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HDFC मर्जर: गैर-बैंक ऋणदाताओं के कारोबार में आएगा बदलाव, दूसरी कंपनियों को मिल सकता है फायदा

कई म्युचुअल फंड प्रबंधकों ने रॉयटर्स को बताया कि HDFC मर्जर की वजह से एक कंपनी का वजूद समाप्त हो जाएगा, क्योंकि उसकी दूसरी में मर्जर हो जाएगा

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एजेंसियां   
Last Updated- June 23, 2023 | 7:23 PM IST

HDFC और HDFC Bank के विलय से भारत में गैर-बैंक फाइनैंसरों के लिए फंड उगाही बाजार में बदलाव आने के आसार हैं, क्योंकि एक बड़े ऋणदाता के बाहर निकलने से निवेशकों को अन्य विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं।

कई म्युचुअल फंड प्रबंधकों ने रॉयटर्स को बताया कि HDFC मर्जर की वजह से एक कंपनी का वजूद समाप्त हो जाएगा, क्योंकि उसकी दूसरी में मर्जर हो जाएगा। इसका अन्य आवास वित्त कंपनियों को फायदा मिल सकता है, जो अब सस्ती लागत पर कोष उधार लेने में सक्षम होंगी, क्योंकि ऐसे ऋणों के लिए मांग तेज होने के बाद भी आपूर्ति कम है।

दोनों इकाइयों के बीच 40 अरब डॉलर का मर्जर अगले महीने पूरा होने की संभावना है, जिसके बाद HDFC ऋण देना बंद कर देगी और उधारी के लिए मर्जर वाले बैंक की जमाओं पर निर्भर करेगी।

आईडीबीआई म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख राजू शर्मा ने कहा कि आवास वित्त कंपनियों द्वारा जारी ऋणों में अगले कुछ सप्ताहों के दौरान बदलाव दिखना शुरू हो जाएगा, क्योंकि HDFC इस क्षेत्र में सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता थी।

बाजार नियामक सेबी के नियमों के तहत, म्युचुअल फंड अपनी 30 प्रतिशत परिसंप​त्तियां गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और आवास वित्त कंपनियों (HFC) द्वारा जारी ऋण प्रतिभूतियों में कर सकते हैं। एनबीएफसी के जमा पत्रों पर यह सीमा 20 प्रतिशत है।

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जेएम फाइनैं​शियल में प्रबंध निदेशक एवं इन्वेस्टमेंट ग्रेड ग्रुप के प्रमुख अजय मंगलूनिया ने कहा कि HFC द्वारा जारी डेट पर प्रतिफल आगामी सप्ताहों में करीब 10 आधार अंक तक घट सकता है।

AAA-रेटिंग के HFC बॉन्डों पर ब्याज दरें मौजूदा समय में तीन वर्ष से पांच वर्षीय अव​धि के लिए 7.65-7.80 प्रतिशत के दायरे में हैं। क्रिसिल और रॉयटर्स के आंकड़े से पता चलता है कि HDFC के बकाया बॉन्ड 2.64 लाख करोड़ रुपये के होने का अनुमान है।

वित्त वर्ष 2022 से 2023 तक, HDFC ने डेट बाजार से 784.15 अरब रुपये जुटाए, जो एक साल पहले के 500 अरब रुपये की तुलना में काफी ज्यादा है। इस साल अप्रैल से HDFC ने 460.62 अरब रुपये जुटाए हैं।

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प्राइम डेटाबेस के आंकड़े से पता चलता है कि HDFC के बॉन्डों में 31 मई तक म्युचुअल फंडों का करीब 270 अरब रुपये निवेश था।

मर्जर के बाद, इस ऋण को बैंकिंग क्षेत्र के लिए निवेश के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा, जबकि कर्ज की ताजा आपूर्ति बंद कर दी जाएगी।

फंड प्रबंधकों का कहना है कि विलय के बाद बाजार से एचडीएफसी के बाहर निकलने की वजह से प्रतिस्पर्धी एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस सबसे बड़ी लाभार्थी बन सकती है। उनका कहना है कि आईसीआईसीआई होम फाइनैंस, बजाज हाउसिंग फाइनैंस, टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनैंस और श्रीराम हाउसिंग फाइनैंस जैसे अन्य प्रतिस्प​र्धियों को भी मांग में तेजी देखने को मिल सकती है।

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डीएसपी म्युचुअल फंड में फंड प्रबंधक लौकिक बागवे ने कहा, ‘HDFC का बैंक के साथ मर्जर होने से HFC पत्रों के लिए मांग बढ़ेगी, क्योंकि अच्छी गुणवत्ता के निर्गमकर्ताओं और उनके निर्गमों की सूची मांग के मुकाबले घट जाएगी।’

First Published : June 23, 2023 | 7:23 PM IST