दुनिया का ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग रिसर्च और डेवलपमेंट (ER&D) सेक्टर बड़े बदलाव से गुजर रहा है। इसे अभी ‘अधूरी क्रांति’ कहा जा रहा है क्योंकि यह सफर पूरा नहीं हुआ है। गाड़ियों में तीन बड़े ट्रेंड उभर रहे हैं। CASE टेक्नोलॉजी (कनेक्टेड, ऑटोनॉमस, शेयरिंग और इलेक्ट्रिक), सॉफ्टवेयर-डिफाइंड व्हीकल्स (SDVs) और सरकारों की ओर से ग्रीन पावरट्रेन पर सख्त नियम। इन सबने सॉफ्टवेयर को ऑटोमोबाइल इनोवेशन का केंद्र बना दिया है।
हालांकि, इस समय सेक्टर को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग उम्मीद से धीमी हो गई है। यूरोप में बैटरी ईवी की बिक्री कमजोर रही है और कंपनियों ने रिसर्च पर खर्च घटा दिया है। एशियाई वाहन निर्माता अब ग्राहकों की पसंद को देखते हुए हाइब्रिड गाड़ियों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। इसका असर यह हुआ है कि टॉप ER&D कंपनियों की ग्रोथ FY21-23 के 17% से घटकर FY24-25 में 12% रह गई है।
मौजूदा सुस्ती के बावजूद भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। सॉफ्टवेयर-डिफाइंड व्हीकल्स आने वाले समय में गाड़ियों को और जटिल बनाएंगे, जिसके लिए एम्बेडेड सिस्टम, मिडलवेयर और इंटीग्रेशन जैसी क्षमताओं की भारी मांग होगी। इसके साथ ही, गाड़ियों के इलेक्ट्रिकल सिस्टम अब सेंट्रलाइज्ड और ज़ोनल आर्किटेक्चर पर आधारित हो रहे हैं, जिससे वेलिडेशन और सिस्टम इंटीग्रेशन जैसी सेवाओं की जरूरत तेजी से बढ़ेगी।
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दूसरा बड़ा सहारा दुनियाभर की सरकारों की ओर से मिल रहा है। अमेरिका ने टारगेट रखा है कि 2030 तक आधी नई गाड़ियां इलेक्ट्रिक हों। यूरोप ने ज़ीरो-एमिशन को लेकर कड़े कानून बनाए हैं। वहीं भारत और चीन जैसे एशियाई देश भी डिकार्बोनाइजेशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे कदम आने वाले कई सालों तक इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड तकनीक में निवेश जारी रखेंगे।
यह दौर उन कंपनियों के लिए सुनहरा मौका है जिनके पास सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में गहरी विशेषज्ञता है। इन कंपनियों की कमाई मैकेनिकल इंजीनियरिंग पर आधारित कंपनियों से ज्यादा है। बड़ी ऑटो कंपनियां अब अपने वेंडर बेस को सीमित करना चाहती हैं और उन्हीं को साथ रखना चाहती हैं जिनकी टेक्नोलॉजी और को-डेवलपमेंट क्षमता मजबूत हो। इस वजह से सॉफ्टवेयर-फर्स्ट मॉडल अपनाने वाली ER&D कंपनियों की अहमियत लगातार बढ़ रही है।
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मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, इस बदलाव से सबसे बड़ा फायदा KPIT टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों को मिलेगा। KPIT पूरी तरह से ऑटोमोबाइल सॉफ्टवेयर और SDVs पर केंद्रित है। पहले इसके 250 ग्राहक थे, लेकिन अब सिर्फ 60 क्लाइंट्स पर फोकस है और हर क्लाइंट से कंपनी की कमाई कई गुना बढ़ गई है। FY20 से FY25 तक कंपनी की आय लगभग 18% की दर से बढ़ी है और FY28 तक इसके 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
कंपनी का EBIT मार्जिन FY25 के 17.1% से बढ़कर FY27 तक 17.5% होने की उम्मीद है। हाल ही में खरीदी गई कंपनी Caresoft से 5% तक अतिरिक्त आय आने की संभावना है। KPIT की 85% कमाई इसके 21 बड़े ग्राहकों से होती है, जिनमें वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियां और टेक्नोलॉजी पार्टनर शामिल हैं। FY25 से FY28 के बीच इसका EPS लगभग 19% की दर से बढ़ने का अनुमान है। KPIT का BSE पर मौजूदा भाव 1,206 है, मोतीलाल ने ₹1,600 का टारगेट दिया है। ऐसे में इसमें 33% के अपसाइड की संभावना है।