संक्षिप्त ट्रेडिंग साइकल के लाभ पर जोर देते हुए वैश्विक सूचकांक प्रदाता MSCI (मॉर्गन स्टैनली कैपिटल इंटरनैशनल) ने इक्विटी बाजारों के लिए भारत में टी+1 (ट्रेड+1) के संक्षिप्त निपटान साइकल को मान्यता प्रदान की है।
भारत ने इस साल जनवरी में सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए टी+2 से संक्षिप्त साइकल पर अमल शुरू किया, जिससे शेयरों और फंडों का स्थानांतरण अगले दिन के आधार पर सक्षम होने लगा। भारत ने चरणबद्ध तरीके से टी+1 ढांचे पर अमल किया और बड़ी तादाद में लार्जकैप कंपनियां इस निपटान साइकल से जुड़ चुकी हैं।
MSCI ने अपनी सालाना समीक्षा के बाद एक बयान में कहा, ‘बाजार नियामक सेबी से परिचालन संबंधित संशोधन के बाद अंतरराष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों ने बगैर किसी समस्या के संक्षिप्त साइकल पर अमल किया है।’
टी+1 साइकल के चरणबद्ध क्रियान्वयन के दौरान कई बाजार कारोबारियों ने निपटान जोखिम घटाने और विदेशी मुद्रा कारोबार प्रबंधन के संबंध में सौदों की प्री-फंडिंग को लेकर आशंकाएं जताई थीं। विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि भारत में इस तरह का बदलाव सुगम तरीके से हुआ है।
कनाडा और अमेरिका जैसे विकसित बाजारों ने मई 2024 से टी+1 साइकल लागू करने की योजना बनाई है। अमेरिकी बाजार नियामक सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने फरवरी के शुरू में इस संबंध में घोषणा की थी। एसईसी ने कहा था कि टी+1 निपटान साइकल अनिवार्य बनाने के लिए तकनीकी और परिचालन संबंधित बदलाव चिन्हित करने की दिशा में प्रगति हुई है।
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MSCI ने कहा है, ‘जब अमेरिका और कनाडा में ये बदलाव होंगे, सभी विकसित बाजारों से संबंधित वैश्विक समायोजन बेहद अनुकूल होगा, खासकर वैश्विक सूचकांक पुनर्संतुलन के दौरान।’
टी+1 निपटान साइकल पर क्रियान्वयन से जुड़े लाभ के बारे में एमएससीआई का मानना है कि इससे निवेशक सुरक्षा बढ़ सकती है, जोखिम घट सकता है, और परिचालन तथा पूंजी किफायत में इजाफा हो सकता है। वहीं चुनौतियों के संदर्भ में यह ध्यान देने की जरूरत है कि प्री-फंडिंग जरूरत या अतिरिक्त परिचालन लागत नहीं आनी चाहिए।
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नवंबर 2021 में, सेबी ने टी+1 साइकल जनवरी 2022 से प्रभावी किए जाने के लिए सर्कुलर जारी किया था। मार्च 2022 से, बॉटम-500 शेयरों को हरेक महीने के आखिर में टी+1 साइकल में जोड़ा जा रहा था।
भारतीय प्रतिभूति बाजार टी+5 साइकल के साथ दिसंबर 2001 से रोलिंग सेटलमेंट में शामिल हुआ, जिसकी जगह अप्रैल 2002 में टी+3 ने ली। एक साल बाद, 2003 में टी+2 साइकल की शुरुआत हुई और तब से यह व्यवस्था बरकरार थी।