अंकों की आय बढ़त से मदद मिली है।
हालांकि ज्यादातर फंड मैनेजरों का मोटे तौर पर रुख सकारात्मक बना हुआ है।

एचएसबीसी फंड ने कहा, हमारा मानना ​​है कि भारत में वृद्धि का चक्र अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है। ब्याज दर और नकदी का चक्र, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और सामान्य मॉनसून, ये सभी भविष्य में वृद्धि में इजाफा करने में मददगार हैं। हालांकि वैश्विक व्यापार संबंधी अनिश्चितता निकट भविष्य में निजी पूंजीगत व्यय के लिए बाधा बनी हुई है। फिर भी हमारा मानना ​​है कि भारत का निवेश चक्र मध्यम अवधि में तेजी की ओर रहेगा।

First Published : November 18, 2025 | 10:08 PM IST