म्युचुअल फंड

​बैंक एफडी की ओर न जाएं निवेशक, डेट म्युचुअल फंड तलाश रहे रास्ते

नई पेशकश, लागत में कमी, डेट प्लस आर्बिट्रेज स्कीम जैसे कदमों की बन रही है योजना

Published by
अभिषेक कुमार
Last Updated- April 07, 2023 | 11:00 PM IST

कराधान में बदलाव से डेट फंडों के प्रति घटे आकर्षण के बाद परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (AUM) अन्य तय आय वाली योजनाओं मसलन बैंकों की सावधि जमाओं की ओर जा रहे निवेश को रोकने का रास्ता तलाशने लगी हैं।

उनके पास कुछ विकल्प हैं – फंडों का प्रबंधन ज्यादा सक्रियता से करना, क्रेडिट व ड्यूरेशन जोखिम को सशक्त बनाना, लागत कम करने के उपाय और 35 फीसदी आर्बिट्रेज या इक्विटी या दोनों के मेल वाले डेट ओरिएंटेड फंड पेश करना।

मध्यम आकार वाला कम से कम एक फंड हाउस डेट प्लस आर्बिट्रेज फंड पेश करने की प्रक्रिया में है।

आर्बिट्रेज कम जोखिम वाली इक्विटी रणनीति है, जो अल्पावधि वाली डेट योजनाओं से तुलनायोग्य रिटर्न सृजित करती है।

लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर (LTCG) के फायदे की वापसी सिर्फ उन योजनाओं से हुई है जिनका ​इक्विटी में आवंटन 35 फीसदी से कम है और 35 फीसदी या इससे ज्यादा आवंटन वाले फंड इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20 फीसदी कराधान के पात्र हैं।

हालांकि यह विकल्प (डेट प्लस आर्बिट्रेज) चुनिंदा एएमसी के लिए ही है क्योंकि ऐसी योजनाएं मल्टी ऐसेट या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के लिए ही संभव है और ज्यादातर बड़े फंड हाउस के पास दोनों योजनाएं हैं। एक फंड हाउस के फंड मैनेजर ने कहा, 35 फीसदी आर्बिट्रेज के साथ डेट फंड हो सकता है। चूंकि आर्बिट्रेज उच्च प्रतिफल वाली रणनीति नहीं है, ऐसे में हम आश्वस्त नहीं हैं कि निवेशक इसमें रुचि दिखाएंगे।

डेट फंडों का सक्रिय प्रबंधन एक विकल्प है, जिस पर ज्यादातर एएमसी नजर डाल रही हैं। ज्यादा सक्रियता से फंडों के प्रबंधन के लिए फंड मैनेजरों को पोर्टफोलियो के ड्यूरेशन में समयबद्ध‍ बदलाव करना होगा, जो बाजार की स्थितियों के मुताबिक हो और रिटर्न बेहतर करने के लिए सुरक्षित लेकिन कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियों की पहचान करे।

एक बड़े फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) ने कहा, यह समय सक्रिय प्रबंधन को सही मायने में वापस लाने का है। आईएलऐंडएफएस और फ्रैंकलिन टेम्पलटन के घटनाक्रम के बाद यह पीछे चला गया था। फंड मैनेजरों को आगे बढ़ने की दरकार है और सही क्रेडिट की पहचान के जरिये अपनी प्रतिभा दिखाने की भी, जो बेहतर रिटर्न दे सके।

उच्च प्रतिफल वाली रीट में निवेश बढ़ाना एक अन्य विकल्प है। ट्रस्ट म्युचुअल फंड के सीईओ संदीप बागला ने कहा, कराधान में बदलाव इसमें परिवर्तन ला सकता है कि निवेशक डेट फंडों को कैसे देखते हैं।

उन्होंने कहा, पूरा इकोसिस्टम सावधि जमाओं (FDs) जैसे निवेश से बाजार में जोखिम उन्मुखी निवेश की ओर शिफ्ट हो सकता है। इसके लिए उद्योग की तरफ से निवेशकों को शिक्षित किए जाने की दरकार है कि वे प्रतिफल से आगे देखें और उनका लक्ष्य पूंजीगत लाभ की संभावना होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नई डेट योजनाओं की गुंजाइश है, जो बेहतर तरीके से जोखिम उठा सके।

एक फंड मैनेजर ने कहा, कराधान में बदलाव फंड मैनेजरों को समयबद्ध‍ तरीके से ड्यूरेशन में शिफ्ट करने के लिए मुक्त कर देगा। उन्होंने कहा, पहले फंड मैनेजर यूनिटधारकों की निवेश की अवधि को ध्यान में रखते थे क्योंकि ज्यादातर निवे्शक तीन साल पूरा करने के बाद निकासी कर लेते थे ताकि मुनाफे के साथ-साथ एलटीसीजी का लाभ भी मिले। ऐसे में फंड मैनेजर को आसन्न नकदी की जरूरत और पोर्टफोलियो के जोखिम का ध्यान रखना होगा।

डेट फंड पिछले डेढ़ साल से निवेश हासिल करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं और ब्याज दरों का चक्र समाप्त होने के करीब होने और प्रतिफल उच्च स्तर होने से अपनी किस्मत में बदलाव चाह रहे हैं। लेकिन कर लाभ को लेकर नुकसान परेशानी भरा साबित हो सकता है।

फरवरी 2023 में समाप्त वर्ष में ऐक्टिव डेट योजनाओं ने प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों में संयुक्त रूप से 10 फीसदी की गिरावट देखी और यह 13 लाख करोड़ रुपये रह गई। मार्च में यह रुख बदल सकता है क्योंकि निवेशकों ने लोकप्रिय लंबी अवधि के डेट फंडों में मार्च के आखिरी हफ्ते में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया ताकि 1 अप्रैल से कराधान के नए नियम लागू होने से पहले उच्च प्रतिफल का फायदा उठाया जा सके।

First Published : April 7, 2023 | 11:00 PM IST