वैश्विक सूचकांक प्रदाता एमएससीआई अतिरिक्त निगरानी उपायों (एएसएम) के दायरे में शामिल शेयरों को अपने सूचकांकों का हिस्सा बनाने से परहेज कर रहा है। इस घटनाक्रम से अवगत लोगों का कहना है कि एमएससीआई ने यह सख्त रुख अदाणी समूह को लेकर हाल में पैदा हुए विवाद की वजह से अपनाया है।
अदाणी समूह-हिंडनबर्ग विवाद से कई फंड प्रबंधकों को उन कंपनियों के शेयरों में खरीद-बिक्री में समस्या हुई जिन्हें नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा एएसएम के दायरे में रखा गया।
घरेलू एवं वैश्विक बेंचमार्कों पर आधारित वैश्विक पैसिव फंडों का प्रबंधन करने वाले एक फंड प्रबंधक ने कहा, ‘जब निफ्टी-50 सूचकांक के साथ साथ डेरिवेटिव सेगमेंट का हिस्सा रहे शेयरों को एएसएम सूची में डालना आश्चर्यजनक है।
कई फंड प्रबंधक इस वजह से उन कुछ शेयरों से नहीं निकल पा रहे हैं जो एमएससीआई सूचकांक में शामिल हैं, लेकिन अभी 5 प्रतिशत सर्किट फिल्टर के अधीन बने हुए हैं। बाजार कारोबारी चाहते हैं कि वैश्विक सूचकांक प्रदाता इन समस्याओं को दूर करें।’
यदि एएसएम श्रेणी से शेयरों को अलग किया जाता है तो इसका उन कई बड़ी कंपनियों पर प्रभाव पड़ सकता है जो मौजूदा समय में इस सूची में शामिल हैं और इसकी वजह से लाखों डॉलर की बिकवाली को बढ़ावा मिल सकता है।
हालांकि बाजार विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे कदम को संभावित रूप से लागू किया जाना चाहिए, न कि उन शेयरों पर जो एएसएम सूची में पहले से ही शामिल हैं। इस संबंध में एमएससीआई को भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला है।
मौजूदा समय में, अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी ट्रांसमिशन और अदाणी टोटाल गैस लॉन्ग-टर्म एएसएम सूची में हैं, जबकि अदाणी एंटरप्राइजेज शॉर्ट-टर्म एएसएम सूची में हैं। पिछले सप्ताह अदाणी पोर्ट्सऐंड सेज और अंबुजा सीमेंट को शॉर्ट-टर्म एएसएम सूची से हटाया गया था।
मौजूदा समय में बीएसई के ‘जेड’ समूह और एस+ में शामिल शेयरों को एमएससीआई सूचकांक में शामिल किए जाने की अनुमति नहीं है।