इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच सोने और चांदी में लंबी तेजी से मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंडों (एमएएएफ) को रिटर्न के लिहाज से दूसरे हाइब्रिड म्युचुअल फंडों (एमएफ) के मुकाबले चमक बढ़ाने का मौका मिला है। ‘वन स्टॉप’ या ‘ऑल-वेदर’ फंड स्कीम के तौर पर उनकी स्थिति मजबूत हुई है। पिछले दो वर्षों में निवेश का पैटर्न बातात है कि निवेशकों की प्राथमिकता बदल रही है और वे सबसे बड़ी हाइब्रिड श्रेणी यानी बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों (बीएएफ) से मल्टी-ऐसेट फंडों की ओर जा रहे हैं। मल्टी-ऐसेट पेशकश पिछले कुछ समय से लगभग सभी प्रमुख फंड योजनाओं के अल्पावधि रिटर्न में आगे रही हैं और उन्होंने लगातार 12 महीनों से उन्होंने बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों की तुलना में अधिक निवेश दर्ज किया है।
पिछले दो वर्षों में मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंडों ने केवल दो मौकों पर बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों की तुलना में कम मासिक निवेश हासिल किया। विशेष रूप से पिछले एक साल में इक्विटी, डेट और अन्य हाइब्रिड पेशकशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन के कारण मल्टी ऐसेट फंडों के प्रति निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है।
पिछले एक साल में मल्टी ऐसेट फंडों ने 7.3 प्रतिशत का औसत रिटर्न दिया है।
यह सभी हाइब्रिड श्रेणियों में सबसे अधिक है। उन्होंने अल्पावधि से मध्यम अवधि में प्रमुख इक्विटी सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले तीन वर्षों में मल्टी ऐसेट फंडों ने लगभग 17 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है जबकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी 50 सूचकांक का रिटर्न लगभग 13 प्रतिशत रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार इसका एक कारण सोने और चांदी में इन योजनाओं का बड़ा निवेश है जो पिछले एक साल में 43 प्रतिशत तक बढ़ गया है। ज्यादातर योजनाओं में 10-20 प्रतिशत कमोडिटी आवंटन है।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल धवन ने कहा, ‘मल्टी ऐसेट फंडों को कम से कम दो परिसंपत्ति वर्गों – सोना और ऋण – में मजबूत तेजी से लाभ हुआ है और कुछ मामलों में अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में तेजी आने से भी मदद मिली है।’
व्हाइटओक कैपिटल म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी रमेश मंत्री ने कहा कि सोने की तेजी से लाभ तो हुआ ही, शेयरों और डेट योजनाओं का सावधानी से चयन, साथ ही रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्टों में निवेश ने व्हाइटओक मल्टी ऐसेट फंड के एक वर्ष के प्रदर्शन को बढ़ा दिया। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को हालिया रुझानों की ओर ज्यादा झुकाव से बचना चाहिए।
धवन और मंत्री के अनुसार इस समय बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एक बेहतर विकल्प हो सकता है क्योंकि कीमती धातुओं का लाभ आगे भी जारी रहने की संभावना नहीं है। धवन ने कहा, ‘सोने के हालिया प्रदर्शन को दोहराने और ब्याज दरों के मौजूदा स्तर से तेजी से गिरने की उम्मीद कम होने के कारण पिछले वर्ष का रिटर्न दोहराना मुश्किल हो सकता है।’
मंत्री ने कहा, ‘सोने में पहले ही तेजी आ चुकी है जबकि इक्विटी बाजार में पिछले एक साल में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। बॉन्ड भी हाल में गिरे हैं। तीनों परिसंपत्ति वर्गों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मध्यम अवधि के नजरिए वाले निवेशकों के लिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं।’
बेहतर प्रदर्शन के कारण मल्टी ऐसेट फंडों में मजबूत निवेश आ रहा है। अगस्त 2024 से जुलाई 2025 की अवधि के दौरान उनमें 37,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध निवेश आया है। इसकी तुलना में बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों को केवल 19,600 करोड़ रुपये ही मिले। जुलाई 2025 में मल्टी ऐसेट फंडों में निवेश (न्यू फंड ऑफरिंग यानी एनएफओ से मिली रकम को छोड़कर) रिकॉर्ड 4,338 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
पिछली बार जब इक्विटी बाजार में वर्ष 2021 में लगातार अस्थिरता देखी गई थी तो बैलेंस्ड एडवांटेज फंड पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरे थे। हालांकि मल्टी ऐसेट फंड एक दशक से अधिक समय से मौजूद हैं। लेकिन उन्होंने मार्च 2023 में डेट फंड टैक्स से संबंधित बदलाव के बाद ही निवेशकों का ध्यान व्यापक रूप से आकर्षित करना शुरू किया। डेट फंड विकल्पों और कर-अनुकूल ‘वन-स्टॉप’ फंडों की मांग ने इस श्रेणी में पेशकशों को प्रोत्साहित किया।
मार्च 2023 के बाद लोकप्रियता की वजह से मल्टी-ऐसेट फंडों की एयूएम ढाई साल से भी कम समय में 26,600 करोड़ से बढ़ाकर 1.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है।